Sunday, December 22, 2024
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फर्जी चिट्ठियां डाल कर कानून के खूब मजे लेता रहा ये,अतीक अहमद का कुनबा,दलाल मीडिया हाउस कमाते रहे उछाल कर

अतीक और अशरफ उन शातिर अपराधियों के नाम थे जो कानून,राजनीति, दोगले सेक्युलर नेताओं,दलाल मीडिया हाउस ,बिके पुलिस वाले सबको जानते थे,खूब इस्तेमाल भी किया,अभी भी मीडिया दलालों में खूब पैसे बांटे जो आज तक इन दुर्दांत अपराधियों की पैरवी कर रहा है,पुलिस अधिकारियों और विरोधी नेताओ को फंसाने दोनों भाई इस तरह के पत्र अक्सर इस्तेमाल करते थे,आज मीडिया मालिक और दलाल इन फर्जी पत्रों को ऐसे दिखा रहे हैं जैसे कोई बहुत वड़ी खोज कर ली हो।

 

अतीक अहमद का आखिरी खत, सुप्रीम कोर्ट के नाम, इसी चिट्ठी में हैं हत्या करवाने वालों के नाम!

अतीक अहमद ने मरने से पहले अपनी हत्या की आशंका जताई थी. पूर्व सांसद अतीक ने सुप्रीम कोर्ट के नाम एक पत्र भी लिखा था.

अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की शनिवार देर रात प्रयागराज में गोली मारकर हत्या कर दी गई. जिस समय इन दोनों की हत्या हुई, उस समय पुलिस दोनों को मेडिकल के लिए लेकर जा रही थी. इस दौरान वहां मीडिया के कैमरे भी मौजूद थे और माफिया अतीक अहमद (Atique Ahmed) मीडिया के प्रश्नों का जवाब दे रहा था. इस बीच हमलावर आए और अतीक अहमद की कनपट्टी से पिस्टल सटाकर गोली चला दी. बाद में तीनों हमलावरों ने अतीक और अशरफ दोनों पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं. लेकिन इस बीच अब अतीक अहमद की चिट्ठी का जिक्र जोर-शोर से हो रहा है.

जी हां, यह वही चिट्ठी है, जिसमें अतीक अहमद ने अपनी हत्या की आशंका जताई थी. पूर्व सांसद और गैंगस्टर रहे अतीक अहमद ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के नाम यह चिट्ठी लिखी थी. इस चिट्ठी का जिक्र अतीक अहमद के भाई अशरफ ने मौत से पहले पेशी के लिए जाते समय मीडिया से कही थी.

अशरफ ने बताया था कि एक बड़े अफसर ने उसे बताया था कि जल्द ही उन्हें किसी बहाने से बाहर लेकर जाया जाएगा और एनकाउंटर किया जाएगा. अशरफ से जब मीडिया ने अधिकारी का नाम पूछा तो उसने बताया कि मैं उसका नाम नहीं बता सकता. हालांकि, अशरफ ने यह भी कहा कि चिट्ठी में उस अधिकारी का नाम लिखा है. हमारी मौत के बाद वह चिट्ठी सुप्रीम कोर्ट, इलाहाबाद हाईकोर्ट और माननीय मुख्यमंत्री के पास पहुंच जाएगी.
माफिया अतीक अहमद की हत्या से जुड़ी सीलबंद चिट्ठी की तस्वीर खूब उछाली जा रही है. अशरफ की बातों पर भरोसा किया जाए तो इस चिट्ठी में उस अधिकारी का नाम दर्ज है, जिसने अतीक अहमद को जान से मारने की धमकी दी थी. माना जा रहा है कि इसी चिट्ठी में उन लोगों के नाम भी हो सकते हैं, जिनके संबंध में अतीक को लगता था कि उनसे अतीक की जान को खतरा हो सकता है.
सूत्रों के अनुसार अतीक अहमद की इस चिट्ठी में कम से कम 5 नेताओं के नाम भी हो सकते हैं. इसमें कुछ कारोबारियों के नाम होने की भी संभावना है. बता दें कि शनिवार रात जब अतीक अहमद की हत्या की गई तो उसे कुल 8 गोलियां मारी गई थीं. मोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार अतीक के सिर, गर्दन और छाती में भी गोलियां लगी थीं

उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह बोले, ‘खत में क्या लिखा है यह मुझे कैसे पता चल जाएगा? किसी ने अभी तक खत देखा ही नहीं है. यह तो बे-सिर पैर की सी खबरें में सिर्फ मीडिया में ही देख पढ़ रहा हूं. मीडिया अगर खबरें छाप रहा है तो फिर वो खत क्यों नहीं छाप रही है’?

जिस उमेश पाल ट्रिपल मर्डर को लेकर 24 फरवरी 2023 से देश प्रदेश और प्रयागराज में बबाल कटा हुआ था. उस कांड में उमेश पाल सहित अब तक 9 लाशें एक के बाद एक उठ चुकी हैं. यह सबके सब यानी 9 लोग किसी न किसी के हाथों ही मारे या निपटाए गए हैं. यहां तक कि उमेश पाल ट्रिपल मर्डर (Umesh Pal Murder)के सूत्रधार माने जा रहे माफिया डॉन सजायाफ्ता मुजरिम अतीक अहमद (Atique Ahmed Murder) और उसके बदमाश भाई अशरफ तक को भरे गोल में सर-ए-राह ठिकाने लगा डाला गया. इन 9 लाशों के बिछ जाने के बाद अब इस खूनी खेल में किसी आईपीएस अधिकारी का नाम उछल रहा है.

कहा जाता है कि यह आईपीएस अफसर सूबे की सल्तनत का बेहद करीबी और हाई-प्रोफाइल है. इसका नाम भी तब चर्चाओं में आया है जब, अतीक और अशरफ खुद भी ढेर हो चुके हैं. इस आईपीएस अफसर का नाम ढेर किए जा चुके, और बरेली जेल में बंद रहने वाले अशरफ ने ही लिफाफे में बंद करके छोड़ा है! मीडिया में मौजूद खबरों में ही इस लिफाफा-बंद खत को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है.

अशरफ के खत में क्या लिखा है?

इस रहस्यमयी खत पर न तो पुलिस बोलने को राजी है. न ही सूबे की सल्तनत में कोई कुछ बोल रहा है. ऐसे में सवाल फिर वही पैदा होना लाजिमी है कि, आखिर इस लिफाफा बंद खत का जिक्र या फिर जिन्न आखिर उस अशरफ ने, बरेली जेल की सलाखों के भीतर से बाहर निकलवाकर फिंकवाया कैसे होगा?

जो अशरफ अब खुद ही दुनिया में जिंदा नहीं है. दूसरा, सवाल कि अगर ऐसा कोई बबाली खत है भी, तो अब उसकी सत्यता आइंदा क्यों और कैसे कोई पुष्ट कर सकेगा? किसे इस बात की पड़ी होगी आने वक्त में कि, कोई इस बवाली खत को सीलबंद लिफाफे से निकालकर, एक नई मुसीबत बैठे-बिठाए अपने गले में फंसाए? बहरहाल, खत है या नहीं है? अगर वास्तव में ऐसा कोई खत है भी, तो इस वक्त वो कहां मौजूद है? इन तमाम सवालों का जवाब भविष्य के गर्भ में ही हाल-फिलहाल तो छिपा है.

क्यो बोले यूपी के पूर्व डीजीपी?

इस कथित भूचाली खत को लेकर सोमवार को टीवी9 ने बात की 1974 बैच के पूर्व आईपीएस, दबंग एनकाउंटर स्पेशलिस्ट और उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह से (Ex DGP UP Vikram Singh). उन्होंने कहा, “इस कथित खत के बारे में मैंने सिर्फ और सिर्फ अभी तक मीडिया में ही देखा सुना पढ़ा है. जिसमें बताया गया है कि जब पहली बार यानी जब अतीक अहमद को साबरमती जेल से लाकर प्रयागराज कोर्ट में अशरफ के साथ पेश किया गया था. और जब उसे (अतीक अहमद) उमेश पाल अपहरण कांड में उम्रकैद मुकर्रर कर दी गई थी. तब वापसी के बाद यह खत अतीक के भाई अशरफ ने लिखा था.

अब अशरफ भी मारा जा चुका है और अतीक भी. ऐसे में यह कौन बताएगा कि वो खत है कहां, जिसके बारे में दावा ठोका जा रहा है कि अशरफ ने लिखा था.” खत के अंदर मौजूद मजमून के बारे में आपको कोई जानकारी है? पूछने पर उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह बोले, “खत में क्या लिखा है यह मुझे कैसे पता चल जाएगा? किसी ने अभी तक खत देखा ही नहीं है. यह तो बे-सिर पैर की सी खबरें में सिर्फ मीडिया में ही देख पढ़ रहा हूं. मीडिया अगर खबरें छाप रहा है तो फिर वो खत क्यों नहीं छाप रही है? मीडिया के पास जब खत के बारे में इतनी पुष्ट खबरें है तो फिर खत भी छाप दे.

क्या किसी विश्वासपात्र के पास है अशरफ का खत?

ताकि रोजाना मसालेदार खबरों की चिकचिक तो खत के नाम पर खत्म हो जाए. मुझे लगता है कि अगर खत लिखा भी गया होगा, तो सबसे पहले तो उसे बाहर लाने में ही पसीना आ जाएगा. हां, यह संभव है कि अशरफ ने वो खत किसी अपने विश्वासपात्र के हवाले कर दिया हो इस हिदायत के साथ कि, अगर उसकी मौत हो जाती है किन्हीं संदिग्ध परिस्थितियों में तो खत उन लोगों तक पहुंचा दिया जाए, जो अशरफ की मौत के बाद उसे न्याय दिलाने में सक्षम होंगे.”

इस बारे में 1998 बैच के पूर्व आईपीएस, प्रयागराज रेंज के (तब इलाहाबाद) तत्कालीन महानिरीक्षक, और रिटायर्ड आईजी इंटेलीजेंस (यूपी पुलिस) आर के चतुर्वेदी ने टीवी9 से कहा, “खत के बारे में सिर्फ मीडिया में ही देखा पढ़ा सुना है. जिसमें सुनने में आ रहा है कि अशरफ ने कथित तौर पर बरेली जेल में लिखा था कि, उसकी मौत अगर कुछ दिन बाद संदिग्ध हालातों में हो जाती है तो, उसके लिए यूपी का कोई दबंग आईपीएस जिम्मेदार होगा! अब भले ही खत का जिन्न अभी तक बाहर न निकला हो. मगर अशरफ और उसका भाई अतीक दोनों ही मारे जा चुके हैं.

‘अब तक बाहर क्यों नहीं आई वो चिट्ठी’

तो अगर ऐसा कोई खत है मौजूद तो उसकी सार्थकता स्वंय ही बढ़ जाती है. क्योंकि जो मजमून या आशंका अपनी हत्या के बाबत खत के जरिए अशरफ ने बयान की थी, वो सच साबित हुई है. मगर सवाल फिर वही कि अगर ऐसा कोई खत है भी तो फिर वो खत, किसके पास है? और अब जब अतीक-अशरफ को कत्ल हुए दो दिन बीत चुके हैं. तो फिर वो खत बाहर क्यों नहीं आ रहा है? जिसके कब्जे में यह खत है वो शख्स अशरफ के कत्ल के बाद भी खत को दबाए क्यों बैठा है? अगर वास्तव में अशरफ द्वारा लिखा गया कोई खत कहीं जमाने में किसी के पास मौजूद है?”

 

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