Thursday, March 13, 2025
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दाऊद इब्राहिम दो कौड़ी का गली का गुंडा, डॉन बना दिया,पुलिस अधिकारियों और नेताओ के झुंड ने,पेशाब करवाता इसकी सम्पत्ति पर

कल भी सड़कछाप था आज भी सड़कछाप है दाऊद इब्राहिम

मैं खोलता दाऊद की बिल्डिंगों में ‘पब्लिक टॉयलेट”
71 साल के इस बेबाक शार्प शूटर के मुताबिक,”उन दिनों वहां तैनात महाराष्ट्र पुलिस के कुछ अफसरों की नीयत अगर, साफ और जिगर मजबूत होता तो वे, दाऊद इब्राहिम की फरारी के बाद उसकी इमारतों की नीलामी का ढोल न पीटते.”

 

” alt=”” aria-hidden=”true” />Exclusive: गली कूचे के बदमाश को बना डाला डॉन, मैं खोलता दाऊद की बिल्डिंगों में 'पब्लिक टॉयलेट

दाऊद इब्राहिम (File Photo)

अब तक जुर्म की दुनिया में अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम कास्कर को शायद ही किसी ने खुला चैलेंज किया हो. जिस छोटा राजन ने उसे आंख उठाकर देखने की हिमाकत की भी. वो छोटा राजन कई साल से अपनी जान बचाए तिहाड़ जेल सी “मांद” में कैद पड़ा है. ऐसे में भी टीवी9 भारतवर्ष एक अदद उस शख्सियत को तलाश कर लाया है जो, 1990 के दशक में भी डॉन को “डाउन” करने की हसरत रखता था. अब तीन दशक बाद भी 71 साल के इस “शार्प-शूटर” की ये हसरत वैसी ही बरकरार है.

जिस शख्सियत से हुई बातचीत के हवाले से टीवी9भारतवर्ष यह तमाम खुलासे कर रहा है वो इंसान, दाऊद को “डॉन” कहने वालों से भी खफा है. यह इंसान, दाऊद को मुंबई के सड़क छाप गुंडा-बदमाश से ऊपर कुछ मानने को राजी नहीं है. टीवी9 भारतवर्ष को दिए इंटरव्यू में इस दबंग इंसान ने, दाऊद और महाराष्ट्र पुलिस को लेकर और भी तमाम सनसनीखेज खुलासे पहली बार किए हैं. मसलन, “उन दिनों (1990 के दशक में) अगर मेरा कानूनी रूप से वश चला होता तो, महाराष्ट्र में मौजूद दाऊद की बिल्डिंगों को बेचने या नीलाम करने की खातिर मैं किसी के आगे नहीं गिड़गिड़ता.”

शार्प शूटर का आंखें खोलने वाला कबूलनामा

टीवी9 भारतवर्ष के साथ लंबी और एक्सक्लूसिव बातचीत में इस शख्शियत ने दाऊद के संबंध में और भी तमाम सनसनीखेज खुलासे पहली बार किए. मसलन, मुंबई बम धमाकों के कुछ साल बाद महाराष्ट्र में तैनात राज्य पुलिस महानिदेशक स्तर के एक आला पुलिस अफसर (तत्कालीन डीजीपी महाराष्ट्र) भी दाऊद के नाम पर दायें-बायें करने लगे थे.” 71 साल के इस बेबाक शार्प शूटर के मुताबिक,”उन दिनों वहां तैनात महाराष्ट्र पुलिस के कुछ अफसरों की नीयत अगर, साफ और जिगर मजबूत होता तो वे, दाऊद इब्राहिम की फरारी के बाद उसकी इमारतों की नीलामी का ढोल न पीटते.”

गली कूंचे के बदमाश को “डॉन” बना डाला

“उनकी (महाराष्ट्र में उन दिनों तैनात कुछ पुलिस अफसर ) दृढ़ इच्छा-शक्ति ही नहीं थी. यही वजह रही कि वे सब, अपनी कुर्सी बचाने के लालच में दाऊद की, करोड़ों-अरबों की प्रॉपर्टीज को नीलाम कराने का बस ढोल बजा कर जमाने को सुनाते रहे. यह दिखाने के लिए कि महाराष्ट्र पुलिस दाऊद के पीछे पड़ी है. जबकि सच्चाई अलग थी. दाऊद “डॉन” के स्तर का क्रिमिनल तो कभी था ही. वो मुंबई की बस्तियों-गली-कूचों का बदमाश था. सो आज भी है.”

” alt=”” aria-hidden=”true” />Ig Vikram Singh

1980-1990 के दशक में यूपी में एक कुख्यात डाकू को एनकाउंटर में ढेर करने के बाद घटनास्थल पर यूपी एसटीएफ के पहले आईजी विक्रम सिंह (बीच में टीम के साथ)

“डॉन” भाड़े की मांद में मुंह नहीं छिपाता

“अगर वो वाकई अपने आप में डॉन था तो फिर, भाड़े की मांद में (पाकिस्तान) मुंह छिपाए क्यों पड़ा है? दाऊद से खार खाए बैठे इस शार्प शूटर ने एक सवाल का जबाब देने के बजाय सवाल दागा और हम से ही पूछ लिया,”जो अमेरिका अपने यहां हुए, हमले के मुख्य षडयंत्रकारी (ओसामा-बिन-लादेन) को उसकी मांद (पाकिस्तान) में, घुस कर ठिकाने लगा सकता है. वो (अमेरिका) हमारा भी तो दोस्त है. फिर हम 30 साल में दाऊद को काबू क्यों नहीं कर पाए?”

हम दाऊद को तरसे, उसने लादेन ठोंक दिया

“अमेरिका के पास संसाधनों के साथ ईमानदार दृढ़ इच्छा-शक्ति थी. जिसका रिजल्ट सामने है. आज न सद्दाम बचा न ओसामा बिन लादेन. हम 30-31 साल एक दाऊद का ही रोना रो रहे हैं.” मुंबई बम धमाकों के तकरीबन 27-28 साल बाद यह खरी-खरी सुना-कह रहे हैं. यूपी पुलिस अफसर की “कुर्सी” पर रहते हुए आपने यह सब कभी क्यों नहीं बोला या किया? पूछने पर बोले, “कहा मैंने बिल्कुल कहा. कौन कहता है कि मैंने अब से पहले, दाऊद को लेकर किसी से कुछ नहीं कहा. यह गलत आरोप है कि मैने पहले मुंह बंद रखा था.”

“दाऊद-विलाप” करते DGP को मैंने चुप कराया

“तब कहा था जब मैं, मेरठ रेंज (उत्तर प्रदेश पुलिस) का आईजी (Inspector General of Police) था. उस समय महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक रहे आईपीएस से कहा था. वे, दाऊद की प्रॉपर्टीज न बिक पाने (नीलाम न होने) का रोना रो रहे थे.” मैं बोला, “दाऊद की प्रॉपर्टी खरीदने वाले डर सकते हैं. पुलिस (महाराष्ट्र पुलिस) क्यों डर गई? आप (उस डीजीपी महाराष्ट्र रहे आईपीएस) तो उसकी प्रॉपर्टी कानूनन कब्जे में लेने का हक रखते हैं. ले लीजिए अपनी सुपुर्दगी में उसकी सब इमारतों को. पुलिस को कानूनन भी कौन रोक सकता है? किसी भगोड़े क्रिमिनल की प्रॉपर्टी कब्जे में लेने से?”

महाराष्ट्र पुलिस दाऊद से खौफजदा है!

दाऊद के नाम और उसकी शक्ल या चर्चा तक से नफरत करने वाले, इस इंसान ने एक सवाल के जबाब में कहा, ‘तत्कालीन डीजीपी महाराष्ट्र से मैंने तो यहां तक कह दिया कि, “उसकी (दाऊद) प्रॉपर्टीज कोई लेने नहीं आ रहा है, तो क्या हुआ? हम (महाराष्ट्र पुलिस) हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं! हम क्यों नहीं उनमें (दाऊद की इमारतों में) थाने चौकी अपने(महाराष्ट्र पुलिस के) दफ्तर खोल लेते. आफिस स्पेस की तो हमेशा जरूरत पड़ती है.” इस पर वे (तत्कालीन डीजीपी महाराष्ट्र) बोले, “हमारे यहां प्रक्रिया जो है थोड़ी अलग है भिन्न है.”

” alt=”” aria-hidden=”true” />Ig Vikram Singh (1)

बायें से दायें डॉ. विक्रम सिंह, यूपी के पूर्व डीजीपी करमवीर सिंह के साथ

शूटर श्रीप्रकाश शुक्ला के साथ जैसा मैंने किया

उत्तर प्रदेश पुलिस के इस दबंग पूर्व पुलिस अफसर ने, उन दिनों महाराष्ट्र के डीजीपी रहे आईपीएस और अपनी बातचीत के हवाले से आगे कहा, ” मैंने उनसे (तत्कालीन डीजीपी महाराष्ट्र) कहा, मैं भी यहां (यूपी पुलिस में) प्रक्रिया कानून से ही कर रहा हूं. यहां (यूपी पुलिस) की प्रक्रिया और वहां (महाराष्ट्र पुलिस) की प्रक्रिया अलग नहीं है. पूरे भारत में जो प्रक्रिया है उसी प्रक्रिया के अनुसार, फरार या मारे गए बदमाश का माल “लावारिस लादावा” पुलिस ले सकती है खुद की सुपुर्दगी में. जैसे मैने यूपी के कुख्यात बदमाश श्रीप्रकाश शुक्ला को ढेर करके किया था. श्रीप्रकाश शुक्ला की कोठी में आज भी यूपी पुलिस एसटीएफ का हेडक्वार्टर चल रहा है. तो आप (डीजीपी महाराष्ट्र या फिर महाराष्ट्र पुलिस) वैसा क्यों नहीं करते?”

सैकड़ों बेकसूरों के कातिल पर मेहरबानी की वजह!

टीवी9 भारतवर्ष के सवाल, वे कौन सी वजह या कारण रहे उस जमाने में जब आपको, तत्कालीन पुलिस महानिदेशक महाराष्ट्र को यह सलाह देनी पड़ी थी? यूपी पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) के इस पूर्व निशानेबाज और पहले आईजी ने कहा, “यह बातचीत दरअसल उनके साथ (तत्कालीन डीजीपी महाराष्ट्र) उठी थी , दाऊद की एक्टिविटीज और दाऊद के गैंग की क्रियाशीलता को लेकर. हमने उनसे ( तत्कालीन डीजीपी महाराष्ट्र) कहा कि भाई, आप कोई चूड़ी थोड़ी न कस रहे हैं दाऊद इब्राहिम के ऊपर. उसकी अरबों की प्रॉपर्टीज हैं. इतने बम ब्लास्ट करा दिए. थोक के भाव बेकसूर मरवा डाले. उस पर इस कदर आपकी (महाराष्ट्र पुलिस के कुछ अफसरों की) मेहरबानी क्यों?”

कौन है डॉन को गली का गुंडा कहने वाला?

“मैने उनसे साफ कहा कि ऐसे बदमाश की. प्रॉपर्टीज आप नीलाम नहीं करा पाए 20 साल में. ऐसे उठी थीं वो तमाम बातें.” दाऊद से इस कदर खफा यह हैं 1974 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी डॉ. विक्रम सिंह. वही विक्रम सिंह जो, सन् 2010 में उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक (DGP UP POLICE) के पद से रिटायर हो चुके हैं. वही विक्रम सिंह जिन्हें सन् 1996-97 में बनी यूपी पुलिस की पहली स्पेशल टास्क फोर्स (STF) का यूपी की हुकूमत ने पहला इंस्पेक्टर जनरल यानि महानिरीक्षक नियुक्त किया था.

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