भारत बायोटेक के MD ने सिर्फ एक बयान देकर,देश की वैज्ञानिक क्षमता पर सवाल उठाने वाले नेताओं को उनकी औकात दिखाई है।भारत बायोटेक की कोवैक्सिन को ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने इमरजेंसी यूज की मंजूरी दे दी है। इस पर विपक्ष ने आरोप लगाया है कि ये मंजूरी हड़बड़ी में दी गई है। वैक्सीन पर जारी सियासत के बीच भारत बॉयोटेक के एमडी कृष्णा एल्ला ने सोमवार (जनवरी 4, 2021) को अपना पक्ष रखा है। एल्ला ने कहा कि वैक्सीन पर सियासत हो रही है। कुछ लोग हमारी वैक्सीन के बारे में केवल गॉसिप कर रहे हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए।
एल्ला ने कहा, “मैं ये स्पष्ट करना चाहता हूँ कि मेरे परिवार का कोई भी सदस्य किसी भी राजनीतिक पार्टी से नहीं जुड़ा है। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे पास वैक्सीन बनाने का अनुभव है।”
उन्होंने कहा, “मुझे नहीं पता कि भारतीय कंपनियाँ हमेशा दुनिया में हर किसी के निशाने पर क्यों रहती हैं। आपातकालीन चिकित्सा लाइसेंस जारी करना एक वैश्विक अभ्यास है। यहाँ तक कि अमेरिका का कहना है कि अगर आपके पास अच्छा टीकाकरण डेटा है, तो आपातकालीन प्राधिकरण किया जा सकता है।”
हम ग्लोबल कंपनी, 12 से अधिक देशों में किया क्लीनिकल ट्रायल
कृष्णा एल्ला ने कहा, “हम केवल भारत में क्लीनिकल ट्रायल नहीं कर रहे हैं। हमने ब्रिटेन समेत 12 देशों में ट्रायल किए हैं। हम पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और दूसरे देशों में ट्रायल कर रहे हैं। हम केवल भारतीय कंपनी नहीं है, हम वास्तव में एक ग्लोबल कंपनी हैं।”
123 देशों के लिए वैक्सीन बनाई
उन्होंने कहा, “हम ऐसी कंपनी नहीं हैं, जिसके पास वैक्सीन बनाने का अनुभव नहीं है। हमारे पास वैक्सीन बनाने का बहुत ज्यादा अनुभव है। हमने 123 देशों के लिए वैक्सीन बनाई। इस तरह का अनुभव रखने वाली हमारी कंपनी इकलौती है।”
डेटा पर सवाल उठाने वाले आर्टिकल्स पढ़ें
एल्ला ने कहा, “कई लोग कह रहे हैं कि हमारे डेटा में पारदर्शिता नहीं बरती गई है। मुझे लगता है कि लोगों को संयम रखना चाहिए और इंटरनेट पर हमने डेटा के संबंध में जो आर्टिकल पब्लिश किए हैं, उन्हें पढ़ना चाहिए। अब तक 70 से ज्यादा आर्टिकल इंटरनेशनल जर्नल्स में पब्लिश हो चुके हैं।”
हम पर लांछन लगाना ठीक नहीं
उन्होंने कहा, “वैक्सीन पर कई लोग केवल गॉसिप कर रहे हैं, ये भारतीय कंपनियों पर लांछन है। ये हमारे लिए सही नहीं है। हमारे साथ ऐसा नहीं होना चाहिए। मेरेक इबोला वैक्सीन का ह्यूमन क्लीनिकल ट्रायल कभी पूरा नहीं हुआ, इसके बावजूद WHO ने उसे लाइबेरिया और गिनी के लिए इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी थी।”
हमारे पास दो करोड़ डोज तैयार
उनका कहना है कि मौजूदा समय में उनके पास 2 करोड़ डोज तैयार हैं। वो जल्द ही 70 करोड़ डोज तैयार कर लेंगे। ये वैक्सीन उनके चार सेंटर्स पर तैयार हो रहे हैं। इनमें से तीन हैदराबाद में है और एक बेंगलुरु में। उन्होंने कहा कि इस समय हम कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। इनमें लॉजिस्टिक समस्या भी शामिल है।
BSL-3 प्रोडक्शन सुविधा सिर्फ हमारे पास
इसके साथ ही उन्होंने कहा, “गर्व की बात है कि पूरी दुनिया में केवल हमारे पास BSL-3 प्रोडक्शन सुविधा है। यहाँ तक कि US के पास भी ये सुविधा नहीं है। हम पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी में मदद करने के लिए हैं, फिर वो दुनिया के किसी भी हिस्से में क्यों न हो।”
नए कोरोना स्ट्रेन के मसले पर उन्होंने कहा कि वह एक हफ्ते में इसका पूरा कंफर्म डेटा देंगे। वहीं वैक्सीन की कीमत पर उन्होंने कहा कि शुरूआती दौर में वैक्सीन थोड़ी महँगी होगी। मगर जब वैक्सीन का प्रोडक्शन बढ़ जाएगा तब इसका प्राइस मार्केट के जरिए कंट्रोल होने लगेगा।
अखिलेश यादव ने सबसे पहले सवाल खड़े किए थे
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सबसे पहले इस पर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा था कि ताली-थाली बजवाकर कोरोना को भगाने वाली सरकार पर भरोसा नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार की वैक्सीन लगवाने की उस व्यवस्था पर भरोसा नहीं कर सकते, जो कोरोनाकाल में ठप्प-सी पड़ी थी। उन्होंने कहा कि हम भाजपा की राजनीतिक वैक्सीन नहीं लगवाएँगे। जब हमारी सरकार बनेगी, तब हम मुफ्त में वैक्सीन लगवाएँगे।
अखिलेश के समर्थन में कॉन्ग्रेस
कॉन्ग्रेस नेता राशिद अल्वी ने अखिलेश का समर्थन किया। उन्होंने कहा था कि जिस तरह से भाजपा और प्रधानमंत्री CBI, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और ED का इस्तेमाल विपक्षी नेताओं के खिलाफ कर रहे हैं, मुझे लगता है कि अखिलेश यादव का यह डर गलत नहीं है कि वैक्सीन का भी गलत इस्तेमाल हो सकता है। जिस तरह से सरकार विपक्षी नेताओं के खिलाफ काम कर रही है, यह डर वाजिब है।
शशि थरूर और जयराम रमेश ने भी सवाल उठाए थे
कॉन्ग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि कोवैक्सिन ने अभी तक अपना तीसरा ट्रायल भी पूरा नहीं किया है। जल्दबाजी में वैक्सीन को मंजूरी दी गई और यह खतरनाक हो सकता है। उन्होंने कहा कि जब तक ट्रायल पूरा नहीं हो जाता, इसके इस्तेमाल से बचा जाना चाहिए।
कॉन्ग्रेस के एक और वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि भारत बॉयोटेक एक फर्स्ट रेट इंटरप्राइज है, लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि कोवैक्सिन के फेज-3 ट्रायल से जुड़े प्रोटोकॉल, जिन्हें इंटरनेशनल लेवल पर मंजूर किया गया है, उसे मोडिफाई किया जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्री को इसका जवाब देना चाहिए।