फिलिस्तीन के इस्लामी आतंकी संगठन हमास ने 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर हमला कर दिया। इस हमले में हमास के आतंकी आम नागरिकों और सैनिकों को मारने के अलावा कई महिलाओं और बच्चे-बच्चियों को बंधक बनाकर अपने साथ ले गए। अब सोशल मीडिया पर कट्टरपंथी मुस्लिम हमास के हमले के जायज ठहरा रहे हैं।
हमास के आतंकियों ने इनमें से एक जर्मन नागरिक शानी लौक को मारकर उसके नग्न शव की परेड निकाली। जहाँ हमास के आंतकियों के इस कृत्य की विश्व भर में निंदा हो रही है, वहीं भारत से लेकर पाकिस्तान और लंदन तक के कट्टरपंथी मुस्लिम इन कबीलाई सोच वाले आतंकियों के समर्थन में उतर आए हैं।
महिलाओं को अगवा करने, उनके साथ दुर्व्यवहार करने, उन्हें मारने और शवों तक के साथ बर्बरता करने वालों का खुला समर्थन किया जा रहा है। भारत के कई कट्टर मुस्लिम सोशल मीडिया अकाउंट यही करते पाए गए हैं। उन्होंने महिलाओं के साथ इस व्यवहार को सही ठहराने की कोशिश भी की है।
हिन्दुओं के खिलाफ जहर उगलने वाला अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का छात्र रहा शरजील उस्मानी इनमें सबसे आगे है। उसने वीडियो सामने आने के तुरंत बाद फिलिस्तीन के समर्थन को लेकर एक्स (पहले ट्विटर) पर पोस्ट किया।
शरजील ने तर्क दिया कि भारत के दक्षिणपंथी लोग इजरायल का समर्थन कर रहे हैं। इसलिए वह मुस्लिम होने के नाते फिलिस्तीन का समर्थन करेगा, भले ही हमास जैसे आतंकी संगठन महिलाओं को नंगा क्यों ना घुमाएँ।
वहीं, अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने हमास के इन हमलों में मारे गए इजरायलियों की पीड़ा का जिम्मेदार उन्हें खुद बता दिया है।
एक व्यक्ति ने नग्न परेड कराई जा रही महिला के वीडियो के नीचे लिखा, “इसका फिर से बलात्कार करो।”
खुद को पत्रकार बताकर हिन्दुओं के विरुद्ध लगातार जहर उगलने वाले ‘अली सोहराब’ ने भी हमास के इन कृत्यों को सही ठहराया है। उसने दावा किया कि हमास द्वारा परेड कराया जा रहा शव महिला का ना होकर किसी पुरुष का है। हालाँकि, वह ये बताना भूल गया कि महिला या पुरुष किसी के शव के साथ यह बर्बरता गलत है।
आगे वह इस कदम को यह कहकर सही ठहरा देता है कि क्या महिलाओं का फूल-माला से स्वागत होना चाहिए।
एक अन्य कट्टर मुस्लिम प्रोफ़ेसर नूरुल ने लिखा है कि इजरायल में महिला कम कपड़े पहनती हैं। इसलिए उनके शवों को नग्न करके परेड करवाना उचित है।
हमास के इन कृत्यों की तुलना कट्टर मुस्लिम पत्रकार सदफ आफरीन ने भारत की आजादी की लड़ाई से कर दी। हालाँकि, उसने यह नहीं बताया कि भारत के स्वतंत्रता सेनानियों ने कभी ऐसा सुलूक किसी महिला के साथ नहीं किया।
एक और कट्टर मुस्लिम महिला लालिबा फिरदौस ने हमास के आतंकियों की तुलना भारत के स्वतंत्रता सेनानियों की। वहीं, हमास के आतंकी हमले की तुलना 1857 के स्वतंत्रता संग्राम से कर दी। इस तरह इसने भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को भी बदनाम करने की कोशिश की।
कट्टर मुस्लिम शाहनवाज अंसारी ने इसे अब्राहमिक धर्मों का आपसी मामला बताते हुए कहा कि वो इसे आपस में निपट लेंगे। उसने एक हिन्दू शख्स पर तंज कसा और उसे गौमूत्र और गोबर खाने वाला बता दिया।
यह नीचता भारत तक ही सीमित है, ऐसा नहीं है। हमास के आतंकियों के समर्थक भारत से लेकर ईरान और लन्दन तक हैं। लन्दन में रहने वाली पूर्व पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की तलाकशुदा बीवी जेमिमा गोल्डस्मिथ ने हमास के आतंकियों की सफलता की कामना अल्लाह से की।
ALLAHU AKBAR ALLAHU AKBAR ! Ooh Allah give victory to our Palestinians brothers and sisters 🇵🇸 🤲🤲🤲#Israel #gaza #طوفان_الأقصى #FreePalestine #Palestina #Palestine #PalestineUnderAttack
— Jemima Goldsmith (@jemimakhan09) October 7, 2023
अधिकांश मुस्लिम देशों में हमास के आतंकी हमले के समर्थन में रैलियाँ निकाली गई हैं और नमाज पढ़ी गई। लेबनान, तुर्की और ईरान में इजरायली महिलाओं की हत्या और उनको नग्न करने का जश्न मनाया जा रहा है।
सोशल मीडिया पर हमास के आतंकियों का समर्थन कर रहे कट्टर मुस्लिम हमास के कुकृत्यों को यह कहकर छुपा रहे हैं कि इससे पहले इजरायल ने भी फिलिस्तीन पर हमले किए हैं। हालाँकि, वे ये बताना भूल जाते हैं कि इजरायल द्वारा हमले गाजा से रॉकेट फायरिंग के बाद होते हैं।
हमास ने इजरायल पर हमला करने के लिए बहुत ध्यान से समय चुना। इसके लिए शनिवार को दिन लिया गया। इजरायल में इस दिन को शप्त कहते हैं। इस दिन इजरायली खाना नहीं खाते हैं। इसमें यहूदियों के लिए कुछ भी करना मना है। यहां तक इस दिन उनके लिए फ्रिज का दरवाजा खोलना भी मना होता है।
शनिवार को यहूदियों का एक त्योहार था। इस त्योहार में वो पूरे दिन अपने धार्मिक ग्रंथ तोरा को पढ़ते हैं। यह दिन इसी के लिए समर्पित होता है। इजरायल के अंदर विवाद चल रहा है। इसमें सरकार चाहती है कि अदालतों पर अंकुश लगाया जाए। वहीं, जनता इसके विरोध में है। चूंकि सरकार का संसद में बहुमत है तो इस बिल को पास करा लिया गया है। अब वहां सुप्रीम कोर्ट खुद वैधानिक हनन पर विचार कर रहा है। लोगों का प्रदर्शन जारी है। इस तरह से कह सकते हैं कि देश विभाजित है। यह विभाजन इस कदर का है कि इजरायली सेना के रिजर्व अधिकारियों ने बिल के खिलाफ ट्रेनिंग में जाने से मना कर दिया है। इस कारण इजरायल की सैनिक क्षमता पर भी आघात पहुंचा हुआ है।
50 साल पहले अस्तित्व मिटाने के लिए हुआ था हमला
सचदेव ने कहा कि शनिवार को इन परिस्थितियों में हमला किया गया। 6 अक्टूबर 1973 को भी इजरायल पर ऐसा ही हमला मिस्र और सीरिया ने किया था। उस दिन भी यहूदियों का त्योहार था। उसी का प्रतिबिंब इस हमले में दिखता है। इजरायल पर जो हमला 50 साल पहले हुआ था वो उसके अस्तित्व को मिटाने के लिए था। अब जो हमास ने किया है वो बहुत छोटे पैमाने पर है। हालांकि, यह बहुत नाटकीय तरीके से किया गया है। इसका सैनिक परिणाम आगे साफ है। इजरायल बहुत शक्तिशाली है। निश्चित तौर पर इजरायल हमास को पीछे धकेल देगा। यह भी हो सकता है कि इजरायल गाजा में सैन्य दखलअंदाजी भी करे। फिलहाल, वहां उसके कोई सैनिक नहीं थे। वहां उसकी बस्तियां भी नहीं हैं। अगर उसने गाजा की ओर रुख किया तो और ज्यादा हिंसा होगी।