Tuesday, October 22, 2024
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अतीक के 5 बेटे,1 का एनकाउंटर,2 जेल में,2 सुधारगृह में,10 जजो ने केस से छुट्टी के लि,11 वे ने जमानत दे दी

उमेश पाल हत्याकांड में अतीक अहमद और उसके परिवार के जिन लोगों को आरोपी बनाया गया है, उनमें से चार जेल में बंद हैं. अतीक खुद अहमद साबरमती जेल में हैं, जिसे बुधवार को प्रयागराज के नैनी जेल में लाया गया था. भाई अशरफ बरेली जेल में बंद है, उसे भी नैनी जेल में लाया गया है. पहले इनके परिवार को समझ लेते हैं…

अतीक अहमद- माफिया डॉन, चांद बाबा की हत्या के बाद अपराध साम्राज्य की नींव रखी. फिलहाल-साबरमती जेल में.

अशरफ- भाई, राजू पाल हत्याकांड को अंजाम दिया, अतीक का दायां हाथ बना. फिलहाल- बरेली जेल में बंद.

शाइस्ता- पत्नी, उमेश पाल हत्याकांड की साजिशकर्ता, फिलहाल फरार.

असद- बेटा, उसे यूपी एसटीएफ ने झांसी के एनकाउंटर में ढेर कर दिया.

मोहम्मद उमर- अतीक का बड़ा बेटा. रंगदारी का आरोप. फिलहाल लखनऊ जेल में बंद.

अली अहमद- छोटा बेटा, हत्या की कोशिश का मामला दर्ज. फिलहाल, प्रयागराज के नैनी सेंट्रल जेल में बंद.

अहजम अहमद- पांच बेटों में चौथा बेटा. अभी नाबालिग. उमेश पाल हत्याकांड में साजिश का आरोप. फिलहाल बालसुधार गृह में.

आबान- सबसे छोटा बेटा. अभी नाबालिग. उमेश पाल हत्याकांड में साजिश का आरोप. फिलहाल बालसुधार गृह में.

झांसी में एनकाउंटर में मारा गया असद

उमेश पाल हत्याकांड में शामिल अतीक अहमद के बेटे असद के साथ ही शूटर गुलाम मोहम्मद का झांसी में एनकाउंटर कर दिया गया है. असद पर पांच लाख का इनाम घोषित था. प्रयागराज में 24 फरवरी को दिनदहाड़े उमेश पाल और उनके दो गनर की हत्या के बाद असद चर्चा में आया था. इस मर्डर में असद अहमद का नाम मास्टरमाइंड के तौर पर सामने आया.

अतीक अहमद का बेटा असद झांसी में एनकाउंटर में हुआ ढेर.
चांद बाबा की हत्या से माफिया राज की शुरुआत

अतीक अहमद को बड़े अपराध के जरिये अपने परिवार के लोगों को लॉन्‍च करने का शौक था. इसके जरिये वह अपना खौफ कायम रखना चाहता था. प्रयागराज में तांगा चलाने वाले फिरोज अहमद के बेटे अतीक अहमद 10वीं में फेल होने के बाद अपराध की दुनिया में कदम रखा. तब पुराने शहर में चांद बाबा का खौफ था, जिसे पुलिस और नेता दोनों खत्म करना चाहते थे. लिहाजा, पुलिस और नेताओं ने अतीक अहमद का साथ दिया.

चांद बाबा को खत्म करने के बाद अतीक अहमद नया माफिया बनकर खड़ा हो गया. जुर्म की दुनिया के साथ ही 1989 में अतीक अहमद ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर इलाहाबाद पश्चिमी सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत गया. इसके बाद सियासत में भी उसकी पकड़ बन गई. बाद में वह समाजवादी पार्टी से जुड़ गया और फिर अपना दल में आ गया. अतीक पांच बार विधायक और एक बार फूलपुर से लोकसभा सांसद चुना गया.

इन बड़े अपराधों की वजह से बढ़ता गया खौफ

अतीक अहमद पर हत्या, हत्या की कोशिश, किडनैपिंग, रंगदारी जैसे 100 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं. उस पर 1989 में चांद बाबा की हत्या, 2002 में नस्सन की हत्या, 2004 में मुरली मनोहर जोशी के करीबी बीजेपी नेता अशरफ की हत्या, 2005 में राजू पाल की हत्या का आरोप है.

अतीक के खौफ का आलम यह था कि साल 2012 में उसने चुनाव लड़ने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में जमानत के लिए अर्जी दी. मगर, 10 जजों ने केस की सुनवाई से ही खुद को अलग कर लिया. 11वें जज ने मामले की सुनवाई के बाद अतीक अहमद को जमानत दे दी थी.

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