इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने खुफिया इनपुट्स के आधार पर इन्हें चेन्नई इंटरनेशनल एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया है। ये लोग ढाका से चन्नई एयरपोर्ट पर उतरे थे। जाँच के दौरान आव्रजन अधिकारियों ने इन्हें इनके फर्जी पासपोर्टों के साथ गिरफ्तार किया गया।
पूछताछ में पहले इन्होंने बताया कि ये लोग शर्मा परिवार है और बेंगलुरु में 2018 से रह रहे हैं। इनके पास जो पहचान पत्र मिले उनमें भी हिंदू नाम दिखे। हालाँकि जब पुलिस छानबीन के लिए इनके घर गई तो इनके घर की दीवार पर बड़ा-बड़ा ‘मेहदी फाउंडेशन इंटरनेशनल जश्न-ए-युनूस’ लिखा था।
जब सिद्दीकी से सख्ती से पूछताछ हुई तो उसने मान लिया कि वो पाकिस्तानी है और कराची के लियायकतबाद के निवासी है। वहीं उसकी बीवी और उसका परिवार लाहौर का है। उसने बताया कि उसका निकाह आयशा से साल 2011 में ऑनलाइन हुआ था जब वो अपने माता पिता के साथ बांग्लादेश में रहती थी। बाद में राशिद को भी बांग्लादेश आना पड़ा क्योंकि पाकिस्तान मे उसका विरोध होने लगा था।
बांग्लादेश में उसने मेहदी फाउंडेशन में उलेमा का काम शुरू किया। जहाँ संस्था ही उसका सारा खर्चा उठाती थी। बाद में 2014 में भी सिद्दीकी पर हमला हुआ और तब उसे किसी परवेज नाम के शख्स ने भारत में अवैध रूप से एंट्री करा दी।
सिद्दीकी अपनी बीवी और उसके परिवार व रिश्तेदारों समेत बांग्लादेश से भारत पश्चिम बंगाल के मालदा को क्रॉस करके पहुँचा। कुछ दिन वह दिल्ली में रहे, फिर सिद्दीकी 2018 में जब नेपाल गया तो वहाँ मुलाकात वाशिम और अल्ताफ से हुई। उसके बाद पूरा परिवार बेंगलुरु चला गया। यहाँ सिद्धीकी को मेहदी फाउंडेशन की ओर से उलेमा बनने को कहा गया। उसने ऑफर स्वीकार लिया और आलरा टीवी पर दिखने लगा। वो शो बनाता और उसके किराए का सारा खर्चा अल्ताफ उठाता।
हकीकत खुलने के बाद पुलिस ने इन चारों की गिरफ्तारी कर ली है। मले को आईपीसी की धारा 420, 468, 471 के तहत और पासपोर्ट एक्ट की सुसंगत धाराओं के तहत दर्ज किया है।