भारत में पहले दिन तीन लाख से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मियों को कोविड-19 के टीके की खुराक दिए जाने के साथ शनिवार को दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए दिन में साढ़े दस बजे देश में पहले चरण के कोविड-19 टीकाकरण अभियान की शुरुआत करेंगे।
विदेश में निर्मित दवाओं ने बहुत अच्छे परिणाम नहीं दिए हैं।
जिस वैक्सीन को लेकर दुनियाभर में उम्मीदें जगी थी, वही अब डरावना लगने लगा है। दरअसल, कोरोना वैक्सीन लगाने के बाद कई देशों में लोगों की मौत से हाहाकार मच गया है और वैक्सीन की विश्वसनीयता और प्रमाणिकता को लेकर गंभीर सवाल खड़े होने लगे हैं।
Cornavirus ) से निजात पाने के लिए दुनियाभर के कई देशों में वैक्सीनेशन का काम शुरू हो चुका है। नॉर्वे ( Norway ) में भी नए साल के चार दिन बाद से ही टीकाकरण किया जा रहा है। इस बीच बड़ी खबर सामने आई है। नॉर्वे में बायोनटेक की फाइजर वैक्सीन लगाए जाने के बाद 13 लोगों की मौत से कोहराम मच गया है।
दरअस देशभर में अब तक 33 हजार से ज्यादा लोगों को फाइजर का टीका लगाया जा चुका है। वहीं 29 लोगों में इसके साइडफेक्ट देखने को मिले हैं। आपको बता दें कि नार्वे में सरकार ने इस बात पहले ही घोषणा कर दी थी कि वैक्सीन के साइड इफेक्ट हो सकते हैं। जिन 29 लोगों में साइड इफेक्ट देखे गए थे उन्हीं में से 13 लोगों की मौत हो चुकी है।
मरने वालों में ज्यादातर बुजुर्ग
नार्वे की मेडिसिन एजेंसी के मेडिकल डायरेक्टर स्टेइनार मैडसेन ने देश के राष्ट्रीय प्रसारक एनआरके से बातचीत में कहा, ‘इन 13 मौतों में नौ गंभीर साइड इफेक्ट और 7 कम गंभीर साइड इफेक्ट के मामले हैं।
नार्वे में कुल 23 लोगों की मौत को वैक्सीन लगवाने से जोड़कर देख जा रहा है। इनमें से अब तक 13 लोगों की जांच की गई है।
ये दिखे थे लक्षण
मैडसेन के मुताबिक जिन लोगों की वैक्सीन लगाए जाने से मौत हुई है वे ज्यादा बुजुर्ग हैं। ये सभी नर्सिंग होम में रहते थे।
मरने वालों में सभी की उम्र 80 वर्ष के ऊपर थी। उन्होंने कहा, ‘ऐसा लगता है कि इन मरीजों को वैक्सीन लगवाने के बाद बुखार और बेचैनी के साइड इफेक्ट का सामना करना पड़ा। इससे वे गंभीर रूप से बीमार हो गए और बाद में उनकी मौत हो गई ।
हालांकि मेडिकल डायरेक्टर स्टेइनार मैडसेन के मुताबिक ऐसे कई लोग हैं जो पहले से हार्ट या अन्य बीमारियों से ग्रसित हैं और उन्हें टीके से कोई नुकसान नहीं हुआ है। यही वजह है कि हम फिलहाल ज्यादा चिंतित नहीं है।
वैक्सीन लगाने पर हुई ऐसी दिक्कत
जिन 9 मरीजों में गंभीर साइड इफेक्ट देखे गए उनमें एलर्जिक रिएक्शन, बहुत ज्यादा बेचैनी और तेज बुखार शामिल है। वहीं जिन 7 मरीजों में कम साइड इफेक्ट देखे गए, उनमें जिस जगह पर इंजेक्शन लगाया गया वहां पर बहुत तेज दर्द हुआ।
अब हर व्यक्ति की जांच जरूरी
इन मौते के बाद सरकार सकते में है और स्वास्थ्य विभाग ने हर वैक्सीनेशन से पहले हर व्यक्ति की जांच जरूरी कर दी है। पहले वैक्सीन लगाए जाने वाले लोगों की पहचान की जाएगी। मैडसन के मुताबिक डॉक्टरों को निश्चित रूप से सतर्कतापूर्वक ऐसे लोगों की पहचान करनी चाहिए जिन्हें वैक्सीन लगाया जाना है। जो लोग गंभीर रूप से बीमार हैं, उन्हें एक-एक करके जांच करने के बाद ही टीका लगाया जाए।
जर्मनी में कोरोना वैक्सीन ( Corona Vaccine ) लगवाने के बाद दस लोगों की मौत हो गई है। बताया जा रहा है कि इन सभी लोगों की मौत कोरोना टीका लगाने की वजह से हुई है। हालांकि, पॉल एर्लिश इंस्टीट्यूट ( PEI ) के विशेषज्ञ इसकी जांच में जुट गए हैं कि मौत की असल वजह क्या है। यह इंस्टीट्यूट जर्मनी में चिकित्सकीय उत्पादों की सुरक्षा जांच का जिम्मा संभालता है। इसके अलावा कनाडा में भी कोरोना वैक्सीन का टीका लगवाने वाले एक डॉक्टर की मौत हो गई।
आपको बता दें कि नॉर्वे में कोरोना वैक्सीन का टीका लगवाने वाले 23 लोगों की मौत अब तक हो चुकी है। सरकार ने बताया है कि मरने वालों का उम्र 80 साल से अधिक है। नॉर्वे मेडिसिन एजेंसी के मुताबिक, अब तक 13 मृतकों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में ये पता चला है कि इनकी मौत वैक्सीन के साइड इफेक्ट की वजह से हुई है।
मरने वालों की आयु 75 साल से अधिक
पॉल एर्लिश इंस्टीट्यूट (PEI) से जुड़ी ब्रिगिट केलर-स्टेनिसलॉस्की ने बताया कि मरने वाले सभी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं। सभी की आयु 79 से 93 साल के बीच थी। बताया जा रहा है कि सभी लोगों की मौत टीकाकरण और मौत के बीच चार दिनों का फासला है। फिलहाल जांच की जा रही है और शुरुआती जांच के बाद ये कहा जा रहा है कि मरीजों की मौत बीमारियों से हुई है। कोरोना टीकाकरण का इससे संभवतः कोई संबंध नहीं है।
PEI के विशेषज्ञों ने शुक्रवार को जर्मनी में कोरोना टीके से गंभीर साइडइफेक्ट के छह नए मामले दर्ज किए गए। इसके साथ ही देश में अब तक वैक्सीन से जुड़े कथित दुष्परिणाम के 325 मामले रिकॉर्ड किए जा चुके हैं। इनमें 51 गंभीर मामले में शामिल हैं।
बता दें कि जर्मनी में पिछले साल देशभर में टीकाकरण अभियान की शुरुआत की गई थी। जर्मनी में फाइजर-बायोएनटेक द्वारा विकसित कोरोना वैक्सीन का टीका लगाया जा रहा है। गुरुवार तक देशभर में 8.42 लाख लोगों को वैक्सीन की पहली खुरा दी जा चुकी है।
कनाडा में डॉक्टर की मौत
आपको बता दें कि जर्मनी के अलावा कनाडा में भी फाइजर-बायोएनटेक की ओर से विकसित टीका लगवाने के तीन दिन बाद एक डॉक्टर की मौत हो गई, जिसके बाद से हड़कंप मच गया। अधिकारियों ने इसकी जांच शुरू कर दी है।
इससे पहले अमरीका में भी एक डॉक्टर की मौत हो गई थी। इनको लेकर फाइजर की ओर से सफाई दी गई। फाइजर ने कहा कि फ्लोरिडा के डॉक्टर की मौत में वैक्सीन की कोई भूमिका नहीं है। माउंट सिनाई मेडिकल सेंटर के शीर्ष प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. ग्रेगरी माइकल ने 18 दिसंबर को टीका लगवाया था। इसके तीन दिन बाद 21 दिसंबर को उनकी मौत हो गई थी।