Monday, September 16, 2024
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शहद नही ज़हर खा रहे हो आप,बड़े बड़े ब्रांड फेल जांच में

भारत में बिकने वाले बड़े ब्रांड के शहद में चीनी शरबत की मिलावट: सीएसई अध्ययन का दावा

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भारत में बिकने वाले कई प्रमुख ब्रांड के शहद में चीनी शरबत की मिलावट पाई गई है, पर्यावरण नियामक सीएसई ने बुधवार को जारी एक अध्ययन रिपोर्ट में इस बात का दावा किया है। सेंटर फ़ॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) के खाद्य शोधकर्ताओं ने भारत में बिकने वाले प्रसंस्कृत और कच्चे शहद की शुद्धता की जांच करने के लिए 13 छोटे बड़े ब्रांड का चयन किया। इसने पाया कि 77 प्रतिशत नमूनों में चीनी शरबत की मिलावट थी। जांच किए गए 22 नमूनों में से केवल पांच सभी मानकों पर खरे उतरे हैं।

 

नयी दिल्ली, दो दिसंबर  भारत में बिकने वाले कई प्रमुख ब्रांड के शहद में चीनी शरबत की मिलावट पाई गई है, पर्यावरण नियामक सीएसई ने बुधवार को जारी एक अध्ययन रिपोर्ट में इस बात का दावा किया है। सेंटर फ़ॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) के खाद्य शोधकर्ताओं ने भारत में बिकने वाले प्रसंस्कृत और कच्चे शहद की शुद्धता की जांच करने के लिए 13 छोटे बड़े ब्रांड का चयन किया। इसने पाया कि 77 प्रतिशत नमूनों में चीनी शरबत की मिलावट थी। जांच किए गए 22 नमूनों में से केवल पांच सभी परीक्षण में सफल हुये। अध्ययन में कहा गया है कि डाबर, पतंजलि, बैद्यनाथ, झंडू, हितकारी और एपिस हिमालय जैसे प्रमुख ब्रांड के शहद के नमूने एनएमआर (न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस) परीक्षण में विफल रहे। इस का जवाब देते हुए, इमामी (झंडू) के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘एक जिम्मेदार संगठन के रूप में इमामी सुनिश्चित करता है कि उसका झंडू शुद्ध शहद भारत सरकार और उसके प्राधिकरण एफएसएसएआई द्वारा निर्धारित सभी नियम-शर्तों और गुणवत्ता मानदंडों / मानकों के अनुरूप हो और उनका पालन करे।’’ डाबर ने भी दावे का खंडन करते हुए कहा कि हालिया रिपोर्ट ‘दुर्भावना और हमारे ब्रांड की छवि खराब करने के उद्देश्य से प्रेरित’ लगती है। उसने कहा है कि डाबर, शहद के परीक्षण के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण द्वारा अनिवार्य सभी 22 मानदंडों का अनुपालन करती है। डाबर ने कहा, ‘‘इसके अलावा, एफएसएसएआई द्वारा अनिवार्य रूप से एंटीबायोटिक दवाओं की उपस्थिति के लिए डाबर शहद का भी परीक्षण किया जाता है। डाबर भारत में एकमात्र कंपनी है, जिसके पास अपनी प्रयोगशाला में एनएमआर परीक्षण उपकरण है, और उसी का उपयोग नियमित रूप से शहद का परीक्षण करने के लिए किया जाता है और भारतीय बाजार में बेचा जा रहा है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि डाबर शहद 100 फीसदी शुद्ध हो। इस घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए, पतंजलि आयुर्वेद के प्रवक्ता एस के तिजारावाला ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘हम केवल प्राकृतिक शहद का निर्माण करते हैं, जिसे खाद्य नियामक एफएसएसएआई द्वारा अनुमोदित किया जाता है। हमारा उत्पाद एफएसएसएआई द्वारा निर्धारित मानकों को पूरा करता है।’’ उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह रिपोर्ट देश के प्राकृतिक शहद उत्पादकों को बदनाम करने की साजिश है। उन्होंने कहा, ‘‘यह जर्मन तकनीक और महंगी मशीनरी को बेचने की साजिश है। यह देश के प्राकृतिक शहद उत्पादकों को बदनाम करने और प्रसंस्कृत शहद को बढ़ावा देने के लिए भी एक साजिश है। यह वैश्विक शहद बाजार में भारत के योगदान को भी कम करेगा।’’ बैद्यनाथ और अन्य कंपनियों से तुरंत संपर्क नहीं किया जा सका। राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड के कार्यकारी सदस्य देवव्रत शर्मा ने कहा, ‘‘न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस (एनएमआर) परीक्षण में इस बात का भी पता मिल सकता है कि कोई खास शहद किस फूल से, कब और किस देश में निकाला गया है। इस परीक्षण में चूक होने की गुंजाइश नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय खाद्य नियामक, एफएसएसएआई को अपने शहद के मानकों में एनएमआर परीक्षण को अनिवार्य कर देना चाहिये ताकि हमारे देशवासियों को भी शुद्ध शहद खाने को मिले।’’ गुजरात में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) में सेंटर फॉर एनालिसिस एंड लर्निंग इन लाइवस्टॉक एंड फ़ूड (सीएएलएफ) में पहली बार सीएसई द्वारा इन ब्रांड के शहद के नमूनों का परीक्षण किया गया। परीक्षणकर्ता, सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट के अनुसार, लगभग सभी शीर्ष ब्रांड, शुद्धता के परीक्षणों में सफल हुए, जबकि कुछ छोटे ब्रांडों में सी-4 चीनी का पता लगने से वे परीक्षणों को विफल रहे। सी-4 ऐसी बुनियादी मिलावट का प्रारूप है जिसमें गन्ना चीनी का उपयोग किया जाता है। परीक्षणकर्ता ने कहा, ‘‘लेकिन जब न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस (एनएमआर) का उपयोग करके उन्हीं ब्रांडों के नमूनों का परीक्षण किया गया – तो लगभग सभी छोटे बड़े ब्रांड परीक्षण में विफल पाये गये।

न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस (एनएमआर) परीक्षण में किसी भी प्रकार की मिलावट का पता लगाया जा सकता है। मिलावट की पक्की जांच के लिए विश्व स्तर पर एनएमआर परीक्षण का उपयोग किया जा रहा है। इस एनएमआर परीक्षण में 13 ब्रांडों के परीक्षणों में से केवल तीन सफल हो पाये। यह परीक्षण, जर्मनी में एक विशेष प्रयोगशाला द्वारा किया गया था।’’ सीएसई की महानिदेशक सुनीता नारायण ने कहा कि “हम शहद का सेवन कर रहे हैं – महामारी से लड़ने के लिए। लेकिन चीनी के साथ मिलावटी शहद हमें स्वस्थ नहीं बनाएगा। यह वास्तव में, हमें और भी कमजोर बना देगा। दूसरी ओर, हमें इस बात की भी चिंता करनी चाहिए कि मधुमक्खियों के नष्ट होने से हमारी खाद्य प्रणाली ध्वस्त हो जाएगी क्योंकि पर-परागण के लिए मधुमक्खियाँ महत्वपूर्ण हैं। यदि शहद में मिलावट है, तो न केवल हमारा स्वास्थ प्रभावित होगा बल्कि हमारी कृषि उत्पादकता पर भी असर आयेगा।’’

 

  • इन तरीकों से आप शहद की मिलावट कर सकते हैं चेक
  • पानी मिलाकर
  • आग में जलाकर
  • कपड़े में टेस्ट कर

खरीदने से पहले लेबल चेक करें

कुछ लोग बिना लेबल पढ़े ही शहद खरीद लेते हैं। जबकि कुछ कंपनियां शहद में मिलाई जाने वाली चीजों के बारे में जानकारी बोतल के ऊपर ही बहुत छोटे अक्षरों में दे देती है। इसलिए एक बार लेबल पढ़कर शहद खरीदेँ।

पानी से मालूम करें मिलावट
असली और नकली शहद में अंतर आप पानी की मदद से भी चेक कर सकती हैं। एक ग्लास पानी में चम्‍मच भर शहद डालें। अगर शहद पानी में नीचे बैठ जाए तो यह शुद्ध है और नीचे बैठने से पहले ही पानी में घुल जाए तो यह मिलावटी है।

आग से भी कर सकते हैं मालूम
शहद की मिलावट के बारे में आप आग से भी पता कर सकते हैं। सबसे पहले एक मोमबत्‍ती जलाएं। अब एक लकड़ी के एक किनारें में रूई लपेटें। उस रूई में शहद लें। अब शहद लगी रूई को आग के ऊपर रखें, अगर रूई जलने लगे तो शहद शुद्ध है। नहीं तो शहद में पानी मिलाया गया है।

कपड़े पर टेस्‍ट करेें

कपड़े से शहद की शुद्धता जांचने के लिए शहद की कुछ बूंदें कपड़े पर डालें। कपड़ा अशुद्ध शहद को सोख लेगा। इसके अलावा कपड़े पर शहद लगा कर धो दें। अगर कपड़े में किसी तरह का दाग पड़ जाए तो समझ जाएं कि शहद अशुद्ध है वरना शुद्ध है।

इन तीन तरीकों से आज से ही घर में लाए जाने वाले शहद की शुद्धता की जांच करें और नकली शहद खरीदने से बचें। यह आपके स्वास्थ्य के लिए ही हेल्दी होगा।

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