मौलाना का हुआ एक्सीडेंट, पुलिस अपनी गाड़ी में ले गई अस्पताल… फैलाया मुस्लिम की मॉब लिंचिंग का झूठ: कहा- भीड़ ने पीटकर मार डाला, हिंदू सही में हिंसक
झारखंड के कोडरमा जिले में हुई एक मौलाना की मौत पर पूरा इस्लामी-वामपंथी गैंग एक्टिव हो गया। मौलाना की मौत को लेकर कई इस्लामी हैंडल्स और ‘मुस्लिम पत्रकारों’ ने फर्जी दावे किए और झूठ फैलाया। इन लोगों ने झूठ फैलाते हुए दावा कि मुस्लिम को एक हिन्दू महिला को टक्कर मारने के कारण भीड़ ने मार दिया। मृतक मौलाना कोडरमा के बरकट्ठा इलाके में बसरामो तुर्काबाद में इमाम था।
मीर फैसल की लिखी ऑब्जर्वर पोस्ट में प्रकाशित एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि घुटारी करिया के पास अपनी बाइक से लौटते समय मौलाना की भीड़ ने पिटाई की, जिससे उसकी मौत हो गई। रिपोर्ट में आगे दावा किया गया है कि उसकी बाइक एक ऑटो से टकरा गई, इसमें पास के एक गाँव की महिला अनीता देवी अपने पति और देवर के साथ बैठी थी। महिला को बाइक टकराने के बाद गंभीर चोटें आईं। रिपोर्ट में आगे दावा किया गया कि मृतक के बेटे और AIMIM नेताओं ने इस मामले में मॉब लिंचिंग का आरोप लगाया है।
इस्लामवादियों के फर्जी दावे – मुस्लिम पहचान के कारण हुआ हमला
घटना के बाद, इस्लामवादियों ने सोशल मीडिया पर एक झूठी कहानी फैलानी शुरू कर दी कि एक हिंदू भीड़ ने मौलाना को पीट-पीटकर मार डाला। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में मौलाना के चेहरे पर खून बहता हुआ दिखाई दे रहा है। एक ‘कथित पत्रकार’ नसीर गियास ने शहाबुद्दीन की मौत को एक महीने में मुस्लिमों की ‘मॉब लिंचिंग’ सातवीं घटना करार दे दिया।
गियास ने पोस्ट किया, “यह भारत में एक महीने के भीतर मुस्लिम की सातवीं मॉब लिंचिंग है। झारखंड के कोडरमा जिले के रघुनियाडीह के इमाम मौलाना शहाबुद्दीन को बाइक से घर लौटते वक्त भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला।”
एक अन्य ‘कथित पत्रकार’ वारिस मसीह ने मौलाना की मौत का जिम्मेदार मोदी सरकार और ‘गोदी मीडिया’ को बताया और कहा कि मुसलमानों के प्रति मोदी सरकार की ‘नफरत के कारणअसहिष्णुता और हिंसा को बढ़ावा मिला है।
मसीह ने लिखा, ”मौलाना शहाबुद्दीन की दुखद मौत के लिए मोदी सरकार और गोदी मीडिया जिम्मेदार हैं, जिनकी मुसलमानों और अल्पसंख्यकों के प्रति निरंतर नफरत ने हिंसा और असहिष्णुता को बढ़ावा दिया है। अगर नफरत की इस लहर को रोका नहीं गया, तो एक दिन ऐसा आएगा जब कोई भी सुरक्षित नहीं रहेगा। मौन बहुसंख्यकों बोलों।”
महमूद अहमद ने एक कदम आगे बढ़कर इस मामले में हिंदुत्व को घसीट लिया और आरोप लगाया कि मौलाना की हत्या हिंसक ‘हिंदुत्ववादी भीड़’ ने की। अहमद ने लिखा, “झारखंड: कोडरमा में मौलाना की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी। मौलाना शहाबुद्दीन की बाइक एक ऑटो से टकरा गई और महिला चोटिल हो गई। उसके पति महेन्द्र यादव ने पास के क्रिकेट मैदान से युवकों को बुलाया और कथित तौर पर उनकी पिटाई की। हिंदुत्व सही में हिंसक है।”
हेट डिटेक्टर नाम के अकाउंट ने भी यही झूठ चलाया। स्क्रॉल के लिए लिखने वाले एक शाहनवाज राणा ने भी यही झूठ प्रसारित करने का प्रयास किया।
भारत विरोधी पत्रकार राणा अय्यूब ने भी इस झूठ को हवा दी और लिखा, “पहलू, अखलाक और जुनैद की लिंचिंग ने लोगों में आक्रोश और आक्रोश पैदा किया और राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरीं। सड़कों पर मुसलमानों की लिंचिंग को इस हद तक सामान्य बना दिया गया है कि वह अब अखबारों में भी नहीं आते।”
झारखंड पुलिस ने नकारे दावे
जहाँ सोशल मीडिया पर इस्लामी हैंडल्स इस मामले को मॉब लिंचिंग बता रहे हैं, वहीं झारखंड पुलिस ने इन दावों का खंडन किया है। झारखंड पुलिस ने बताया है कि इसमें कोई सांप्रदायिक पहलू नहीं है। पुलिस ने यह भी पुष्टि की है कि दुर्घटना के बाद अस्पताल ले जाए गए मौलाना ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया।
पुलिस ने कहा, “इमाम को दुर्घटना के कारण चोटें आईं। इसमें कोई धार्मिक एंगल नहीं है। उन्हें पुलिस की गाड़ी में अस्पताल ले जाया गया, लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। उनके शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।”
गौरतलब है कि इस महीने की शुरुआत में भी मुस्लिमों को लेकर झूठा नैरेटिव प्रचारित किया गया था। हत्या की अलग-अलग घटनाओं को झूठी कहानी गढ़ी गई थी, इनमें पीड़ित मौलाना या इमाम थे। इन सब अलग-अलग कारणों से हुई घटनाओं को आधार बनाकर यह प्रचार करने की कोशिश की गई थी कि मुस्लिम खतरे में हैं।