अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच दुश्मनी पुरानी है. मुस्लिम मुल्क होने के बावजूद दोनों एक दूसरे को देखना तक पसंद नहीं करते. लेकिन इस बार अफगानिस्तान में हुकूमत कर रही तालिबान सरकार ने पाकिस्तान को जो झटका दिया है, उसे पाकिस्तानी हुक्मरान कभी नहीं भूल पाएंगे. तालिबान ने जम्मू-कश्मीर के कब्जे वाले क्षेत्र (POK) पर पाकिस्तान के दावे को मानने से इनकार कर दिया है.
दरअसल, तालिबान ने तीन दशक में पहली बार अफगानिस्तान की सीमाओं का मूल्यांंकन किया है. इसमें पाकिस्तान, तजाकिस्तान और जम्मू कश्मीर के साथ लगने वाली सीमाओं का मूल्यांकन भी शामिल है. तालिबान के सीमा एवं जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने कहा, हमने पाकिस्तान के साथ लगने वाली काल्पनिक रेखा (संभवतः डूरंड लाइन), ताजिकिस्तान और जम्मू और कश्मीर के साथ आधिकारिक सीमाओं का मूल्यांकन किया है. तीन दशक से इन सीमाओं का मूल्यांकन नहीं किया गया. तालिबान सरकार का यह बयान भारत के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है, वहीं पाकिस्तान के लिए झटके की तरह है.
पाकिस्तान का झूठा दावा
दरअसल, पीओके का एक हिस्सा अफगानिस्तान के वाखान कॉरिडोर से मिलता है. वर्षों से पाकिस्तान पीओके पर दावा करता है. उसे अपना राज्य बताने की झूठी कोशिश करता है. हालांकि, भारत बार-बार कहता है कि यह पूरा इलाका भारत का अभिन्न अंग है. कई बार इसे वापस लेने की बातें भी की जाती हैं. ऐसे में तालिबान का बयान बताता है कि वह पीओके पर पाकिस्तान के दावे को स्वीकार नहीं करता. ये वही स्टैंड है, जो भारत शुरू से कहता रहा है. भारत ने कभी पीओके को मान्यता ही नहीं दी.
करीब 30 लाख लोग रहते वहां
बता दें कि पीओके का कुल क्षेत्रफल करीब 13 हजार वर्ग किलोमीटर है, जहां करीब 30 लाख लोग रहते हैं. वैसे तो यह हिस्सा अधिकतर गुमनामी में रहता है लेकिन पीओके पर सीधे तौर पर पाकिस्तान का दखल है. पाक अधिकृत कश्मीर का प्रमुख राष्ट्रपति होता है और मुख्य कार्यकारी अधिकारी के तौर प्रधानमंत्री होता है, जो अपने मंत्रियों की परिषद के साथ काम करता है. पाक अधिकृत कश्मीर दावा करता है कि उसकी अपनी सरकार है लेकिन सच ये है कि ये सरकार पाकिस्तान के नियंत्रण में ही काम करती है. पीओके का अपना सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट भी है.