पिछले 8 महीनों से लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर आक्रामता दिखा रहे चीन के पास अनाज की कमी हो गई है और लोगों का पेट भरने के लिए वह भारत पर निर्भर हो गया है। सप्लाई में कमी और भारत में सस्ते दर पर मिलने की वजह से उसने यहां ऑर्डर दिया है। 30 सालों में पहली बार चीन भारत से चावल आयात कर रहा है। भारतीय उद्योग जगत के अधिकारियों ने रॉयटर्स को यह जानकारी दी है।
भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है और चीन इसका सबसे बड़ा आयातक है। बीजिंग सालाना करीब 40 लाख टन चावल आयात करता है, लेकिन क्वालिटी की दलील देकर भारत को दरकिनार करता रहा है। लेकिन इस बार उसने भारत से चावल आयात का फैसला किया है। यह ऐसे समय पर हुआ है जब दोनों देशों के बीच सीमा पर टकराव चरम पर है।
राइस एक्सपोटर्स असोसिएशन के प्रेजिडेंट बीवी कृष्ण राव ने कहा, ”पहली बार चीन ने चावल खरीदा है। भारतीय अनाज की गुणवत्ता देखने के बाद वे अगले साल से खरीद बढ़ा सकते हैं।” इंडस्ट्री के अधिकारियों ने बताया कि भारतीय व्यापारियों ने दिसंबर-फरवरी के बीच 300 डॉलर प्रति टन कीमत पर 1 लाख टन टूटे चावल का कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया है।
चीन के परंपरागत सप्लायर्स थाइलैंड, वियतनाम, म्यामांर और पाकिस्तान जैसे देश हैं, जिनके पास इस बार निर्यात के लिए अधिक चावल नहीं है और भारत के मुकाबले 30 डॉलर प्रति टन अधिक कीमत की मांग कर रहे हैं। इसलिए चीन इस बार भारत से चावल खरीदने को मजबूर हो गया है।