पूर्वांचल के बाहुबली विधायक और माफिया मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। एक तरफ जहां योगी सरकार मुख्तार के करीबियों पर शिकंजा कस रही है तो दूसरी तरफ उनकी विधानसभा सदस्यता (Assembly Membership) पर खतरा मंडरा रहा है। वाराणसी निवासी सुधीर सिंह ने उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष के समक्ष याचिका दायर कर जेल में बंद बहुजन समाज पार्टी के विधायक मुख्तार अंसारी को अयोग्य घोषित करने की मांग की है।
सुधीर सिंह ने 2017 से बिना अनुमति के सदन की कार्यवाही से अनुपस्थित रहने के आधार पर अंसारी की अयोग्यता की मांग की है। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 190 (4) के प्रावधानों का हवाला दिया है।माफिया से राजनेता बने मुख्तार अंसारी, जो मऊ सदर से विधायक हैं, वर्तमान में पंजाब की जेल में बंद हैं। वह 2005 से भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के आरोप में जेल में हैं।
मुख्तार अंसारी ने जेल से 2007, 2012 और 2017 के चुनाव जीते। कोर्ट से अनुमति लेकर अंसारी ने 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ा था। 2017 के बाद से, राज्य सरकार ने अदालत से अंसारी को अनुमति देने का विरोध किया, जिसके बाद वो विधान सभा की कार्यवाही में शामिल नहीं हो पाए। कभी अंसारी के करीबी रहे सुधीर सिंह ने अपने वकील अशोक पांडे के जरिए विधानसभा अध्यक्ष के सामने याचिका लगाई है।
माफिया विरोधी मंच के अध्यक्ष सुधीर सिंह ने विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित को अपनी याचिका में संविधान के अनुच्छेद 190 (4) का हवाला दिया जिसके मुताबिक यदि विधानसभा का कोई सदस्य 60 दिन तक सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेता है तो सीट खाली घोषित हो सकती है।
मुख्तार अंसारी पर कसते शिकंजे के बीच उनके दोनों सालों को कोर्ट से राहत मिली है। जबकि वहीं दूसरी ओर विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित से मऊ सदर के विधायक मुख्तार अंसारी की सदस्यता रद्द करने संबंधी याचिका दी गई है। याचिका में तर्क दिया है कि संविधान में दी गई व्यवस्था के आधार पर वह क्षेत्र की समस्याओं का समाधान नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए उनकी सीट को रिक्त घोषित किया जाना चाहिए।
कोर्ट से राहत :
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्तार अंसारी के दो सालों को राहत देते हुए गैंगस्टर एक्ट के मामले में पुलिस रिपोर्ट पेश होने तक उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने दोनों को विवेचना में सहयोग करने और पुलिस को विवेचना शीघ्र पूरी करने का भी निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्र एवं न्यायमूर्ति एसके पचौरी की खंडपीठ ने मुख्तार अंसारी के सालों अनवर शहजाद व सरजील रजा की याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल स्वरूप चतुर्वेदी व एडवोकेट अजय कुमार श्रीवास्तव को सुनकर दिया है। अनवर शहजाद व सरजील रजा पर गिरोह बनाकर जमीन हथियाने और बेनामी खरीद से संपत्ति बनाने के आरोप मे दो आपराधिक मामले दर्ज हैं। याचिका में गाजीपुर कोतवाली में दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग की गई थी। कहा गया था कि शुरू में पुलिस ने संजय सिंह के खिलाफ चार्जशीट तैयार की और विवेचना के दौरान पूरक चार्जशीट में याचियों को भी शामिल कर लिया। कहा गया कि उन्हें झूठा फंसाया गया है। अनवर शहजाद व सरजील रजा के साथ अफसा अंसारी सहित तीन लोगों का गिरोह बताया गया है और संजय सिंह को गैंग से बाहर कर दिया गया है। जिसके आधार पर दोनों की जमानत हो चुकी है। यह भी कहा गया कि एफआईआर में बेनामी संपत्ति का खुलासा नहीं किया गया है। दोनों को मुख्तार अंसारी के साले होने के नाते फंसाया गया है। सुनवाई के बाद कोर्ट प्राथमिकी को रद्द करने से इनकार करते हुए विवेचना शीघ्र पूरी करने का निर्देश दिया है।