Friday, December 6, 2024
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राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र में आदिवासियों की जमीन,चर्च को 100₹ एकड़ में,हाई कोर्ट ने वापस दिलाई

 

वायनाड में चर्च ने जमीन कब्जाया, सरकार ने ₹100 प्रति एकड़ पर दे दिया पट्टा: केरल HC ने रद्द किया आवंटन, कहा- यह जनजाति समाज के सीने में चाकू घोंपने जैसा

केरल उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार द्वारा कल्लोदी सेंट जॉर्ज फोरेन चर्च को सिर्फ 100 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से 5.5358 हेक्टेयर (लगभग 13.7 एकड़) भूमि के आवंटन को रद्द कर दिया है। केरल सरकार ने यह आवंटन साल 2015 में किया था। चर्च ने उस भूमि पर अतिक्रमण कर लिया था। इसके बाद राज्य सरकार ने उस सरकारी भूमि को चर्च को आवंटित कर दिया था।
जस्टिस पीवी कुन्हिकृष्णन ने कहा कि सरकार का यह निर्णय जनजातीय समुदायों के लोगों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है, क्योंकि जिले में सैकड़ों भूमिहीन जनजातीय समुदाय के लोग कृषि तथा आवासीय भूखंडों की प्रतीक्षा कर रहे थे। कोर्ट ने कहा कि सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करने वाले किसी लाभ के हकदार नहीं हैं। अतिक्रमण वाली संपत्ति आवंटित करने में कोई सार्वजनिक हित नहीं है।
कोर्ट ने कहा, “गरीब भूमिहीन जनजातीय समुदाय को लोग अपनी आजीविका और कृषि के लिए भूमि पाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं… ऐसी स्थिति में एक्सटेंशन पी 5 (सरकारी आदेश) के तहत भूमि असाइनमेंट की शक्तियों का उपयोग करते हुए 5वें प्रतिवादी (चर्च) को बड़ी सरकारी भूमि सौंपी जाती है।”
कोर्ट ने आगे कहा, “मेरी राय है कि यह न केवल अवैध है, बल्कि याचिकाकर्ताओं (जनजातीय समुदाय को लोगों) सहित जनजातीय समुदाय के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। यह वायनाड में हमेशा मुस्कुराते रहने वाले मासूम जनजातीय लोगों के दिलों पर चाकू से वार करने के अलावा और कुछ नहीं है।” बता दें कि वायनाड में जनजातीय समुदाय के लोगों की आबादी लगभग 20 प्रतिशत है।

न्यायालय ने कहा, “किसी भी व्यक्ति को सरकारी भूमि की रजिस्ट्री पर असाइनमेंट का दावा करने का कोई अधिकार नहीं है। सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करने और उस पर अवैध निर्माण करने से अतिक्रमणकारियों को कोई अधिकार नहीं मिलेगा। सरकारी भूमि को वंचितों को आवंटित किया जाना चाहिए, न कि अमीर और शक्तिशाली लोगों को।”
कोर्ट ने यह भी कहा कि चर्च को वर्तमान बाजार मूल्य पर संपत्ति खरीदने का अवसर दिया जाना चाहिए। यदि चर्च सहमत नहीं है तो सरकार को भूमि वापस ले लेनी चाहिए और इसे पात्र व्यक्तियों में वितरित करना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि यदि चर्च जमीन खरीदता है तो उसकी बिक्री से प्राप्त पूरी राशि का उपयोग वायनाड में जनजातीय समुदाय के कल्याण के लिए किया जाना चाहिए।
दरअसल, कोर्ट का यह फैसला वायनाड में भूमिहीन जनजातीय समुदाय से आने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं के एक समूह द्वारा दायर याचिका पर दिया गया था। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया कि जुलाई-अगस्त 2001 में 32 जनजातीय लोगों की भूख से मौत हो गई थी। विरोध प्रदर्शन के बाद राज्य सरकार के साथ सात सूत्री समझौता हुआ था। इसमें उन्हें पाँच एकड़ जमीन देने की बात कही गई थी।
कोर्ट को यह बताया गया कि चर्च ने 1962 के बाद से वायनाड जिले के मननथावडी तालुक में 5.5358 हेक्टेयर भूमि पर अवैध रूप से अतिक्रमण किया था। चर्च ने उस भूमि का पट्टाया (भूमि दस्तावेज) प्राप्त करने के लिए कई जगहों पर आवेदन किया, लेकिन वह खारिज हो गया। इसके बाद राज्य सरकार ने ₹100 प्रति एकड़ की दर से भूमि सौंपने के लिए एक सरकारी आदेश जारी किया गया था।

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