मध्यप्रदेश के छतरपुर में डिप्टी कलेक्टर यानी एसडीएम निशा बांगरे को चुनाव लड़ने के लिए अचानक दिए इस्तीफे के मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली. शीर्ष अदालत ने निशा को उल्टे पैर लौटाया. अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश का इंतजार करें. बीच में ही सुप्रीम कोर्ट आने की जरूरत नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की खंडपीठ ने कहा कि हमें उम्मीद है कि हाईकोर्ट शीघ्र निर्णय सुनाएगा. पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट ने जब सुनवाई कर आदेश रिजर्व कर रखा है तो हमें इसमें दखल देने की जरूरत नहीं है.
बताया जा रहा है कि प्रशासनिक सेवा छोड़कर समाजसेवा करने के लिए राजनीति में जाकर चुनाव लड़ने की मंशा निशा की है. अलबत्ता निशा ने 22 जून 2023 को अपने वरिष्ठ पदाधिकारी प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर अपने आवास के गृह प्रवेश समारोह में उपस्थिति से रोकने और तथागत बुद्ध के अवशेषों के दर्शन करने से वंचित रखने का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया था. लेकिन सरकार ने कई अड़चनें लगाकर उसे मंजूर नहीं किया.
निशा ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. वहां सुनवाई पूरी होकर फैसला सुरक्षित है. इधर विधानसभा चुनाव ही लिए 21 से 30 अक्टूबर के बीच नामजदगी के पर्चे भरे जाने हैं. समय कम है और फैसला न आने से बेचैनी ज्यादा.
बता दें कि मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव- 2023 लड़ने के लिए उम्मीदवारों को नामांकन फॉर्म भरने के लिए केवल 6 दिन का ही समय मिलेगा. क्योंकि चार दिन शासकीय अवकाश है और इन चार दिनों में फॉर्म स्वीकार नहीं किए जाएंगे. प्रदेश की 230 सदस्यीय विधानसभा के लिए 21 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक पर्चा भरा जाना है. फॉर्म वापसी 2 नवंबर तक होगी. मतदान 17 नवंबर को होगा और मतगणना 3 दिसंबर को होगी.