महाराष्ट्र में हुए पंचायत चुनाव में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी है। वहीं शिवसेना ने दावा किया है कि सत्ताधारी गठबंधन ‘महा विकास अघाड़ी (MVA)’ को राज्य की ग्रामीण जनता ने पहली पसंद बनाया है। मुखपत्र ‘सामना’ के माध्यम से पार्टी ने कहा कि केंद्रीय जाँच एजेंसियों की मदद से ‘राजनीतिक क्रांति’ नहीं आ सकती। उसने भाजपा को जनादेश शिरोधार्य करने की सलाह देते हुए कहा कि ऐसा न करने पर जनता पार्टी को और नुकसान पहुँचाएगी।
महाराष्ट्र पंचायत चुनाव में भाजपा को जहाँ 3263 सीटें मिली हैं, वहीं शिवसेना 2808 पर आकर रुक गई। शरद पवार की NCP दूसरे नंबर की पार्टी बन कर उभरी, जिसकी सीटों की संख्या 3000 से मात्र 1 कम रही। कॉन्ग्रेस भी 2151 सीटें जीतने में कामयाब रही। राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का प्रदर्शन बहुत ही बुरा रहा और पार्टी को 31 सीटों से संतोष करना पड़ा। अन्य के खाते में 2510 सीटें गईं।
राज्य में 12,711 ग्राम पंचायतों के लिए चुनाव हुए थे, जिसमें 1.25 लाख उम्मीदवार उम्मीदवार विभिन्न पदों पर विजयी हुए। इन चुनावों को पार्टी के सिंबल पर नहीं लड़ा जाता, लेकिन राजनीतिक पार्टियाँ अपने पैनल चुनावी मैदान में उतारती हैं। या फिर उम्मीदवारी पर निर्णय को स्थानीय नेताओं के हवाले कर दिया जाता है। जहाँ MVA जीत का दावा कर रहा है, भाजपा और मजबूत होकर उभरने और सबसे बड़ी पार्टी होने का दम भर रही।
हालाँकि, अभी भी इन आँकड़ों में कुछ बदलाव आ सकता है क्योंकि पार्टियों ने अलग-अलग आँकड़े तो दिए ही हैं, साथ ही कुछ सीटों के लिए मतगणना अभी भी जारी है। अब एक सप्ताह के बाद विभिन्न पंचायत स्तर की समितियों का चुनाव होगा, जिसके लिए चारों पार्टियाँ जुट गई हैं। शरद पवार ने कहा है कि पंचायत स्तर पर भी MVA गठबंधन उसी तरह काम करेगा, जैसे मुंबई में सरकार चल रही है।
उद्धव ठाकरे का अब तक का पूरा कार्यकाल ही विवादों से भरा रहा है। जहाँ शुरू में विधायकों को रिसोर्ट में डालने से सब कुछ शुरू हुआ था, वहीं जून 2020 में सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद सरकार के खिलाफ असंतोष भड़का। कंगना रनौत जैसे आलोचकों के खिलाफ कार्रवाई की गई। बॉलीवुड माफिया को संरक्षण देने का आरोप लगा। अब सीएम के एक बयान के बाद कर्नाटक से राज्य का झगड़ा फिर शुरू हो गया।