भारत के चंद्रमा लैंडर ने योजना के अनुसार सफलतापूर्वक चंद्रमा की धरती पर अपने पैर आसानी से और सुरक्षित रूप से स्थापित कर लिए. इसके साथ ही यह उपलब्धि हासिल करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया. मगर इसी दिन बुधवार को कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह (Rajya Sabha MP Digvijaya Singh) की एक टिप्पणी पर विवाद शुरू हो गया. कांग्रेस नेता ने कहा कि चंद्रयान-3 मिशन (Chandrayaan-3 Mission) की सफलता के लिए कड़ी मेहनत करने वाले इसरो के वैज्ञानिकों को उनका वेतन नहीं दिया गया है. उन्होंने दावा किया कि मीडिया के कुछ हिसMI
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने मिशन की कामयाबी से कुछ घंटे पहले कहा कि यह हम सभी के लिए बहुत गर्व का क्षण है. चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर सफल लैंडिंग के लिए इसरो के वैज्ञानिक प्रयास कर रहे हैं. हम ईश्वर से उनकी सफलता के लिए प्रार्थना करते हैं, लेकिन अखबारों में खबरें हैं कि ऐसा करने वाले वैज्ञानिकों को 17 महीने से वेतन नहीं मिला है. प्रधानमंत्री को इस पर भी ध्यान देना चाहिए. हालांकि उनके इस बयान के बाद विवाद शुरू हो गया.
मैंने कहा अख़बारों में ख़बरें हैं- और उनमें से एक को यहां लगा भी रहा हूँ। https://t.co/PxeDOpKMp0
फ़र्क़ बस इतना है कि ये इसरो के नहीं मगर सरकारी PSU, HEC के इंजीनियर और कर्मचारी हैं जिन्होंने चंद्रयान3 प्रोजेक्ट के लिए मोबाइल लॉन्चपैड तैयार किया है। मैं मानता हूँ कि इस कामयाबी… https://t.co/6ychbKzen8— digvijaya singh (@digvijaya_28) August 23, 2023
को चंद्रयान-3 और हमारे वैज्ञानिकों पर गर्व है, लेकिन वह (सिंह) इस पर सवाल उठा रहे हैं. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि देश को हमारे वैज्ञानिकों पर गर्व है. मैं सभी वैज्ञानिकों को तहे दिल से धन्यवाद देना चाहता हूं. पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश ने बहुत कुछ हासिल किया है.
वहीं मामले में जब विवाद ज्यादा बढ़ा तो कांग्रेस नेता ने एक न्यूज वेबसाइट की खबर का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि मैंने कहा अखबारों में खबरें हैं. और उनमें से एक को यहां लगा भी रहा हूं. पूर्व सीएम ने आगे कहा कि फर्क बस इतना है कि ये इसरो के नहीं मगर सरकारी PSU, HEC के इंजीनियर और कर्मचारी हैं, जिन्होंने चंद्रयान-3 प्रोजेक्ट के लिए मोबाइल लॉन्चपैड तैयार किया है. मैं मानता हूँ कि इस कामयाबी में इनका भी हिस्सा है. पर अफसोस कि इनका हक इन्हें नहीं मिल रहा. सार्वजनिक क्षेत्र की यह कंपनी भारत सरकार के Ministry of Heavy Industries के तहत आती है.