Thursday, November 7, 2024
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नहीं बचा एक भी आदिवासी परिवार,भर दिए बांग्लादेशी मुसलमान,सोनिया चुप,राहुल चुप,प्रियंका चुप

संथाल बहुल गाँव में आज एक भी ST परिवार नहीं, सरना गायब… मस्जिद-मदरसों की बाढ़: झारखंड चुनाव का घुसपैठ बना मुद्दा, जमीन पर असर कितना?

झारखंड विधानसभा चुनाव अभियान जोरों पर है। NDA और INDI गठबंधन पूरा जोर लगा रहा है। भाजपा जहाँ हेमंत सोरेन सरकार की कमियाँ बता कर सत्ता में आने की जुगत भिड़ा रही है तो वहीं JMM-कॉन्ग्रेस अपनी सत्ता बचाने में जुटे हुए हैं। इस बीच भाजपा ने राज्य के लिए अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है। भाजपा ने इसे संकल्प पत्र का नाम दिया है। चुनावी वादों के बीच बांग्लादेशी घुसपैठ की समस्या को भाजपा ने अपने तरकश का सबसे पैना तीर बनाया है।

रविवार (3 नवम्बर, 2024) को गृह मंत्री अमित शाह ने राँची में भाजपा का संकल्प पत्र लोकार्पित किया। इस संकल्प पत्र में भाजपा ने वादा किया है कि यदि वह राज्य की सत्ता में आते हैं तो बांग्लादेशी घुसपैठियों की समस्या से निपटने के लिए कानून बनाएँगे। भाजपा ने कहा कि वह घुसपैठ को रोकने के साथ ही उन जमीनों को वापस लेने के लिए कानून बनाएगी, जिन्हें घुसपैठियों ने कब्जाया है या फिर जालसाजी करके खरीदा है।

जमीनें वापस लेने का वादा

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने घोषणा पत्र लोकार्पित करते हुए झारखंड सरकार पर हमला भी बोला। अमित शाह ने कहा कि झारखंड में घुसपैठ की समस्या इसलिए है क्योंकि यहाँ का स्थानीय प्रशासन इसे बढ़ावा देता है। उन्होंने कहा कि झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार राज्य के घुसपैठियों पर एक्शन नहीं लेती और इसके बाद वह केंद्र सरकार पर प्रश्न उठाते हैं। उन्होंने कहा कि आखिर घुसपैठ की जानकारी पुलिस या फिर केंद्र सरकार को नहीं दी जाती।

अमित शाह के अलावा झारखंड भाजपा के बड़े नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने भी घुसपैठ का मुद्दा उठाया। उन्होंने दैनिक भास्कर को दिए गए एक इंटरव्यू में कहा कि राज्य के संथाल परगना में घुसपैठ से बुरा हाल है। जनजातीय क्षेत्रों की गहरी जानकारी रखने वाले चंपाई सोरेन ने कहा कि संथाल परगना के लगभग एक दर्ज गाँवों में पूरी तरह घुसपैठियों का कब्जा है। उन्होंने दावा किया कि जिन गाँवों में 100-150 परिवार जनजातीय समुदाय के रहते थे, वह अब घुसपैठियों से डर कर भाग गए हैं।

चंपाई सोरेन ने ऐलान किया है कि अगर भाजपा सत्ता में आई तो यह सभी जमीनें घुसपैठियों से वापस ले ली जाएँगी। चंपाई सोरेन ने यह भी कहा कि जनजातियों के लिए अगर कोई आवाज नहीं उठाएगा तो वह खुद ही उठाएँगे, इसके लिए वह जनजातीय समुदाय की बैठक भी बुलाएँगे।

राजनीतिक बयानों के इतर, गंभीर है समस्या

झारखंड चुनाव के बीच घुसपैठ का जिक्र कहीं ज्यादा बढ़ गया है। भाजपा ने और ज्यादा आक्रामकता से यह मुद्दा उठाना चालू कर दिया है जबकि JMM-कॉन्ग्रेस या तो चुप हैं या फिर घुसपैठ को नकारते हैं। लेकिन समस्या असल में कहीं गंभीर है।

दैनिक भास्कर ने अपनी रिपोर्ट में झारखंड के पाकुड़ जिले के झिकरहटी गाँव का जिक्र किया है। यह गाँव साल 2000 तक संथाल बहुल था। आज इस गाँव में एक भी जनजातीय (ST) परिवार नहीं है। सब अपनी जमीन-संपत्ति बेचकर गाँव से जा चुके हैं। रिपोर्ट के अनुसार जनजातीय समाज के पूजा स्थल ‘सरना’ की जगह अब मस्जिद और मदरसे काफी संख्या में नजर आते हैं, जो कुछ साल पहले तक इक्का-दुक्का ही थे। स्थानीय लोगों के हवाले से बताया गया है कि इस इलाके में अब मुस्लिम ही नजर आते हैं जो इधर-उधर से आकर गाँव में बसे हैं।

झारखंड हाई कोर्ट में प्रदेश में घुसपैठ को लेकर सुनवाई भी चल रही है। हाल ही में केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट में प्रदेश में जनसांख्यिकी के बदलाव को लेकर जवाब दाखिल किया था। केंद्र सरकार ने बताया था कि राज्य के संथाल परगना के साहिबगंज, पाकुड़, दुमका, गोड्डा व जामताड़ा समेत 6 जिलों से 16 फीसदी (44% से 28%) जनजातीय समुदाय के लोग घटे हैं जबकि मुस्लिमों की आबादी में 13% की वृद्धि हुई है और दो जिले- साहिबगंज और पाकुड़ में तो इनकी संख्या 35% बढ़ी है।

सिर्फ आँकड़े ही डरावने नहीं हैं, बल्कि इसका सामाजिक बदलाव भी देखने को मिल रहा है। मार्च, 2024 में आजतक की रिपोर्ट में बताया गया था कि यहाँ बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठिए, पश्चिम बंगाल के रास्ते आते हैं। इसके बाद वह बस जाते हैं। इनमें से कुछ आदिवासियों की लड़कियों को निशाना बनाते हैं। जब लडकियाँ उनके दिखावे में फंस जाती हैं तो उनसे शादी कर ली जाती है।शादी के बाद लड़की की कागजों में पहचान आदिवासी के तौर पर ही रहने दी जाती है।

इसके बाद उस लड़की के नाम पर जमीन ली जाती है या फिर उसकी ही जमीन कब्जा ली जाती है। रिपोर्ट में बताया गया था कि यह सब करने के लिए बांग्लादेश से आने वाले घुसपैठियों को फंडिंग मिलती है। लड़की की पहचान आदिवासी रखने के पीछे सरकारी फायदे लेने के मकसद रहता है। इसके अलावा कई जगह उन लड़कियों को चुनाव भी लड़वाया गया, जिन्होंने मुस्लिमों से शादी की। बांग्लादेशी घुसपैठियों की यह समस्या शादी करने और जमीन हथियाने तक सीमित नहीं रही है। इसका कनेक्शन लोकसभा चुनाव तक से जुड़ा है।

लोकतंत्र को तक खतरा

सामाजिक बदलावों के अलावा बड़ा खतरा लोकतंत्र को भी है। झारखंड की 10 विधानसभा सीटों के कई बूथ पर वोटरों की संख्या में पाँच साल में 100% से अधिक वृद्धि हुई है। यह खुलासा झारखंड भाजपा ने हाल ही में एक रिपोर्ट में किया गया है। वोटर बढ़ने वाले अधिकांश वह इलाके हैं जो संताल परगना में आते हैं। इन इलाकों में बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठ की बात लगातार सामने आई है।

भाजपा ने इस रिपोर्ट के आधार पर झारखंड चुनाव आयोग से जाँच की माँग की थी। भाजपा ने कहा कि अगर ढंग से जाँच हुई तो डेमोग्राफी बदलने की बड़ी साजिश सामने आएगी। भाजपा की यह रिपोर्ट एक तीन सदस्यीय समिति ने तैयार की थी, इस समिति के मुखिया प्रदेश उपाध्यक्ष अवधेश कुमार हैं। यह पूरी रिपोर्ट ऑपइंडिया के पास मौजूद है।

भाजपा ने 2019 लोकसभा चुनाव की मतदाता सूची और 2024 की मतदाता सूची का अध्ययन किया है। भाजपा ने पाया है कि झारखंड की 10 विधानसभा सीटों के कुछ बूथ पर (विशेष कर मुस्लिम आबादी वाले बूथ) पर वोटरों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि पाँच वर्षों में हुई है।

भाजपा की रिपोर्ट में सामने आया है कि मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में वोटरों की संख्या में यह अप्रत्याशित बढ़त 20% से 123% तक की है। यह बढ़त इन 10 विधानसभा के कुल 1467 बूथ पर हुई है। भाजपा ने कहा है कि सामान्यतः पाँच वर्षों में 15% से 17% की वृद्धि होती है, इसीलिए यह वृद्धि असामान्य है। भाजपा ने यह भी बताया है कि हिन्दू आबादी वाले बूथ पर वोटरों की संख्या में बढ़त मात्र 8% से 10% हुई है। भाजपा ने यह भी बताया है कि कई बूथ पर हिन्दू मतदाता घट भी गए हैं।

इससे पहले राजमहल के विधायक अनंत ओझा ने भी इस संबंध में शिकायत की थी। उन्होंने ऑपइंडिया को बताया था कि उनकी विधानसभा के 187 नंबर बूथ पर 2019 में 672 वोट थे। 2024 में यह बढ़ कर 1461 हो गए। यानी इसमें लगभग 117% की वृद्धि हुई। इसी के साथ सरकारी मदरसा बूथ पर 754 वोट बढ़ कर 1189 हो गए। ऐसे कम से कम 73 बूथ इस विधानसभा के भीतर हैं जहाँ की वोटर वृद्धि असामान्य है।

विधायक अनंत ओझा ने ऑपइंडिया को बताया था कि यह सभी बूथ मुस्लिम आबादी के बीच स्थित हैं। इसी इलाके में हिन्दू आबादी वाले 17 बूथ पर इसी दौरान आबादी कम हो गई है। उन्होंने इस संबंध में राज्य चुनाव आयोग से भी शिकायत की थी। राज्य चुनाव आयोग ने इस मामले में एक टीम बनाकर एक्शन लेने की बात कही थी।

सामाजिक कार्यकर्ता बोले- JMM सरकार कर रही लापरवाही

हाई कोर्ट में बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ लड़ रहे सामाजिक कार्यकर्ता दान्याल दानिश भी इस मामले को सालों से उठा रहे हैं। दान्याल इस मामले में पूछे जाने पर ऑपइंडिया से कहते हैं, “हाई कोर्ट ने हेमंत सोरेन सरकार को आदेश दिया था कि वह राज्य भर के भीतर बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करे और रिपोर्ट दें। सरकार ने सप्ताह भर के भीतर ही रिपोर्ट दे दी। आखिर राज्य की पुलिस के पास ऐसी कौन सी कुंजी है जिससे सप्ताह भर में लाखों लोगों का सर्वे हो गया।”

झारखंड चुनाव का रुख बदल सकता है मुद्दा

बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा झारखंड में प्रमुखता से अब उठ रहा है। भाजपा जनजातीय पहचान और संस्कृति मिटाए जाने के मुद्दे को लगातार उठा रही है। राज्य भाजपा के मुखिया बाबूलाल मरांडी और चंपाई सोरेन जैसे जनजातीय पहचान वाले नेता भी इस मुद्दे को उठा रहे हैं। इससे सामान्य जनजातीय जनता भी अब इसे जान रही है।

बांग्लादेशी घुसपैठ झारखंड के संथाल परगना में सबसे बड़ी समस्या बन रहा है। संथाल परगना में 6 जिले हैं। इनमें राज्य की 18 महत्वपूर्ण विधानसभा सीटें हैं। यह सीटें राज्य में किसी भी पार्टी की ताकत में बड़ा फर्क डालती है। 2019 में हुए चुनाव में इस इलाके में JMM और कॉन्ग्रेस आगे रहे थे।

लेकिन इस बार मामला बदला है। भाजपा विधायक अनंत ओझा ने हाल ही में ऑपइंडिया से बताया था कि JMM के पास अच्छा वोट था, जिसमें जनजातीय वोट प्रमुख है। लेकिन अब जनजातीय पहचान बचाने के नाम पर भाजपा इन इलाकों में बढ़त ले रही है।

संथाल के अलावा उन इलाकों में भी यह मुद्दा असर डाल सकता है, जहाँ गैर आदिवासी रहते हैं, लेकिन राज्य में घुसपैठ के विरोध में हैं। यह वोट भी भाजपा को बढ़त दिला सकता है। राज्य में जनजातीय युवा भी नौकरियों के मुद्दे उठाता रहा है। यदि उसे भाजपा सांस्कृतिक पहचान के मुद्दे से जोड़ती है तो उसे फायदा मिल सकता है।

 

 

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