हर जगह उपलब्ध कोई भी धरना कोई भी प्रदर्शन
जिसे लोग समझ रहे थे पहलवानों की माँ, वो निकली प्रोफेशनल ‘आंदोलनजीवी’: PT उषा के साथ की बदसलूकी, OROP से लेकर ‘किसान आंदोलन’ तक का बनी हिस्सा
आंदोलन की बात हो और वहाँ आंदोलनजीवी न दिखाई दें यह तो हो ही नहीं सकता। दिल्ली के जंतर-मंतर मैदान में जारी पहलवानों के प्रदर्शन के बीच आंदोलनजीवियों का ताँता एक बार फिर लगना शुरू कर हो गया है। इन्हीं में से एक आंदोलनजीवी का नाम है सुदेश गोयात। तथाकथित किसान आंदोलन के बाद अब सुदेश ने जंतर-मंतर में पहलवानों के आंदोलन में डेरा डाल लिया है।
दरअसल, बीते जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे पहलवानों के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। वीडियो में महिला पहलवानों के साथ अक्सर एक महिला भी दिखाई दे रही हैं। इस महिला को लोग विनेश फोगाट या साक्षी मलिक की माँ समझ रहे थे। कुछ वीडियो में तो पहलवानों से अधिक यह महिला रोती हुई दिखाई दे रही थी। हालाँकि, यह महिला न तो साक्षी मलिक और न ही विनेश फोगाट की माँ हैं और न ही इसका पहलवानों से किसी प्रकार का कोई संबंध है। वास्तव में इस महिला का संबंध सिर्फ और सिर्फ आंदोलन से है और यह ‘विशुद्ध आंदोलनजीवी’ है।
वरिष्ठ पत्रकार सुधीर चौधरी ने आज तक के शो ‘ब्लैक एंड व्हाइट’ में इस महिला को प्रोफेशनल आंदोलनजीवी करार दिया है। उन्होंने इस शो में बताया है कि सुदेश गोयात नामक यह महिला मूल रूप से हरियाणा की है। भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष और पूर्व एथलीट पीटी ऊषा जब पहलवानों से मिलने जंतर-मंतर पहुँची थीं, तब इसी महिला यानी सुदेश गोयात ने उनके साथ बदसलूकी की थी।
सुदेश के आंदोलनजीवी बनने की शुरुआत ‘वन रैंक वन पेंशन’ को लेकर हुए प्रदर्शन से हुई थी। इसके बाद से ही यह सरकार विरोधी प्रदर्शन में देखी जा रही हैं। यूट्यूब खँगालने पर, सुदेश गोयात के कई वीडियो मिले। ये सभी वीडियो बताते हैं कि वह एक सच्ची आंदोलनजीवी हैं। इससे पहले सुदेश गोयात तथाकथित किसान आंदोलन के मंच पर भी देखी गईं थीं। इस दौरान वह वह कभी टिकरी बॉर्डर पर तो कभी हिसार के हाँसी पर आंदोलनजीवियों के साथ बैठी दिखाई दे रहीं थीं।
चूँकि अब पहलवान कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं और इसमें सरकार पर भी निशाना साधा जा रहा है। यही नहीं, प्रदर्शन के बीच ‘मोदी तेरी कब्र खुदेगी’ जैसे नारे लगाए जाते हैं। ऐसे में इस प्रदर्शन में आंदोलनजीवियों के होने से किसी प्रकार का आश्चर्य नहीं होना चाहिए। हालाँकि, अभी तो सिर्फ कुछ ही आंदोलनजीवियों का चेहरा सामने आया है। लेकिन इस बात में कोई दो राय नहीं है कि जैसे-जैसे यह प्रदर्शन आगे बढ़ेगा कुछ अन्य आंदोलनजीवी भी जंतर-मंतर को अपना नया ठिकाना बना लेंगे।