धार्मिक कट्टरपंथ से जूझ रहा श्रीलंका अब बुर्के पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी में है। महिंदा राजपक्षे सरकार के एक मंत्री ने शनिवार को ऐलान किया कि श्रीलंका जल्द ही बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि इसके अलावा कम से कम 1 हजार इस्लामी स्कूलों को भी बंद किया जाएगा। श्रीलंका के अलावा भी दुनिया के कई सारे देश बुर्के पर प्रतिबंध लगा चुके हैं। कुछ दिन पहले ही स्विट्जरलैंड ने भी जनमत संग्रह कर बुर्के के पहनने पर प्रतिबंध लगाया था।
कैबिनेट में बुर्के पर प्रतिबंध को लेकर बिल पेश
श्रीलंका के सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री सरथ वेरासेकेरा ने कहा कि उन्होंने कैबिनेट की मंजूरी के लिए एक बिल पर साइन किया है। इस बिल में राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर मुस्लिम महिलाओं के बुर्का पहनने पर प्रतिबंध की मांग की गई है। अगर यह बिल कैबिनेट से पारित हो जाता है तो श्रीलंका की संसद इस पर कानून बना सकती है।
बुर्का पर बैन लगाएगा श्रीलंका, 1000 से ज्यादा मदरसा भी होंगे बंद; राष्ट्रीय सुरक्षा का दिया हवाला

अप्रैल 2019 में इस्लामिक आतंकवाद ने श्रीलंका को दहला दिया था। उसके बाद से ही वह इस्लामी कट्टरपंथ को लेकर लगातार सख्ती दिखा रहा है। इसी क्रम में वह अब बुर्का पर प्रतिबंध लगाने जा रहा है। साथ ही 1000 से ज्यादा इस्लामिक स्कूल (मदरसा) भी बंद किए जाएँगे।
श्रीलंका के पब्लिक सिक्योरिटी मंत्री सरत विरासेकेरा (Sarath Weerasekera) ने इसकी जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि शुक्रवार (12 मार्च 2021) को उन्होंने कैबिनेट से मँजूरी के लिए इससे संबंधित दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए हैं। इसमें बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगाने की बात कही गई है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह फैसला किया गया है।
विरासकेरा ने बताया, “हमारे शुरुआती दिनों में मुस्लिम महिलाएँ और लड़कियाँ बुर्का नहीं पहनती थीं। यह मजहबी अतिवाद का प्रतीक है जो हाल में ही सामने आया है। हम इसे निश्चित तौर पर बंद कर देंगे।” उल्लेखनीय है कि बौद्ध बहुल देश में चर्च और होटलों पर 2019 में हुए आतंकी हमलों के बाद बुर्का पहनने पर अस्थायी तौर पर पाबंदी लगा दी गई थी। इन हमलों में 250 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी।
विरासेकेरा ने कहा कि सरकार की योजना 1000 से ज्यादा ऐसे मदरसों को बंद करने की भी है, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति की धज्जियाँ उड़ा रहे हैं। उन्होंने कहा, “कोई भी स्कूल खोल कर बच्चों को वह नहीं पढ़ा सकता जो वह पढ़ाना चाहता है।”
इससे पहले पिछले साल कोविड संकट के दौरान श्रीलंकाई सरकार ने संक्रमण से मौत होने पर मुस्लिमों की इच्छा के विपरीत उन्हें दफनाने की बजाए उन्हें जलाने के आदेश दिए थे। अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय अधिकार समूहों की आलोचना के बाद इस साल इस आदेश को हटा लिया गया था।
2019 के हमले के बाद गोटाभाया राजपक्षे श्रीलंका के राष्ट्रपति चुने गए थे। लिट्टे के सफाए के लिए जाने जाने वाले राजपक्षे ने सत्ता सँभालते ही इस्लामिक आतंकवाद से सख्ती से निपटने की बात कही थी। हिंदुस्तान टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, “लिट्टे से हम काफ़ी अच्छी तरह से निपटे। हमारी खुफिया एजेन्सियाँ उस आंदोलन की पृष्ठभूमि, नेताओं, तौर-तरीकों और इतिहास से अच्छी तरह अवगत थे। खुफिया एजेंसियों को उनके नेताओं के ठिकानों के बारे में पता था। लेकिन, इस्लामी आतंकवाद को लेकर दुर्भाग्य से ऐसा कुछ भी नहीं है। यह नया खतरा है। इससे निपटने के लिए हमें और क्षमता विकसित करनी पड़ेगी। लेकिन मैं अपने देश में इस्लामी आतंकवाद को पनपने नहीं दूँगा और कभी बर्दाश्त नहीं करूँगा।” इस दिशा में उन्होंने भारत के साथ मिलकर काम करने की बात कही थी।
गौरतलब है कि यूरोपीय देश स्विट्जरलैंड भी बुर्का पर बैन की तैयारी कर रहा है। पिछले दिनों बुर्का और नकाब पर प्रतिबंध को लेकर वहाँ हुए रेफेरेंडम में 51% वोटरों ने इसका समर्थन किया था। स्विट्जरलैंड के 26 में से 15 प्रांतों में पहले से ही ऐसे प्रतिबंध लागू हैं।