Tuesday, October 8, 2024
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नारे पाकिस्तान जिंदाबाद के,और बात की खून शामिल देश की मिट्टी में,नमकहराम

असम के सिलचर हवाई अड्डे पर कॉन्ग्रेस के सहयोगी दल एआईयूडीएफ़ (ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट) नेता मौलाना बदरुद्दीन के स्वागत में उमड़े तमाम समर्थकों ने ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाए। घटना का 1.12 मिनट का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। असम के शिक्षा और वित्त मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी यह वीडियो अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर किया है।

उल्लेखनीय बात यह है कि ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ का नारा लगाने वाले एआईयूडीएफ़ का कॉन्ग्रेस पार्टी समर्थन करती रही है और यह कॉन्ग्रेस का सहयोगी दल है। वीडियो में बेहद स्पष्ट रूप से देखा और सुना जा सकता है कि मौके पर मौजूद सैकड़ों समर्थकों की भीड़ पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगा रही है। फ़िलहाल यह वीडियो सोशल मीडिया पर काफी सुर्खियाँ बटोर रहा है।

वीडियो में देखा जा सकता है कि असम के सिलचर हवाई अड्डे पर मौजूद सैकड़ों समर्थकों की भीड़ एआईयूडीएफ़ अध्यक्ष और लोकसभा सांसद मौलाना बदरुद्दीन अजमल का स्वागत करती है। स्वागत के दौरान बदरुद्दीन के समर्थक ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाने लगते हैं।

इस वीडियो को ट्वीट करते हुए असम सरकार में मंत्री हिमांत बिस्वा सरमा लिखते हैं, “देखिए इन कट्टरपंथियों की निर्लज्जता, किस तरह सांसद मौलाना बदरुद्दीन अजमल के स्वागत में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा रहे हैं। इस वीडियो से कॉन्ग्रेस की सच्चाई सामने आ जाती है, जो ऐसी ताकतों से गठबंधन करके उन्हें बढ़ावा दे रहे हैं। हमें ऐसी छद्म शक्तियों का शुरू से लेकर अंत तक सामना करना पड़ेगा।”

हाल ही में असम के मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कॉन्ग्रेस विधायक शेरमन अली की माँग पर सख्त प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था कि गुवाहाटी में श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र में कोई मिया संग्रहालय स्थापित नहीं किया जाएगा। वरिष्ठ मंत्री ने माँग को खारिज करते हुए कहा था कि असम में चार क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की कोई अलग-अलग पहचान और संस्कृति नहीं है।

इसके पहले असम के शिक्षा मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा था कि राज्य के सभी सरकारी मदरसों को बंद करने का निर्णय ‘समानता’ के लिए लिया गया है। असम सरकार ने सभी मदरसों को बंद कर के उन्हें नियमित स्कूलों में तब्दील कर दिया है, जिससे कई इस्लामी विचारधारा वाले लोग नाराज़ हैं। उन्होंने कहा था कि सरकारी पैसे से कुरान नहीं पढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता है (सरकारी पैसों से कुरान पढ़ाया जाता है) तो फिर बाइबिल और भगवद्गीता भी पढ़ानी चाहिए।

 

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