आज़ादी के इतने साल बाद गुलामी के निशान मिटाए गए
नई दिल्ली: लुटियंस दिल्ली को ब्रिटिश शासन के तहत बसाया गया था, लेकिन देश की आजादी ने इस क्षेत्र को एक नई पहचान दी। आज़ादी के बाद नई दिल्ली की सड़कों को एक नया नाम मिला। अंग्रेजी शासकों के नाम पर रखी गई सड़कों का नाम बदलकर उन्हें भारतीय पहचान दी गई।
इन सड़कों के नाम बदल दिये गये
आजादी से पहले का नाम अब ये नाम
किंग्स-वे राजपथ
क्वींस-वे जनपथ
किंग एडवर्ड रोड मौलाना आजाद रोड
चर्च रोड मोती लाल नेहरू मार्ग
किंग जार्ज एवेन्यू राजाजी मार्ग
अलबु कर्क रोड तीस जनवरी मार्ग
क्लाइव रोड त्यागराज मार्ग
लिटिन रोड कॉपरनिकस मार्ग
कर्जन रोड कस्तूरबा गांधी मार्ग
कैंटोनमेंट रोड सरदार पटेल मार्ग
इरविन रोड बाबा खड़क सिंह मार्ग
क्वीन मेरिज एवेन्यू पंडित पंत मार्ग
ऐलनबाई रोड डॉ. विशंभर दास मार्ग
मार्किट रोड भाई वीर सिंह मार्ग
इबटसन रोड रामकृष्ण आश्रम मार्ग
बेअर्ड रोड गुरुद्वारा बांग्ला साहिब मार्ग
लेडी हार्डिंग रोड शहीद भगत सिंह मार्ग
सर्कुलर रोड पंडित जवाहर लाल नेहरू मार्ग
हार्डिंग एवेन्यू तिलक मार्ग
रिटंडन रोड अमृता शेरगिल मार्ग
अंग्रेज़ों के नाम से पहचानी गई
● सर डेंज़िल चार्ल्स जेफ इबस्टन भारत के प्रशासक थे। 1898 और 1899 के बीच वह मध्य प्रांत के मुख्य आयुक्त थे। 1907 में वे पंजाब के लेफ्टिनेंट गवर्नर थे
● लेडी हार्डिंग भारत के वायसराय चार्ल्स हार्डिंग की पत्नी थीं। उन्होंने भारत में महिलाओं के लिए चिकित्सा शिक्षा शुरू करने में भूमिका निभाई
● लॉर्ड वेलेज़ली फोर्ट विलियम प्रेसीडेंसी के गवर्नर थे। उन्होंने फ्रांस के साथ प्रतिद्वंद्विता में भारत में यथासंभव अधिक से अधिक क्षेत्र जीतने में भूमिका निभाई
● किंग जॉर्ज भारत के अंतिम ब्रिटिश सम्राट थे। वह 1936 से भारत के स्वतंत्र होने तक भारत के सम्राट रहे
● किंग एडवर्ड सप्तम 1901 से यूनाइटेड किंगडम और ब्रिटिश डोमिनियन के राजा थे
नई दिल्ली नगर पालिका परिषद क्षेत्र की सड़कें आजादी के बाद आए बदलाव की कहानी बयां करती हैं। अंग्रेजों के जाने के बाद पुराने औपनिवेशिक प्रतीकों का स्थान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रतीकों ने ले लिया। एनडीएमसी विशेषज्ञ मदन थपलियाल ने अपनी किताब ‘राजधानी एक सदी का सफर’ में इन बदलावों का जिक्र किया है।
यह योजना 110 साल पहले बनी थी
नई दिल्ली को बसाने की योजना शुरू हुई एडविन लुटियन को वायसराय हाउस, दो किंग्स वे रिकॉर्ड कार्यालयों और शहर की सड़कों का नक्शा बनाने के लिए कहा गया था। नई राजधानी के निर्माण में पत्थर तराशने के लिए 29,000 मजदूरों और 2,500 कुशल कारीगरों को काम पर लगाया गया।