पिता भी जीतने के और बहुमत के बाद भी नही बन पाए थे मुख्यमंत्री
कांग्रेस का सबसे सौम्य और विनम्र नेता फंस गया बड़े नेताओं के पुत्र मोह में
कभी दिग्गजों के पुत्र प्रेम की बलि चढ़े, कभी विधायकी के आड़े आई गुटबाजी
वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं का चुनाव से इंकार, कैसे लगेगी कांग्रेस की नैया पार
भोपाल। मान-मनौव्वल, सिर फुटव्वल… मध्य प्रदेश कांग्रेस की राजनीति में इन दिनों ये ही चल रहा है। टिकट वितरण को लेकर असंतोष खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। प्रदेश के कई नेता विधानसभा चुनाव लड़ने से मना कर रहे हैं। कांग्रेस हाईकमान की ईच्छा थी कि भाजपा की तर्ज पर कुछ बड़े नाम वाले नेताओं को उनके क्षेत्र में विधानसभा का चुनाव लड़ाया जाए, लेकिन इनमें से कुछ नेताओं ने चुनाव लड़ने से सार्वजनिक रूप से इंकार कर दिया है। प्रदेश स्तर के बड़े नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव भी इन नेताओं में से एक हैं जिन्होंने चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है। लेकिन उनकी इस घोषणा के बाद प्रदेश कांग्रेस की कलह एक बार फिर लोगों के सामने आ गई है। वैसे 2021 के उपचुनाव के दौरान भी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए अरूण यादव का दर्द छलक आया था कि फसल वे उगाते हैं लेकिन काटने के लिए किसी दूसरे को दे दी जाती है।
2021 में दिग्गजों के पुत्र प्रेम की बलि चढ़े थे यादव
साल 2021 में खंडवा संसदीय सीट पर उपचुनाव हुआ था। कांग्रेस की ओर से चर्चा थी कि अरूण यादव को लड़ाया जाएगा, लेकिन आखिर समय में उन्होंने खंडवा उपचुनाव लड़ने से मना कर दिया था। सार्वजनिक रूप से अरूण यादव ने भले ही इसके पीछे पारिवारिक कारण बताया था, लेकिन राजनीति के जानकारों का कहना है कि कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के पुत्र प्रेम के कारण ही अरुण यादव की बलि चढ़ाई गई थी। इस बार भी अरूण यादव के विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने के पीछे भी कांग्रेस की इसी गुटबाजी को मुख्य कारण माना जा रहा है।
सांसद विवेक तन्खा भी कर चुके हैं मना
कांग्रेस नेता भोपाल से लेकर दिल्ली तक बैठकें कर रहे हैं लेकिन स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक के बाद ही पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव सीधे तौर पर चुनाव लड़ने से मना कर चुके हैं। बीते विधानसभा चुनाव में अरूण यादव मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ बुधनी विधानसभा चुनाव से लड़े थे, जहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री व पार्टी के केंद्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह ने भी इस बार विधानसभा चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है। उनके बाद वरिष्ठ अधिवक्ता और राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने भी यही रूख अख्तियार किया और चुनाव लड़ने में अनिच्छा जाहिर की है। इन हालातों को देखकर तो जनता के मन में सवाल उठने लगा है कि कांग्रेस की नैया का आखिर कौन होगा खिवैया?