Saturday, June 21, 2025
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विजय माल्या से बाकी है 7000 करोड़₹ लेना,ड्रामा कर रहा था कि दे दिया

झूठ बोल रहे विजय माल्या, अभी भी 7000 हजार करोड़ रुपये बकाया; कर्ज चुकाने के दावे पर सरकार

माल्या के दावों को खारिज करते हुए सरकार ने कहा कि अभी भी 7,000 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है। माल्या का दावा है कि बैंकों ने उ
माल्या का दावा है कि बैंकों ने उनकी संपत्तियों से 14,131.6 करोड़ रुपये की वसूली कर ली, जो उनके कर्ज से अधिक है।
कर्मचारियों और यात्रियों के टैक्स के पैसे तक खा गए विजय माल्या, अब पॉडकास्ट में खेल रहे ‘विक्टिम कार्ड’: अभी भी बैंकों का ₹7000 करोड़ बकाया

विजय माल्या – ये एक ऐसा नाम है जो कभी भोग-विलासिता वाली समृद्ध जीवनशैली का एक पर्यायवाची हुआ करता था। कभी उन्हें ‘किंगफ़िशर’ के कैलेंडर लॉन्च के कार्यक्रमों में बिकनी मॉडल्स के साथ देखा जाता था, तो कभी उन्हें शिल्पा शेट्टी और कैटरीना कैफ जैसी अभिनेत्रियों के साथ देखा जाता था। कभी वो आकर्षक शहर सॉसलिटो में मैनशन ख़रीदने के लिए चर्चा में रहे, तो कभी वो IPL टीम ‘रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु’ (RCB) को ख़रीदने के कारण चर्चा में रहे। लेकिन, दो-दो बार निर्दलीय राज्यसभा सांसद बनने वाले विजय माल्या का साम्राज्य ऐसा ध्वस्त हुआ कि उन्हें भारत से भागना पड़ा।

अपने पिता के निधन के बाद 1983 में 28 वर्ष की उम्र में ‘यूनाइटेड ब्रुअरीज’ के चेयरमैन बने विजय माल्या देश छोड़कर भागने के 9 वर्ष बाद एक बार फिर से चर्चा में हैं। कारण – राज शमानी के साथ उनका पॉडकास्ट। 4 घंटे 18 मिनट से भी अधिक के इस पॉडकास्ट के बाद कुछ लोगों में उनके प्रति सहानुभूति जाग रही है। शायद इस पॉडकास्ट का लक्ष्य भी यही रहा हो। डाक्यूमेंट्स लेकर इस पॉडकास्ट में पहुँचे विजय माल्या ने ख़ुद को पीड़ित साबित करने की पूरी कोशिश की है और कहा है कि उन्होंने कोई धोखाधड़ी नहीं की, वो तो लोन वापस लौटाना चाहते थे।

राज शामानी का पॉडकास्ट, विजय माल्या का ‘विक्टिम कार्ड’

जिस तरह से विजय माल्या ने इस पॉडकास्ट में अरुण जेटली का नाम घसीटा है, उसके बाद एक ख़ास समूह को मोदी सरकार पर भी हमलावर होने का मौका मिल गया है। विजय माल्या का कहना है कि दिल्ली से देश छोड़कर भागने से पहले उन्होंने अरुण जेटली को बता दिया था। माल्या बताते हैं कि वो अरुण जेटली के दफ़्तर नहीं गए थे, या फिर उनके साथ कोई बैठक नहीं की थी – बल्कि चलते-चलते बता दिया था कि वो जा रहे हैं। तब भारत के वित्त मंत्री रहे अरुण जेटली अब इन आरोपों का जवाब देने के लिए इस देश में नहीं हैं।

इससे पहले सितंबर 2018 में भी विजय माल्या ने अरुण जेटली का नाम घसीटा था। तब भी विजय माल्या लंदन कोर्ट के इकट्ठा पत्रकारों से कहा था कि वो सेटलमेंट ऑफर लेकर अरुण जेटली से मिले थे। हालाँकि, अरुण जेटली ने इसे नकारते हुए कहा था कि ये सिर्फ़ कुछ ही मिनटों की मुलाक़ात थी जिसमें विजय माल्या ने कहा कि वो एक सेटलमेंट ऑफर तैयार कर रहे हैं। दोनों ही उस समय राज्यसभा सदस्य थे, ऐसे में सदन के गलियारों में एक सांसद द्वारा दूसरे से कुछ फुसफुसाने को ‘बैठक’ तो कम से कम नहीं ही कह सकते हैं।

अरुण जेटली ने तभी साफ़-साफ़ कह दिया था कि उन्होंने मुलाक़ात के लिए 2014 के बाद विजय माल्या को कभी अपॉइंटमेंट दिया ही नहीं। उन्होंने राज्यसभा सांसद होने का फ़ायदा उठाया और टहलते हुए उनके पास आकर ऑफर वाली बात कही। बकौल अरुण जेटली, वो विजय माल्या के झाँसा वाले ऑफर्स से बखूबी परिचित थे और उन्होंने स्पष्ट कह दिया कि उनसे इसपर बात करने काकोई तुक नहीं है, वो ये ऑफर लेकर बैंकों के पास जाएँ। यानी, इस एक वक्त के आदान-प्रदान को विजय माल्या ने अबतक कहकर पेश किया। जबकि अरुण जेटली ने उन्हें आगे बातचीत का मौका तक नहीं दिया था।

अब भी विजय माल्या के पास बैंकों का भारी बकाया

विजय माल्या एक और दावा ये कर रहे हैं कि जो लोन उन्होंने लिया था वो तो उन्होंने चुका दिया है। ये ऐसा ही है जैसे कोई चोर कहे कि उसने 10 साल पूर्व किसी के घर को खाली किया था तो अब उसके ख़िलाफ़ सिर्फ़ इसीलिए कोई मामला नहीं बनता क्योंकि उसने लूटे हुए सामान लौटा दिए हैं। एक सच ये भी है कि विजय माल्या के पास अभी भी बैंकों के 7000 करोड़ रुपए बकाया हैं। बैंकों ने बताया है कि कुल बकाया 17,781 करोड़ रुपए का था, जिसमें से 10,815 करोड़ रुपए वसूले जा चुके हैं। यानी, 6997 करोड़ रुपए अब भी वसूले जाने बाकी हैं। उधर विजय माल्या का दावा है कि उनका लोन केवल 6200 करोड़ रुपए का ही था, जिसके बदले वो 14,000 करोड़ रुपए का भुगतान कर चुके हैं।

ये तो एक आम आदमी भी जानता है कि कोई भी ऋण ब्याज के साथ आता है। इससे आगे जानने वाली बात ये है कि इस ब्याज के ऊपर से भी एक ब्याज लगता है, जिसे पीनल इंटरेस्ट कहते हैं। विजय माल्या जैसे लोग जो समय पर लोन नहीं चुकाते और बैंकों के साथ सहयोग नहीं करते, उन्हें पीनल इंटरेस्ट भी देना होता है। इसीलिए, बैंक द्वारा दिए गए आँकड़ों और विजय माल्या के दावों में फ़र्क़ है। PMLA कोर्ट के आदेश के बाद जाँच एजेंसियाँ गोवा स्थित किंगफ़िशर बंगला समेत विजय माल्या की कई जब्त संपत्तियों को नीलाम कर चुकी है, क्योंकि ऋण वापस वसूलने का कोई और तरीका नहीं बचा था। विजय माल्या के खिलाफ ‘ऋण वसूली अपीलीय न्याधिकरण’ (DBT) में भी मामला चल रहा है। SBI, PNB, IDBI और Uco बैंक समेत 17 ऐसे बैंक हैं जिनका पैसा लेकर विजय माल्या भागे थे। उनपर केवल लोन न चुकाने का ही नहीं, बल्कि फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले भी चल रहे हैं।

बात ये है कि अब ये मामला सिर्फ़ विजय माल्या से जुड़ा हुआ नहीं है। IDBI बैंक के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर रहे योगेश अग्रवाल को विजय माल्या से जुड़े मामले में ही CBI ने गिरफ़्तार किया था। बैंक के पूर्व एग्जीक्यूटिव BK बत्रा भी गिरफ्तार हुआ था। जनवरी 2017 में इनके अलावा 7 अन्य भी गिरफ़्तार किए गए थे। इनमें किंगफिशर चीफ फाइनेंसियल ऑफिसर A रघुनाथन के अलावा 3 अन्य अधिकारी भी शामिल थे। आरोप है कि इन दोनों ने विजय माल्या को लेकर पक्षपात किया। यानी, उन्हें अनुचित तरीके से फ़ायदा पहुँचाया। किंगफिशर एयरलाइन्स के कमजोर वित्तीय रिकॉर्ड्स होने के बावजूद उसे 1000 करोड़ रुपए का लोन दिया गया। IDBI बैंक के जनरल मैनेजर रहे बुद्धदेव दासगुप्ता का नाम भी CBI की सप्लीमेंट्री चार्जशीट में था।

कर्मचारियों में हाहाकार, अय्याश में डूबे माल्या

CBI इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की चार्जशीट भी दायर कर चुकी है। ये मामला सिर्फ़ लोन लेकर न चुकाने का नहीं है। अब ये मनी लॉन्ड्रिंग का भी है। ये ‘Wilfull Default’ का है, अर्थात जानबूझकर लोन न चुकाना। बैंक और कंपनी के अधिकारियों के गिरफ़्तार होने का कारण ये है कि इन सबने मिलकर साजिश रची। विजय माल्या ‘Wilfull Defaulter’ इसीलिए हैं, क्योंकि जब किंगफ़िशर एयरलाइन्स डूब रही थी उस समय उन्हें न लोन चुकाने की पड़ी थी और न कर्मचारियों को वेतन देने की। आज अपनी छवि चमकाने में लगे विजय माल्या का बचाव किसी वेब सीरीज के लिए तो ठीक आईडिया है, लेकिन वास्तविकता इससे भिन्न है।

2008 और 2015-16 में जब किंगफिंगशेर एयरलाइन्स के कर्मचारियों में वेतन को लेकर हाहाकार मचा था तब विजय माल्या विदेशों में संपत्तियाँ ख़रीदने में व्यस्त थे। इन 2 वर्षों में इंग्लैंड और फ्रांस में उन्होंने 330 करोड़ रुपए की संपत्तियाँ ख़रीदीं। विजय माल्या ने ‘फोर्स इंडिया फॉर्मूला वन लिमिटेड टीम’ (F1F1) टीम भी बनाई थी। जाँच में पता चला कि किंगफ़िशर एयरलाइन्स के बैंक खातों से इस टीम के बैंक खातों में 241 करोड़ रुपए भेजे गए। जिस खाते में पैसा भेजा गया वो लंदन के HSBC बैंक का था। लंदन के जिस लेडीवॉक प्रॉपर्टी में विजय माल्या रहते हैं, उसे भी 80 करोड़ रुपए में ख़रीदा गया था।

आइए, अब जो विजय माल्या कह रहे हैं कि वो फ्रॉड नहीं हैं उनकी कुछ और करतूतों के बारे में खुलासा किया जाए, क्योंकि शब्दों की चासनी में कई बार तथ्य छिप जाते हैं क्योंकि वो जटिल होते हैं। 2016 में विजय माल्या को डियागो PLC से $40 मिलियन मिले, जो अभी की तारीख़ में 342 करोड़ रुपए से भी अधिक होती है। विजय माल्या ने अपनी कंपनियों के जरिए जो लोन लिए थे, उनमें पर्सनल गारंटी एग्रीमेंट ये कहती थी कि इस धनराशि को वो अलिएनेट नहीं कर सकते थे। इसके बावजूद विजय माल्या ने इन रुपयों को अपने बेटे और परिजनों के खाते में भेज दिए। ये सीधा-सीधा बैंकों के साथ दिसंबर 2010 में हुए करार का उल्लंघन था, क्योंकि डियागो द्वारा दी गई ये धनराशि ‘एसेट’ की श्रेणी में आती थी।

ऐसा व्यक्ति जब कहे कि वो फ्रॉड नहीं है तो आश्चर्य होता है। 2017 में स्विस बैंकों के दस्तावेजों की मानें तो विजय माल्या की संपत्ति $1 बिलयन डॉलर (अभी की तारीख में 8500 करोड़ रुपए) थी। सिद्धार्थ माल्या के एक खाते में भी $13.33 मिलियन डॉलर भेजे गए थे। विजय माल्या ने किंगफ़िशर एयरलाइन्स के जरिए $60 मिलियन का एक एयरक्राफ्ट ख़रीदा था। इस एयरक्राफ्ट ने को एक डूबती हुई कंपनी के राजस्व में वृद्धि के लिए ख़रीदा गया था, ऐसा समझने की भूल मत कीजिए। ये एयरक्राफ्ट विजय माल्या की लग्जरियस लाइफस्टाइल के एक उपकरण के रूप में ख़रीदा गया था। इसका इस्तेमाल उन्होंने अपने और दोस्तों के व्यक्तिगत दौरों के लिए किया। इस एयरक्राफ्ट के संचालन में 100 करोड़ रुपए का ख़र्च आया। ये पैसा लोन का था।

 

 

केवल बैंक लोन का नहीं है मामला, मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर आपराधिक षड्यंत्र तक

सीधी भाषा में समझें तो अगर आप अगर आप जानबूझकर क़ानून तोड़ते हैं तो आप अपराधी हैं, क्योंकि इंटेंट मायने रखता है। अगर उन्हें ख़ुद के निर्दोष होने का इतना ही यकीन होता तो वो बतौर राज्यसभा सांसद डिप्लोमेटिक पासपोर्ट का दुरुपयोग करके देश से भागते नहीं, बल्कि यहीं रहकर केस लड़ते और ये दस्तावेज अदालतों व जाँच एजेंसियों को दिखाते – किसी पॉडकास्टर को नहीं। अपनी कंपनी UB में भी विजय माल्या ने कम हेराफेरी नहीं की है। उन्होंने UB के 8.41% शेयर बिना बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स और स्टॉक एक्सचेंज को सूचित किए ही बेच डाले। 5% से अधिक के शेयर्स ख़रीदने की स्थिति में ख़रीददार को भी स्टॉक एक्सचेंज को सूचित करना होता है।

UB का इस्तेमाल किंगफ़िशर एयरलाइन्स के लोन की गारंटी के रूप में किया गया था, लेकिन बाद में पता चला कि इस कंपनी का वैल्यूएशन उस लोन से कम है। अगस्त 2012 के बाद से ही किंगफ़िशर एयरलाइन्स के कर्मचारियों को सैलरी दिया जाना बंद कर दिया गया था। इसके बावजूद फरवरी 2014 में विजय माल्या ने 28.70 करोड़ रुपए IPL के खिलाड़ियों को ख़रीदने में व्यय किए। उनकी RCB ने युवराज सिंह को 14 करोड़ रुपए में ख़रीदा था। उस सीजन RCB ने 58 करोड़ रुपए से अधिक खिलाड़ियों को ख़रीदने और रिटेन करने में व्यय किए थे। जबकि उस समय तक कर्मचारियों के वेतन का 350 करोड़ रूपए बकाया था।

कहीं विरोध प्रदर्शन किए जा रहे थे कर्मचारियों द्वारा तो कहीं कई लोग अनिश्चितकाल के लिए अनशन पर थे, लेकिन विजय माल्या गोवा में पार्टियों में मशगूल थे। तेल कंपनियों से लेकर एयरक्राफ्ट पट्टेदाताओं (Lessors) तक, सबका बकाया था – केवल बैंकों और कर्मचारियों का ही नहीं। कर्मचारियों से PF और टैक्स के पैसे भी लिए, लेकिन सरकार को नहीं दिए। बड़ी बात ये कि तब सरकार भी कॉन्ग्रेस की थी, सबकुछ कॉन्ग्रेस की सरकारों में हो रहा था। विजय माल्या ने अरुण जेटली ही नहीं, प्रणब मुखर्जी का नाम लेकर भी कहा है कि 2008 की वैश्विक मंदी में जब वो तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के पास गए थे तब उन्होंने किंगफ़िशर एयरलाइन्स में कटौती न करने को कहा था। आज प्रणब मुखर्जी भी इन आरोपों का जवाब देने के लिए जीवित नहीं हैं।

लोन चुकाने के बावजूद विजय माल्या IPC की धारा-406, 409 और 420 के तहत आरोपित रहेंगे क्योंकि उनपर फ़र्ज़ी दस्तावेजों का इस्तेमाल करने के भी आरोप हैं। लोन लेने के लिए पेश किए गए एक दस्तावेज में तो उन्होंने किंगफ़िशर एयरलाइन्स की वैल्यूएशन को बढ़ा-चढ़ाकर $500 मिलियन तक बता दिया था। जुलाई 2022 में विजय माल्या पर अदालत की अवमानना के मामले में 4 महीने की जेल की सज़ा सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाई जा चुकी है। सरकार पर उन्हें भरोसा नहीं है मान लिया, लेकिन न्यायपालिका?

लगभग 2000 कर्मचारियों का घर किंगफ़िशर एयरलाइन्स के तबाह होने के कारण बर्बाद हुए। उनके कारण 2018 में मोदी सरकार को फ्यूगुटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर एक्ट बनाना पड़ा। 2020 में UK की अदालत भी उनके प्रत्यर्पण का आदेश दे चुकी है, लेकिन इसके बाद विजय माल्या ने अन्य क़ानूनी तिकड़म आजमाकर इसे रोके रखा है। मामला अब सिर्फ़ रिकवरी का नहीं है – आपराधिक षडयंत्र, फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग का भी है। ED उनपर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला चल रहा है। जाँच एजेंसी ने पाया कि उन्होंने लोन के पैसों में से 3500 करोड़ रुपए कहीं और डायवर्ट किया। यानी, पैसा लिया गया किसी और नाम पर लेकिन ख़र्च किया गया कहीं और।

व्यवस्था में भी थी कमज़ोरी, जिसका विजय माल्या ने उठाया फ़ायदा

इसके अलावा उनपर 100 करोड़ रुपए के सर्विस टैक्स की चोरी का मामला भी चल रहा है। 2012-15 में उनके ख़िलाफ़ हुई शिकायत में पाया गया था कि यात्रियों से वसूलने के बावजूद उन्होंने ये पैसे सरकार को नहीं दिए। मुंबई की एक अदालत ने उनके ख़िलाफ़ इसे लेकर ग़ैर-जमानती वॉरंट भी जारी किया था। SFIO (सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टीगेशन ऑफिस) भी 2016 में 17 शिकायतों के आधार पर नोटिस जारी कर चुका है। आरोप है कि 17 कंपनियों के जरिए लोन लेकर किंगफ़िशर एयरलाइन्स को फाइनेंस किया गया।

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