राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार को मंगलवार को एक दलित लड़के की मौत के मामले में और अधिक दबाव का सामना करना पड़ा। मामले में शीर्ष बाल अधिकार निकाय ने सख्त कार्रवाई की मांग की और राजस्थान की बारां नगर परिषद के 12 कांग्रेस पार्षदों ने मुख्यमंत्री को अपना इस्तीफा भेज दिया।
राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार को मंगलवार को एक दलित लड़के की मौत के मामले में और अधिक दबाव का सामना करना पड़ा। मामले में शीर्ष बाल अधिकार निकाय ने सख्त कार्रवाई की मांग की और राजस्थान की बारां नगर परिषद के 12 कांग्रेस पार्षदों ने मुख्यमंत्री को अपना इस्तीफा भेज दिया। इन पार्षदों ने पार्टी के विधायक पानाचंद मेघवाल का समर्थन करते हुए दलितों पर कथित अत्याचार के विरोध में गहलोत को अपना इस्तीफा भेजा।
मामला गत 20 जुलाई को जालौर के सुराणा गांव में एक निजी स्कूल के शिक्षक द्वारा इंद्र मेघवाल नाम के छात्र की पिटाई किए जाने से संबंधित है जिसकी 13 अगस्त को अहमदाबाद में एक अस्पताल में मौत हो गई थी। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने जिलाधिकारी को लिखे पत्र में कहा कि मामला गंभीर है और सात दिन के भीतर प्राथमिकी और आरोपी के खिलाफ प्रशासन और पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई का ब्योरा मांगा। बाल अधिकार संस्था ने मामले में राजस्थान सरकार से आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
कथित तौर पर पेयजल के घड़े को छूने को लेकर स्कूल शिक्षक द्वारा पीटे जाने से नौ वर्षीय दलित लड़के की मौत के दो दिन बाद बारां-अटरू से विधायक मेघवाल ने सोमवार को गहलोत को अपना इस्तीफा भेजा था। इस बीच, सुराणा गांव में लड़के के परिजनों से मिलने के लिए विभिन्न राजनीतिक नेता पहुंचे। कांग्रेस नेता और राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट मंगलवार को पीड़ित परिवार से मिलने लड़के के घर पहुंचे और कहा कि दलित समुदाय का विश्वास जीतने के लिए एक मजबूत संदेश देने की जरूरत है।