Saturday, July 27, 2024
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सुप्रीम कोर्ट की जमकर फटकार विपक्ष को,जब जीतते हो तो नही रोते, हारते हो पूरे समय रं… रोना

लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण की वोटिंग के बीच शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने वीवीपैट वेरिफिकेशन की मांग को लेकर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है. बैलेट पेपर की मांग को लेकर दर्ज याचिका भी खारिज कर दी गई है.

कोर्ट के इस फैसले से ईवीएम के जरिए डाले गए वोट की वीवीपैट की पर्चियों से शत-प्रतिशत मिलान की मांग को झटका लगा है. ये फैसला जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने सहमति से दिया है.

क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?

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सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसले में साफ कर दिया है कि मतदान ईवीएम मशीन से ही होगा. ईवीएम-वीवीपैट का 100 फीसदी मिलान नहीं किया जाएगा. 45 दिनों तक वीवीपैट की पर्ची सुरक्षित रहेगी. ये पर्चियां उम्मीदवारों के हस्ताक्षर के साथ सुरक्षित रहेगी.

कोर्ट का निर्देश है कि चुनाव के बाद सिंबल लोडिंग यूनिटों को भी सीलकर सुरक्षित किया जाए. यह भी निर्देश दिया गया है कि उम्मीदवारों के पास नतीजों की घोषणा के बाद टेक्निकल टीम द्वारा ईवीएम के माइक्रो कंट्रोलर प्रोग्राम की जांच कराने का विकल्प होगा, जिसे चुनाव घोषणा के सात दिनों के भीतर किया जा सकेगा.

यह फैसला सुनाते हुए जस्टिस खन्ना ने कहा कि वीवीपैट वेरिफिकेशन का खर्चा उम्मीदवारों को खुद ही उठाना पड़ेगा. अगर किसी स्थिति में ईवीएम में छेड़छाड़ पाई गई तो खर्च वापस दिया जाएगा.

 

सुप्रीम कोर्ट ने वीवीपैट (वोटिंग पर्ची दिखाने वाली मशीन) वेरिफिकेशन की माँग पर बड़ा फैसला सुनाते हुए शुक्रवार (26 अप्रैल 2024) को इससे जुड़ी सारी याचिकाएँ खारिज कर दीं। इसके अलावा बैलेट पेपर की माँग को लेकर भी दर्ज याचिकाओं को रद्द किया गया। कोर्ट ने कहा कि मतदान ईवीएम मशीन से होगा और ईवीएम-वीवीपैट का 100 फीसद मिलान नहीं होगा

बता दें कि वीवीपैठ वेरिफिकेशन और बैलेट पेपर से जुड़ा यह फैसला जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने सुनाया है। इस संबंध में एसोसिएशन फार डेमेक्रेटिक रिफार्मस (एडीआर) संस्था और कुछ अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएँ दाखिल की थी। इनमें माँग थी कि वीवीपैट पर्चियों का ईवीएम से 100 प्रतिशत मिलान किया जाए।

कोर्ट ने ये याचिकाएँ खारिज करते हुए कहा कि कोई भी उम्मीदवार नतीजों के 7 दिनों के भीतर ईवीएम के माइक्रोकंट्रोलर के सत्यापन के लिए शुल्क का भुगतान करके दौबारा काउंटिंग की माँग कर सकता है। इसके साथ उन्होंने चुनाव के बाद सिंबल लोडिंग यूनिटों को भी सील कर सुरक्षित रखने का निर्देश दिया।

गौरतलब है कि इस मामले में चुनाव आयोग ने पीठ से कहा था कि ईवीएम और वीवीपैट में किसी तरह की छेड़छाड़ होना मुमकिन ही नहीं है। आयोग ने इस दौरान मशीनों की सुरक्षा, उन्हें सील करने और उनकी प्रोग्रामिंग के बारे में भी सर्वोच्च न्यायालय को अवगत कराया था। बावजूद सभी सबूतों के एडीआर की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण मशीनों में छेड़छाड़ की आशंका पर बात रखते रहे। आखिरकार कोर्ट ने उनसे पूछा भी क्या सिर्फ संदेह के आधार पर कोर्ट ईवीएम के बारे में आदेश दे दें, वो भी तब जब इसके खिलाफ कोई सबूत नहीं है केवल संदेह है।

इससे पहले कोर्ट ने इस मामले पर 24 अप्रैल को फैसला सुरक्षा रखा गया था। उस समय भी कोर्ट ने कहा EVM-VVPAT के मामले में कहा कि जिन लोगों ने याचिकाएँ लगाई हैं वह खुद गडबडियों को लेकर एकदम पुष्ट नहीं हैं बल्कि उन्हें शंका है। कोर्ट ने कहा कि जब उसने इस मामले में समाधान पूछा तो एक व्यक्ति ने कहा कि वापस बैलट पेपर लगा दो। कोर्ट ने यह सारी दलीलें सुनने के बाद मामले में अपना निर्णय सुरक्षित रखा था और आज उन्हीं दलीलों के मद्देनजर सब याचिकाएँ खारिज कर दीं।।

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