Sunday, June 29, 2025
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पाकिस्तान के न्यूक्लियर बेस नूर खान पर अमेरिका का कब्जा

नूर खान एयरबेस पर भारत ने हमला किया था. (File Photo)

नई दिल्‍ली. क्‍या पाकिस्‍तान का नूर खान एयरबेस अमेरिका की कस्‍टडी में है? क्‍या अमेरिका एयरबेस की मदद से इस रीजन में अपनी पकड़ को फिर से मजबूत कर रहा है? यह दावा हम नहीं कर रहे हैं बल्कि अमेरिका के एक रक्षा विशेषज्ञ की तरफ से इस तरह की बात कही गई है. पाकिस्तानी पत्रकार और विशेषज्ञ यूसुफ गुल ने दावा किया है कि रावलपिंडी में स्थित नूर खान एयरबेस पर अमेरिका का नियंत्रण है और पाकिस्तानी सेना के अधिकारियों को भी इस बेस में हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं है.

यह दावा इस वक्‍त सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. गुल ने एक इंटरव्‍यू के दौरान कहा कि नूर खान एयरबेस पाकिस्तान वायुसेना का एक महत्वपूर्ण केंद्र है, लेकिन अब ये अमेरिकी सेना के अधीन है. इस बेस पर बार-बार अमेरिकी विमानों को देखा गया है, लेकिन उनके कार्गो की जानकारी पारदर्शी नहीं है. यह बेस बेनजीर भुट्टो अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और PAF कॉलेज चकलाला का भी हिस्सा है.

नूर खान एयरबेस सैन्‍य मुख्‍यालय के करीब

नूर खान एयरबेस रावलपिंडी में पाकिस्तान के सैन्य मुख्यालय के निकट स्थित है और इसे पाकिस्तान की हवाई गतिविधियों का केंद्रीय माना जाता है. गुल ने अपने बयान में संकेत दिया कि अमेरिकी सेना की मौजूदगी के कारण पाकिस्तानी सेना के अधिकारियों को इस बेस के संचालन में कोई भूमिका नहीं दी जा रही. उन्होंने यह भी दावा किया कि बेस पर होने वाली गतिविधियों की जानकारी को गुप्त रखा जा रहा है, जिससे संदेह और बढ़ता है. सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म X पर कई यूजर्स ने इस दावे को साझा करते हुए सवाल उठाया कि क्या पाकिस्तान का कोई हिस्सा अब पूरी तरह उसके खुद के नियंत्रण में है, क्योंकि CPEC मार्गों और बंदरगाहों पर चीन का प्रभाव पहले से ही चर्चा में है.

पाकिस्तान की संप्रभुता पर खतरा

यह दावा ऐसे समय में आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच हाल के तनावों ने क्षेत्रीय सुरक्षा पर सवाल खड़े किए हैं. हालांकि गुल के दावों की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. न ही अमेरिका या पाकिस्तान सरकार ने इस पर कोई बयान जारी किया है. अगर यह सच है तो खुलासा पाकिस्तान की संप्रभुता और क्षेत्रीय भू-राजनीति पर गंभीर सवाल उठाता है. साथ ही पाकिस्तान की सैन्य स्वायत्तता पर एक बड़ा सवालिया निशान है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के दावों की स्वतंत्र जांच जरूरी है, ताकि सच्चाई सामने आ सके.

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