Thursday, September 19, 2024
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देश से एतिहासिक गद्दारी की कहानी:1350 करोड़ के बदले भरे 38,0000करोड़, हिंदुस्तानी वकील के बजाय लगाया पाकिस्तानी वकील फीस भरी 1400 करोड़ रुपया

1400 करोड़ रुपए की फीस चुकाकर भी भरना पड़ा था 38,000 रूपए का जुर्माना :कांग्रेस सरकार का कारनामा

श्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के समय, एक मशहूर कम्पनी, एनरॉन नें, महाराष्ट्र के दाभोल में कारखाना लगाने की प्लानिंग की ..!!

लेकिन, यह स्थानीय लोगों के प्रतिरोध के कारण, हो न सका ..।।

फलस्वरूप, बदलती विषम परिस्थितियों से नाराज एनरॉन नें, भारत सरकार पर ₹38,000 करोड़ के नुकसान की भरपाई का मुकदमा दायर कर दिया ..।।

वाजपेयी सरकार ने हरीश सालवे (जिन्हें आप सभी जानते है ..!! सालवेजी नें, कुलभूषण जाधव का मुकदमा इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में लड़ कर जीता ..) को भारत सरकार का वकील नियुक्त किया ..।।

पर आप जान कर चौंक जाएंगे कि, एनरॉन के वकील पी. चिदंबरम बनें ..!! यानी, पी चिदंबरम भारत के विरुद्ध ..।।

समय बीतता चला गया ..!! बादमें ‘यूपीए’ सरकार बनी ..!! कैबिनेट मंत्री चिदंबरम, एनरॉन की तरफ से मुकदमा नहीं लड़ सकते थे ..!! पर वो कानूनी सलाहकार बने रहे और, वो मुकदमे को एनरॉन के पक्ष में करने में सक्षम थे ..।।

अगला खुलासा और चौकानें वाला है .।।

चिदंबरम ने तुरंत हरीश सालवे को एनरॉन केस से हटा दिया ..।। हरीश साल्वे की जगह, खबर कुरेशी को नियुक्त किया गया ..।।आप ठीक समझे, ये वही पाकिस्तानी वकील है जिसनें, कुलभूषण जाधव केस में, पाकिस्तान सरकार का मुकदमा लड़ा ..।।

कांग्रेस ने भारत सरकार कि तरफ से, पाकिस्तानी वकील को ₹1400/- करोड़ दिये वकील कि फीस के रुप में ..।। अंततः भारत मुकदमा हार गया और भारत सरकार को ₹38,000/- करोड़ का भारी भरकम मुआवजा देना पड़ा ..।। लेकिन, लुटीयन मिडिया ने ये खबर या तो गोल दी या सरसरी तौर पर नहीं दिखाई ..।।

अब सोचिए कि ₹38000/- करोड़ का मुकदमा लडने के लिए फीस कितनी ली होगी ..?? जो पाठक किसी क्लेम के केस मे वकील कि फीस तय करते है उन्हें पता होगा कि, वकील केस देखकर दस प्रतिशत से लेकर साठ प्रतिशत तक फीस लेता है ..।।

सोचिए इस पर कोई हंगामा नही हुआ ..??

अगर ये केस मोदी के समय मे होता, और भारत सरकार कोर्ट में हार जाती तो ..?? चमचो की छोड़िए, भक्त भी डंडा लेकर मोदी के पीछे दोड़ते ..।।

और एक मजेदार बात .. जिन कम्पनियों का एनरॉन मे निवेश करके यह प्रोजेक्ट केवल फाईल किया था उनका निवेश महज मात्र 300 मिलियन डालर .. याने उस वक्त कि डालर रुपया विनियम दर के हिसाब से, महज ₹1530/- करोड़ था, और वह भी बैठे बिठाये ..।। महज सात साल मे ₹38,000/- करोड़ का फायदा ..!! वो भी एक युनिट बिजली का संयंत्र लगाये बिना ..??

कांग्रेस हमारी सोचने की क्षमता से भी ज्यादा विनाशकारी है ..।।

साल्वे की जगह UPA ने अचानक पाक वकील को सौंप दिया था केस, हारा था भारत

आईसीजे में भारत के हीरो रहे हरीश साल्वे ने पाकिस्तानी वकील खावर कुरैशी को अपने तर्कों के आगे बेदम कर दिया। लेकिन, दोनों देशों के नामी वकीलों के बीच यह पहला मुकाबला नहीं था।

कुलभूषण जाधव की फांसी पर रोक को लेकर इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में चले मुकदमे में भारत के सीनियर अधिवक्ता हरीश साल्वे और पाक के खावर कुरैशी के बीच सीधा मुकाबला दिखाई दिया। इस मामले में अदालत ने भारत के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कुलभूषण जाधव की फांसी की सजा पर कोई फैसला आने तक रोक लगाने का आदेश दिया। इस सुनवाई में भारत के हीरो रहे हरीश साल्वे ने पाकिस्तानी वकील खावर कुरैशी को अपने तर्कों के आगे बेदम कर दिया। लेकिन, दोनों देशों के नामी वकीलों के बीच यह पहला मुकाबला नहीं था। दोनों के बीच करीब 15 साल पुरानी प्रतिद्वंद्विता भी थी, जिसमें इस बार साल्वे ने बाजी मार ली।

आईसीजे में कुरैशी के सामने केस लड़ने के लिए साल्वे ने भारत सरकार से महज 1 रुपये की टोकन फीस ली। लेकिन, कुरैशी को परास्त कर उन्होंने भारत को जिताने के साथ ही कुरैशी से पुराना हिसाब भी चुकता कर लिया। 15 साल पहले दाभोल पावर प्रॉजेक्ट बंद करने को लेकर अमेरिकी कंपनी एनरॉन भारत के खिलाफ इंटरनैशनल ट्राइब्यूनल में चली गई थी। भारत के लिए लाखों डॉलर की रकम दांव पर थी। नवंबर, 2002 में भारत के सॉलिसिटर जनरल का पद छोड़ने वाले साल्वे को आर्बिट्रेशन ट्राइब्यूनल में भारत का वकील तय किया गया।

इसके बाद 2004 में यूपीए सरकार सत्ता में आई। सरकार ने अटॉर्नी जनरल मिलन बनर्जी के नेतृत्व में कानूनी अधिकारियों की नई टीम तैयार की। एनरॉन के खिलाफ बड़े मुकदमे में सरकार ने अपना पक्ष रखने के लिए फॉक्स और मंडल लॉ फर्म को चुना। केंद्र सरकार के सूत्रों ने कहा कि साल्वे से पूछा गया था कि क्या वह मामले में भारत के पक्षकार वकील बने रहेंगे? इस पर साल्वे ने सरकार को बताया कि वह 1 लाख रुपये प्रतिदिन की रियायती फीस पर इस मुकदमे को लड़ते रहेंगे।

हालांकि, फैसला बदल दिया गया। फॉक्स और मंडल लॉ फर्म ने खावर कुरैशी को हायर करने की सूचना दी। इस मामले में भारत की दोतरफा हार हुई। एनरॉन से भी केस में हार का सामना करना पड़ा और कुरैशी को मुकदमे की फीस के तौर पर बड़ी रकम देनी पड़ी। साल्वे ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि सरकार बदलने के बाद भी वह ट्राइब्यूनल में भारत के वकील बने रहने को तैयार थे।

 

उन्होंने कहा, ‘ट्राइब्यूनल में भारत को डिफेंड करने का फैसला प्रफेशनल था। लेकिन, मीडिया रिपोर्ट्स के जरिए मुझे पता चला कि इस काम के लिए कुरैशी को हायर कर लिया गया है और मुझे उनका डेप्युटी रहना होगा। यह जानकारी भी मुझे सरकार की ओर से नहीं दी गई थी। इसलिए मैंने भारत को शुभकामनाओं के साथ केस से हटने का फैसला लिया।

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