शुक्रवार (17 नवंबर 2023) को लगभग 250 रोहिंग्या शरणार्थियों को इंडोनेशिया के पश्चिमी हिस्से से वापस समुद्र में भेज दिया गया, जिससे रोहिंग्या लोगों के सामने खड़े मानवीय संकट को लेकर चिंता बढ़ गई है। हालाँकि स्थानीय लोगों ने उनके खाने-पीने की व्यवस्था नाव पर की और जरूरी सामान रखने के बाद उन्हें वापस समुद्र में भेज दिया।
जानकारी के मुताबिक, म्यांमार में उत्पीड़न से बचने वाले यह समूह गुरुवार को इंडोनेशिया के आचे प्रांत के तट पर पहुँचा था, लेकिन उन्हें अस्वीकृति का सामना करना पड़ा। ऐसा उस देश इंडोनेशिया में हुआ, जहाँ दुनिया की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी बसती है और देश की जनसंख्या का 87 प्रतिशत जनसंख्या मुस्लिम है।
तीन सप्ताह पहले बांग्लादेश से रवाना हुई थी नाव
जानकारी के मुताबिक, रोहिंग्या लोगों से भरी ये नाव बांग्लादेश से तीन सप्ताह निकली थी। तमाम दुश्वारियों को पार कर ये लोग इंडोनेशिया के पश्चिमी हिस्से में पहुँचे थे। आचे प्रांत के तट के पास पहुँचने के बाद कई लोग तैर कर जमीन तक पहुँचे और थकान की वजह से बहोश होकर गिर गए, लेकिन स्थानीय लोगों ने उन्हें थोड़े समय बाद ही वापस नाव पर भेज दिया और नाव को समंदर में ले जाने के लिए मजबूर कर दिया।
ज्यादातर मुस्लिम रोहिंग्या अल्पसंख्यक समुदाय के हजारों लोग मलेशिया या इंडोनेशिया पहुँचने की कोशिश के लिए हर साल लंबी और महंगी समुद्री यात्रा पर अक्सर कमजोर नावों में अपनी जान जोखिम में डालते हैं। इस मामले में एएफपी से बातचीत में स्थानीय नेता सैफुल अफवादी ने कहा, “हम उनकी उपस्थिति से तंग आ चुके हैं क्योंकि जब वे जमीन पर आते थे, तो कभी-कभी उनमें से कई भाग जाते थे। कुछ प्रकार के एजेंट होते हैं जो उन्हें पकड़ लेते हैं। यह मानव तस्करी है।”
उत्तरी आचे के अफवाडी ने कहा कि पड़ोसी उली मैडन और कॉट ट्रुएंग गाँवों में स्थानीय लोगों ने शरणार्थियों को गुरुवार को उनकी नाव वापस समुद्र में ले जाने से पहले भोजन, कपड़े और गैसोलीन सहित आपूर्ति की। उन्होंने कहा कि रोहिंग्याओं ने नावों को नुकसान पहुँचाने की कोशिश की, ताकि उन्हें वापस न लौटाया जा सके, लेकिन स्थानीय लोगों ने उन नावों को मरम्मत करने के बाद उन्हें वापस भेजा।
रोहिंग्या अधिकार संगठन अराकान प्रोजेक्ट के निदेशक क्रिस लेवा ने कहा कि ग्रामीणों के विरोध की वजह से उन्हें लौटना पड़ा। वो तस्करों की मदद से यहाँ तक पहुँचे थे, जो मलेशिया से व्यापारिक रास्ते का फायदा उठाते हैं और लोगों की तस्करी करके अवैध तरीके से इंडोनेशिया भेजने की कोशिश करते हैं। उन्होंने बताया कि स्थानीय लोगों की नाराजगी रोहिंग्या लोगों से नहीं, बल्कि उन्हें यहाँ पर लाने वाले तस्करों और इन नावों को चलाने वालों से है। उन्होंने कहा कि यहाँ से जाने के बाद नाव को ‘ट्रैक’ नहीं किया जा सकता है, ऐसे में उन्हें पता कि नाव में बैठे लोग सुरक्षित हैं भी या नहीं।
एएफपी ने अपने फोटोग्राफर के हवाले से कुछ तस्वीरें भी जारी की है और लिखा है, “नाव से लोग मदद की गुहार लगा रहे हैं। हमारे फोटोग्राफर अमांडा जुफ़रियान ने इंडोनेशिया के आचे प्रांत के उली मैडन में रोहिंग्या शरणार्थियों की ये तस्वीरें खींचीं है। म्यांमार में उत्पीड़ित अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों को ले जा रही नाव तट के ठीक बाहर खड़ी थी और शरणार्थी मदद की गुहार लगा रहे थे। जब निवासियों ने उन्हें उतरने से मना कर दिया तो कुछ लोग किनारे की ओर भागने लगे, वे रेत में गिर पड़े और जहाज के थके हुए यात्रियों से उतरने की अनुमति देने की भीख माँगने लगे।”
बता दें कि एएफपी की 2020 की जाँच में बांग्लादेश के एक विशाल शरणार्थी शिविर से लेकर इंडोनेशिया और मलेशिया तक फैले करोड़ों डॉलर के लगातार विकसित हो रहे मानव-तस्करी अभियान का खुलासा हुआ, जिसमें रोहिंग्या समुदाय के सदस्य ही अपने लोगों की तस्करी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
गौतलब है कि सहायता के अनुरोधों के बावजूद शरणार्थियों को लैंडिंग करने से रोका गया और उन्हें समुद्र में अपनी खतरनाक यात्रा जारी रखने के लिए मजबूर किया गया। यह घटना रोहिंग्या समुदाय की दुर्दशा को उजागर करती है, जिन्हें अक्सर पड़ोसी देशों से वापस कर दिया जाता है और उन्हें असुरक्षित जल में अपनी जान जोखिम में डालने के लिए छोड़ दिया जाता है।
Rohingya refugees invade indonesia via multiple wooden boats from Myanmar.
Unlike western countries, Indonesia, an Islamic country has reportedly sent 250 Rohingyas back to sea.
Angry loacals had reached coast of Aceh province and told them not to land the boat and sent them… pic.twitter.com/53QAfIZtqP
— Megh Updates 🚨™ (@MeghUpdates) November 18, 2023