2014 में सिर्फ 2 कम्पनियों ने भारत मे मोबाइल बनाया अब 2020 में 250 कम्पनियां बना रही हैं
लद्दाख में चीन की हिमाकत का जवाब देने के लिए भारत ने जो कुछ भी किया है उसे अमेरिका, ब्रिटेन, जापान और आस्ट्रेलिया सहित सभी बड़े देशों का समर्थन मिला है। केंद्रीय मंत्री एवं बिहार के पटना साहिब से सांसद रविशंकर प्रसाद ने बिहारी एनआरआई से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बातचीत में कहा कि भारत मैन्युफैक्चरिंग का हब बन रहा है। एपल की 8 फैक्ट्रियां भी चीन छोड़कर भारत आ चुकी हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि चीन के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साहसिक कदम को अमेरिका, ब्रिटेन, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने समर्थन दिया है। उन्होंने कहा कि जब लद्दाख में चीन के साथ तनाव पैदा हुआ, तो हमारे पीएम मजबूती से खड़े रहे और यह स्पष्ट कर दिया कि भारत अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता से कभी कोई समझौता नहीं करेगा। भारत के इस साहसिक रूख को विश्व स्तर पर अमेरिका, ब्रिटेन और जापान साथ मिला।
चीन से भारत आ रही कंपनियां
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि भारत एक बड़े मैन्युफैक्चरिंग केंद्र के रूप में उभर रहा है और ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग इको सिस्टम भी यह महसूस कर रहा है कि उनके पास चीन के अलावा अन्य विकल्प भी होने चाहिए। उन्होंने कहा कि मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि एपल एक महत्वपूर्ण तरीके से भारत में बदलाव कर रहा है। सैमसंग भारत में पहले ही आ चुका है और आगे भी विस्तार करना चाहता है।
भारत आर्थिक शक्ति बन रहा है
उन्होंने आगे कहा कि जब हम 2014 में सत्ता में आए थे, तब भारत में केवल दो मोबाइल कारखाने थे, अब इसकी संख्या 250 के पार हो गई है। हमने उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन के साथ आत्मनिर्भर भारत को लॉन्च किया। हमने वैश्विक कंपनियों को भारत आने के लिए आमंत्रित किया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जब हम आत्मनिर्भर भारत के बारे में बात करते हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि हम खुद को अलग करना चहते हैं, लेकिन इसका मतलब है कि भारत दुनिया की एक प्रमुख अर्थव्यवस्था होने के नाते वैश्विक अर्थव्यवस्था का समर्थन करने के लिए आर्थिक शक्ति बन रहा है।