Friday, December 27, 2024
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(LIVE VIDEO): सच्चे ईमान वाले सच नाम लिखने से डर रहे,हिन्दू देवी देवताओं के नाम से चला रहे ढाबा,मौलाना बोला थूक कर खाना खिलाना बरकत और सुन्नत

स्वामी यशवीर महाराज ने 18 जुलाई 2024 को एक वीडियो बयान जारी कर इस्लामिक कट्टरपंथियों और तथाकथित ‘सेकुलरों’ को आड़े हाथों लिया, जो यूपी के मुजफ्फरनगर के काँवड़ रूट पर दुकानों और ठेलों पर उनके मालिकों के नाम लिखने के मुजफ्फरनगर पुलिस के निर्देश का विरोध कर रहे हैं।

 

 

काँवड़ यात्रियों के बीच दुकानों के मालिक को लेकर किसी तरह के भ्रम की स्थिति न हो, इसके लिए ये निर्देश जारी किए गए हैं। बता दें कि लंबे समय से ऐसी खबरें आ रही हैं, जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोग हिंदू देवी-देवताओं के नाम का इस्तेमाल कर होटल, दुकानें, ढाबे और फल के ठेले चला रहे हैं। यशवीर महाराज लंबे समय से इसका विरोध कर रहे हैं।

स्वामी यशवीर महाराज ने वीडियो में कहा, “हमने सवाल उठाए कि मुजफ्फरनगर में काँवड़ मार्ग पर खाने-पीने की दुकानें, फलों के ठेले आदि चलाने वाले मुस्लिम दुकानदार अपनी दुकानों के नाम हिंदू देवी-देवताओं के नामों पर क्यों रखते हैं। जब हमने माँग की कि सभी दुकानों और ठेलों पर मालिकों/कर्मचारियों के नाम बोर्ड पर मोटे अक्षरों में लिखे होने चाहिए, तो पुलिस ने हमारी माँग मान ली और इसके लिए निर्देश जारी कर दिए। दुकानदार निर्देशों के अनुसार मालिकों के नाम मोटे अक्षरों में लिख रहे हैं। हालाँकि ओवैसी जैसे कट्टरपंथी पुलिस के निर्देशों पर आपत्ति जता रहे हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “एक तथाकथित पत्रकार है, मोहम्मद जुबैर। यह वही मोहम्मद जुबैर है जिसने अपनी पोस्ट से मुसलमानों को हिंदुओं के खिलाफ भड़काया और वह कई बार जेल जा चुका है। उस पर कई मुकदमे चल रहे हैं। मुजफ्फरनगर में भी उसके खिलाफ मामला दर्ज है। इसलिए मैं सरकार से अनुरोध करता हूं कि किसी काँवड़ यात्री के साथ कोई दुर्घटना न हो। अगर किसी काँवड़ यात्री को कुछ होता है, तो उसके लिए मोहम्मद जुबैर को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। इसलिए, उसे तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए और उसके खातों की भी जाँच की जानी चाहिए, ताकि पता चल सके कि उसे विदेशी फंडिंग तो नहीं मिल रही है।”

WhatsApp Video 2024-07-18 at 09.45.48 from OpIndia Videos on Vimeo.

स्वामी ने आगे कहा, “जो कट्टरपंथी और सेकुलर लोग पुलिस के निर्देशों का विरोध कर रहे हैं, उन्हें सोचना चाहिए कि अगर हिंदू उनके होटल में खाना खाते रहेंगे, जिस पर थूका गया हो, पेशाब किया गया हो और गोमाँस मिला हो, तो यह (उनके लिए) ठीक है, लेकिन अगर वे (हिंदू) विरोध करते हैं, तो यह एक समस्या बन जाती है और वे (कट्टरपंथी और सेकुलर) इसके खिलाफ अभियान शुरू कर देते हैं। हमें मुस्लिमों के होटलों और ढाबों से कोई समस्या नहीं है। वो उन्हें चलाने के लिए आजाद हैं लेकिन उन्हें हिंदू देवी-देवताओं के नाम पर और हिंदुओं के भ्रामक नामों पर चलाने की जगह अपने नाम से दुकानें चलानी चाहिए। अगर किसी को लगता है कि पहले जैसे ही सबकुछ चलता रहेगा, तो ऐसा नहीं होने वाला।हम इसे कम से कम मुजफ्फरनगर में जारी नहीं रहने देंगे। अगर कोई ऐसा करना जारी रखने की कोशिश करता है, तो हम इसके खिलाफ आवाज उठाकर इसे रोकेंगे।” इस दौरान उन्होंने काँवड़ यात्रा के दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखने के निर्देश देने के लिए पुलिस अधिकारियों को धन्यवाद दिया।

दुकानों और ठेलों पर लिखे जाएँ मालिकों के नाम: पुलिस

बता दें कि इस साल काँवड़ यात्रा 22 जुलाई से शुरू होकर 2 अगस्त तक चलेगी। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में स्थानीय प्रशासन ने आदेश जारी कर होटल , ढाबे और खाने-पीने का सामान बेचने वाले ठेलों पर दुकान या ठेला चलाने वाले मालिक और संचालक का नाम लिखने को कहा है। हालाँकि, कथित फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और इस्लामिस्टों ने धार्मिक भेदभाव का आरोप लगाते हुए शोर मचाना शुरू कर दिया है।

उल्लेखनीय है कि मुजफ्फरनगर के एसएसपी ने मीडिया को संबोधित किया, जहाँ उन्होंने प्रशासन के फैसले के बारे में जानकारी साझा की। मीडिया चैनलों से बात करते हुए एसएसपी अभिषेक सिंह ने कहा कि काँवड़ यात्रा के निशान पर आने वाले ढाबों, होटलों, भोजनालयों और खाद्य सामग्री बेचने वाले ठेलों को मालिकों और संचालकों के नाम लिखने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा कि इससे कांवड़ियों के लिए भ्रम की स्थिति से बचा जा सकेगा और बहस या टकराव से बचा जा सकेगा और साथ ही किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सकेगा। उन्होंने कहा कि भोजनालयों ने अपनी मर्जी से आदेश का पालन करना शुरू कर दिया है। उल्लेखनीय है कि काँवड़ यात्रियों को सामान खरीदने के लिए कोई प्रतिबंध नहीं है और वे कहीं से भी खरीदारी करने के लिए स्वतंत्र हैं।

प्रशासन के आदेश के अनुसार, क्षेत्र के कई ठेले वालों और खाने-पीने की दुकानों ने बैनर या पेपर बोर्ड पर नाम लिखना शुरू कर दिया है। नई मंडी, छपार, पुरकाजी, मंसूरपुर और खतौली जैसे थानों के पुलिसकर्मियों ने आदेश का पालन कराना शुरू कर दिया है। शहर के इलाके में मीनाक्षी चौक के पास कई खाने-पीने की दुकानों ने अपने नाम लिखे पोस्टर लगाने शुरू कर दिए हैं।

मुस्लिमों के दुकानों के भ्रामक नामों के खिलाफ यशवीर महाराज का अभियान

गौरतलब है कि पिछले साल काँवड़ यात्रा के दौरान और इस साल की यात्रा से पहले स्वामी यशवीर महाराज ने गंभीर आरोप लगाया था कि बड़ी संख्या में मुस्लिम ढाबे मालिकों ने अपनी पहचान छिपाकर फर्जी हिंदू नामों वाले पोस्टर लगाए हैं। उन्होंने कहा कि काँवड़ यात्रा के मार्गों पर मुस्लिम ढाबे वालों ने पोस्टर लगाए हैं। इसे देखते हुए स्वामी यशवीर महाराज ने माँग की है कि प्रशासन ढाबे मालिकों से अपने मालिकों या संचालकों के नाम बोर्ड पर लिखने के लिए कहे।

स्वामी यशवीर महाराज ने कहा , “काँवड़ यात्रा के दौरान एक समुदाय विशेष के कुछ लोग हिंदू देवी-देवताओं के नाम के बोर्ड लगाकर दुकानें चलाते हैं, जिससे शिवभक्त कांवड़ियों की भावनाओं को ठेस पहुँचने की आशंका है। हिंदू देवी-देवताओं के नाम के बोर्ड लगाकर दुकानें चलाने वाले समुदाय विशेष के लोगों की पहचान सार्वजनिक की जानी चाहिए। पुलिस को इसके लिए अभियान चलाना चाहिए।” उन्होंने चेतावनी भी दी थी कि अगर एक सप्ताह के भीतर प्रशासन इस मामले में कार्रवाई नहीं करता है तो वे विरोध-प्रदर्शन और आंदोलन करेंगे।

इस मुद्दे पर बवाल काट रहे इस्लामिक कट्टरपंथी

प्रशासन का ये आदेश ऐसे कई मामलों के सामने आने के बाद आया है, जिसमें मुस्लिम दुकानदारों के काँवड़ियों के धोखा देने के आरोप लगे। वो सावन के पवित्र महीने में नकली नामों वाले ढाबों, फलों के ठेलों, होटलों में व्रत के नियमों के विपरीत खाना खिलाकर भावनाओं को ठेस पहुँचा रहे हैं। इसके बाद प्रशासन ने ये आदेश जारी किया है कि दुकानों, ढाबों के मालिकों को अपना नाम बड़े अक्षरों में लिखना होगा। क्योंकि ऐसे मामलों में टकराव होने से कानून व्यवस्था की स्थिति खड़ी हो जाती है। हालाँकि, इस्लामिक कट्टरपंथियों ने ये आरोप लगाते हुए शोर मचाना शुरू कर दिया कि दुकान के मालिक का नाम लिखना “धार्मिक भेदभाव” है।

 

 

मोहम्मद जुबैर, जो खुद को फैक्ट चेकर कहता है, लेकिन वामपंथी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए फैक्ट चेक की ओट लेता है। उसने इस आदेश को खतरनाक बताते हुए ‘धार्मिक भेदभाव’ करार दिया था। इसके अलावा एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने तो एक कदम आगे बढ़कर इसकी तुलना दक्षिण अफ्रीका के “रंगभेद” और जर्मनी के “यहूदी बहिष्कार” से कर दी।

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