प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से कांग्रेस पर बजरंगबली को कैद करने की कोशिश का आरोप लगाए जाने के बाद कांग्रेस डैमेज कंट्रोल में जुट गई है।
कर्नाटक की सत्ता हासिल करने के लिए भाजपा और कांग्रेस की लड़ाई अब काफी तीखी हो गई है। बजरंग दल पर बैन लगाने के कांग्रेस के वादे के बाद अब कर्नाटक के चुनाव में बजरंगबली सबसे बड़ा मुद्दा बनकर उभरते दिख रहे है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से कांग्रेस पर बजरंगबली को कैद करने की कोशिश का आरोप लगाए जाने के बाद कांग्रेस डैमेज कंट्रोल में जुट गई है। प्रधानमंत्री मोदी अपनी सभाओं में बजरंगबली के जयकारे लगवा रहे हैं। बड़ा सियासी हथियार हासिल होने के बाद भाजपा इस मुद्दे के जरिए हिंदू वोट बैंक को गोलबंद करने की कोशिश में जुट गई है।
भाजपा की ओर से बजरंगबली को मुद्दा बनाए जाने के बाद अब कांग्रेस सियासी नुकसान बचाने की कोशिश में जुट गई है। कांग्रेसी नेताओं के बयानों और भाषणों में इसकी झलक भी दिखने लगी है। कांग्रेस की ओर से वादा किया गया है कि राज्य की सत्ता हासिल होने पर पार्टी पूरे राज्य में हनुमान मंदिरों का निर्माण कराने के साथ ही पुराने मंदिरों का जीर्णोद्धार भी कराएगी। कांग्रेस का यह सियासी दांव भाजपा के तीखे हमलों से बचने का रास्ता माना जा रहा है।
पीएम मीदी समेत अन्य नेताओं ने गरमाया मुद्दा
दरअसल कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में अभी तक भाजपा के मुकाबले कांग्रेस थोड़ा अच्छी स्थिति में दिख रही थी। कांग्रेस ने भ्रष्टाचार और विकास न होने के मुद्दे पर भाजपा को मजबूती से घेर रखा था। इसी बीच कांग्रेस के घोषणा पत्र में कई बड़े वादे करने के साथ ही बजरंग दल जैसे धार्मिक संगठनों पर बैन लगाने का भी वादा किया गया। कांग्रेस के इस घोषणापत्र ने भाजपा को हमले का बड़ा सियासी हथियार मुहैया करा दिया।
पार्टी के तमाम नेताओं के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस मुद्दे पर कांग्रेस को तीखे हमलों के साथ घेरने की कोशिश में जुट गए। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने पहले भगवान श्रीराम को ताले में बंद किया और अब वह जय बजरंगबली का नारा लगाने वालों को भी बंद करना चाहती है। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि पार्टी के चुनावी वादे से साफ है कि वह भगवान हनुमान की पूजा करने वालों को ताले में बंद करना चाहती है। अपनी सभाओं के शुरुआत और अंत में उन्होंने जय बजरंगबली के नारे भी लगवाए।
डैमेज कंट्रोल के तहत कांग्रेस का बड़ा वादा
पीएम मोदी और भाजपा की ओर से किए गए इस तीखे हमले के बाद कांग्रेस बैकफुट पर नजर आ रही है। कांग्रेस को इस बात का एहसास हो गया है कि भाजपा इस मुद्दे को सियासी रूप से भुनाने की कोशिश में जुट गई है। हिंदू मतों के गोलबंद होने के खतरे के मद्देनजर अब कांग्रेस की ओर से डैमेज कंट्रोल के तहत बड़ा वादा किया गया है। कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने भाजपा को जवाब देने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि अगर उनकी पार्टी राज्य में चुनाव जीतने में कामयाब रही तो राज्य में जगह-जगह हनुमान मंदिर बनाए जाएंगे।
चामुंडी पहाड़ी पर चामुंडेश्वरी देवी और बजरंगबली की पूजा करने के बाद उन्होंने कहा कि राज्य में हनुमान मंदिरों का जीर्णोद्धार भी कराया जाएगा। इन मंदिरों के कामकाज पर नजर रखने के लिए एक स्पेशल बोर्ड का गठन भी होगा। भगवान हनुमान के सिद्धांतों को युवाओं तक पहुंचाने के लिए स्पेशल प्रोग्राम भी चलाने की तैयारी है। कांग्रेस नेता ने कहा कि राज्य के सभी हिस्सों में भगवान हनुमान के नाम पर नीतियां और कार्यक्रम चलाए जाएंगे।
भाजपा को कांग्रेस का तीखा जवाब
शिवकुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी सहित भाजपा के अन्य नेता लोगों की भावनाओं के साथ खेलने की कोशिश कर रहे हैं। सियासी लाभ हासिल करने के लिए भगवान के नाम का इस्तेमाल किया जा रहा है। भाजपा को यह स्पष्ट करना चाहिए कि उसने अभी तक कितने हनुमान मंदिरों का निर्माण कराया है।
भाजपा को घेरते हुए उन्होंने कहा कि हनुमान मंदिरों के संबंध में भाजपा की स्थिति अभी तक स्पष्ट नहीं है। कांग्रेस नेता ने कहा कि बेंगलुरु से मैसूर के बीच कम से कम 25 हनुमान मंदिर हैं और इनका निर्माण कांग्रेस के पहले मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता केंगल हनुमंथैया ने कराया था।
इसलिए सफाई देने पर मजबूर हुई कांग्रेस
सियासी जानकारों का मानना है कि कांग्रेस को यह स्पष्टीकरण देने को इसलिए मजबूर होना पड़ा है क्योंकि भाजपा ने बजरंगबली के मुद्दे को काफी गरमा दिया है। वहीं बजरंग दल के कार्यकर्ताओं की ओर से कांग्रेस के चुनावी वादे का तीखा विरोध किया जा रहा है। राजधानी बेंगलुरु समेत राज्य के कई इलाकों में बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने हनुमान चालीसा का पाठ करके विरोध जताया है। केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद शोभा करंदलाजे ने भी पार्टी नेताओं और भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ हनुमान चालीसा का पाठ किया।
भाजपा ने इस मुद्दे को इतना गरमा दिया है कि उसे सियासी लाभ मिलने की स्थिति बनने लगी है। कांग्रेस के चुनावी वादे के बाद किए गए कुछ सर्वे में भाजपा की स्थिति में सुधार होता दिख रहा है। इसे भाजपा की ओर से हिंदू मतों को गोलबंद करने की कोशिश का नतीजा माना जा रहा है। यही कारण है कि कांग्रेस अब डैमेज कंट्रोल में जुट गई है । अब यह देखने वाली बात होगी कि कांग्रेस को इस काम में कहां तक कामयाबी हासिल हो पाती है।