खुला खेल बरबादी का….
वक्फ बोर्ड को ₹100 करोड़, ईसाइयों के लिए ₹200 करोड़: कर्नाटक की काॅन्ग्रेस सरकार ने पेश किया बजट, रेवड़ी बाँटने के लिए ₹52 हजार करोड़
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने वित्त वर्ष 2024-25 का बजट पेश कर दिया है। ₹3.71 लाख करोड़ के इस बजट में कई महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं। बजट में सामने आया है कि सरकार इस साल ₹1 लाख करोड़ से अधिक उधार लेने वाली है। चुनावी वादों को पूरा करने के लिए बड़ी धनराशि खर्च की जाएगी। सिद्दारमैया ने वक्फ बोर्ड और ईसाइयों के लिए भी बड़ी धनराशि देने की घोषणा की है।
मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के पास वित्त मंत्रालय भी है। उन्होंने आज (16 फरवरी 2024) कर्नाटक विधानसभा में बजट पेश करते हुए कहा कि ₹52,000 करोड़ की राशि गृह ज्योति, गृह लक्ष्मी, युवा निधि समेत पाँच योजनाओं के लिए दी गई है। इन योजनाओं का ऐलान कॉन्ग्रेस ने 2023 के कर्नाटक विधानसभा चुनावों के दौरान किया था। वहीं, राज्य सरकार 33.19 लाख किसानों को एकमुश्त ₹2000 देगी।
सिद्दारमैया ने कर्नाटक वक्फ बोर्ड के लिए ₹100 करोड़ और राज्य के ईसाइयों के विकास के लिए ₹200 करोड़ की व्यवस्था इस बजट में की गई है। राज्य में 100 मौलाना अबुल कलाम आजाद स्कूल खोले जाएँगे, जबकि ₹10 करोड़ से मैंगलूरू में एक हज हाउस बनाया जाएगा। सिद्धारमैया ने कहा कि 393 करोड़ रुपए की लागत से अल्पसंख्यक विकास निगमों के माध्यम से कार्यक्रम तैयार और कार्यान्वित किए जाएँगे।
कर्नाटक सरकार हनुमान जी के जन्मस्थान के विकास के लिए भी ₹100 करोड़ खर्च करेगी। वहीं, जैन धर्म के प्रमुख तीर्थस्थलों के विकास के लिए 50 करोड़ रुपए आवंटित की जाएगी। बौद्ध धर्म के पवित्र ग्रंथ ‘त्रिपिटक’ का कन्नड़ में अनुवाद के लिए भी आवश्यक अनुदान आवंटित किया जाएगा। इसके अलावा, अन्य तीर्थ स्थलों के विकास के लिए 20 करोड़ रुपए का भी आवंटन किया गया है।
सिद्दारमैया ने ऐलान किया है कि वह एक कानून के जरिए राज्य के सभी साइनबोर्ड पर 60% कन्नड़ भाषा अनिवार्य करेंगे। राज्य सरकार के इस बजट में नई क्षमताएँ (इन्फ्रा जैसी सुविधाएँ) बनाने को लेकर ₹55,000 करोड़ खर्च किए जाएँगे। ₹24,000 करोड़ कर्ज का ब्याज चुकाने में खर्च होंगे। राज्य सरकार ने एक फैक्ट चेक यूनिट बनाने की भी घोषणा की है। ऐसे ही प्रयास पहले तमिलनाडु में हो चुके हैं।
जहाँ इस बजट को मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने समृद्धि को लक्षित बजट बताया है, वहीं कर्नाटक भाजपा के नेताओं ने इसे जनविरोधी और किसान विरोधी बजट करार दिया है। उन्होंने कहा है कि कोई नई योजना नहीं लाई गई है और राज्य को 20 साल पीछे धकेला जा रहा है। भाजपा विधायकों ने बजट के दौरान कर्नाटक विधानसभा में प्रदर्शन भी किया है।