भोपाल: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव और उसके बाद 2024 के लोकसभा चुनाव को फतह करने का बीजेपी ने प्लान बना लिया है. बीजेपी नो-रिपीट फॉर्मूले को मध्य प्रदेश चुनाव में अमलीजामा पहनाने की कवायद में है, जिसके तहत पुराने नेताओं का टिकट काटकर उनकी जगह पर नए और युवा चेहरे को उतारने की रणनीति है. इसके लिए बीजेपी अपने मौजूदा 40 से 50 विधायकों और एक दर्जन सांसदों का टिकट काट सकती है. बीजेपी इस फॉर्मूले पर गुजरात और उत्तर प्रदेश में चुनावी जंग फतह कर चुकी है और अब देखना है कि मध्य प्रदेश में बीजेपी क्या सियासी करिश्मा दिखाती है?
मध्य प्रदेश की सत्ता में वापसी के लिए बीजेपी हरसंभव कोशिश में जुटी है. सूबे की कमजोर माने जाने वाली 39 विधानसभा सीटों पर बीजेपी ने पहले ही अपने कैंडिडेट घोषित कर दिए हैं और बाकी सीटों के लिए भी जिताऊ कैंडिडेट उतारने की रणनीति पर मंथन कर रही है. बीजेपी ने मौजूदा विधायकों को लेकर सर्वे करा रही है.
मध्य प्रदेश में दूसरे राज्यों के विधायकों को भी भेजकर एक रिपार्ट तैयार कराई है. विधायकों के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर से निपटने के लिए बीजेपी नो-रिपीट फॉर्मूले को आजमाने की कवायद में है. मध्य प्रदेश में मौजूदा जिन विधायकों के खिलाफ उनके ही क्षेत्र में माहौल सही नहीं है या फिर जिनकी उम्र 70 प्लस हो रही है, उन विधायकों की जगह नए चेहरे को टिकट दिए सकते हैं.
40 से 50 विधायकों का काटेगा टिकट?
सूत्रों की मानें तो बीजेपी अपने मौजूदा 127 विधायकों में से 40 से 50 विधायकों की टिकट काट सकती है. इन विधायकों की जगह पर नए और युवा चेहरे को टिकट देकर विधानसभा चुनाव में दांव लगाएगी. इसके अलावा बीजेपी बाकी सीटों पर भी मजबूत कैंडिडेट उतारने की कोशिशों में जुटी है. इस तरह से बीजेपी विधायकों के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर से निपटने की रणनीति है.
एक दर्जन सांसदों को काटेगी टिकट
बीजेपी विधानसभा चुनाव के साथ-साथ अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव की भी तैयारी कर रही है. बीजेपी मध्य प्रदेश में 2019 जैसे नतीजे दोहराने की रणनीति बनाई है. सूबे की 29 में से 28 लोकसभा सीटे बीजेपी ने जीती थी और इस बार क्लीन स्वीप का टारेगट है. सूत्रों की माने तो बीजेपी एमपी में अपने लगभग एक दर्जन मौजूदा सांसदों के टिकट काट सकती है. एक-दो मौजूदा लोकसभा सांसदों की ज्यादा उम्र के चलते उनका टिकट कटने की संभावना है.
सांसदों को विधायकी लड़ाने का फॉर्मूला
बीजेपी मध्य प्रदेश में अपने कई सासंदों का टिकट काटकर विधानसभा चुनाव के रण में उतार सकती है. बीजेपी सांसदों को विधायकी का चुनाव लड़ाने के पीछे विपक्षी के मजबूत उम्मीदवारों को कड़ी चुनौती देने की स्टैटेजी है. बीजेपी के लिए मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में यह फॉर्मूला मास्टर स्ट्रोक साबित हो सकता है.
BJP का नो-रिपीट फॉर्मूला हिट रहा
बीजेपी का नो रिपीट फॉर्मूला कई राज्यों में हिट रहा है. मोदी-शाह के इस अचूक प्लान से बीजेपी गुजरात में पिछले 27 वर्षों से सत्ता में लगातार बनी हुई है. बीजेपी गुजरात में हर बार अपने 25 फीसदी मौजूदा विधायकों का टिकट काटकर उनकी जगह नए चेहरों को उतारती रही है. 2022 के यूपी चुनाव में भी बीजेपी ने इसी फॉर्मूले को आजमाया था और अब मध्य प्रदेश के चुनाव में भी सत्ता विरोधी लहर को मात देने के लिए अपने कुछ मौजूदा विधायकों का टिकट काट सकती है. पार्टी कई मौजूदा विधायकों के टिकट काट सकती है और उनकी जगह नए चेहरों को उतारा जा सकता है.
कांग्रेस की रणनीति 109 नए चेहरे,17 विधायक को छुट्टी
मध्यप्रदेश में सत्ता वापसी की पुरजोर कोशिश में जुटी कांग्रेस ने कैंडिडेट सिलेक्शन की प्रक्रिया तेज कर दी है। कांग्रेस 10-15 सितंबर तक 100 से ज्यादा नामों की पहली लिस्ट जारी कर सकती है। पार्टी ने उम्मीदवार चयन के लिए तीन सर्वे कराए हैं। सूत्रों ने बताया कि सर्वे रिपोर्ट के आधार पर ज्यादातर सीटों पर नाम लगभग फाइनल हो चुके हैं। 2 सितंबर को भोपाल में कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक होने वाली है। इसमें सर्वे रिपोर्ट के साथ ही जिलास्तर पर संगठन के पदाधिकारियों के फीडबैक पर मंथन होगा। इसके बाद उम्मीदवार के नाम फाइनल किए जाएंगे। बताया जा रहा है कि पहले हारी हुई सीटों पर नामों की घोषणा होगी। कांग्रेस 109 सीटों पर नए चेहरे पर दांव लगाने की तैयारी में है। मौजूदा 17 विधायकों के टिकट काटे जा सकते हैं। पार्टी सूत्र बताते हैं कि ये संख्या बढ़ भी सकती है।
दीपक जोशी को खातेगांव से उतार सकते हैं
BJP से कांग्रेस में आए पूर्व मंत्री दीपक जोशी को खातेगांव से मैदान में उतारा जा सकता है। हाटपिपल्या से उपचुनाव हारने वाले राजवीर सिंह को टिकट मिल सकता है, लेकिन कांग्रेस यहां से नए चेहरे पर भी दांव लगा सकती है। सूत्रों का कहना है कि खातेगांव विधानसभा क्षेत्र ब्राह्मण बहुल है। ऐसे में जातीय समीकरण देखें, तो दीपक जोशी इस सीट से लड़ सकते हैं। वैसे भी इस सीट से टिकट के पांच दावेदार मनीष चौधरी, लक्ष्मीनारायण बंडावाला, गौतम बंटू गुर्ज, मनोज होलानी और ओम पटेल हैं।
PCC चीफ कमलनाथ दे चुके संकेत
जिन मौजूदा विधायकों को फिर से मैदान में उतारा जा रहा है, उन्हें कमलनाथ ने तैयारी करने का मौखिक आदेश दे दिया है। उन्होंने 8 अगस्त को भोपाल में मीडिया से चर्चा करते हुए कहा था कि हमें टिकट के दावेदारों के लिए लिस्ट जारी करने की जल्दी नहीं है, जिन्हें टिकट दिया जाना है, उन्हें सूचित कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि मौजूदा 95 में से 74 विधायकों को क्षेत्र में प्रचार करने के लिए कहा जा चुका है।
तीन सर्वे रिपोर्ट ही टिकट का मुख्य आधार
पार्टी के एक पदाधिकारी के मुताबिक कमलनाथ उम्मीदवारों के चयन में जोखिम लेना नहीं चाहते। यही वजह है कि 20 से अधिक विधायकों का टिकट काटकर नए चेहरे को चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी है। जिन विधायकों की प्रारंभिक सर्वे में रिपोर्ट ठीक नहीं थी, उन्हें क्षेत्र में सक्रिय होकर परफॉर्मेंस सुधारने की हिदायत दी गई थी। इसके बाद हुए दो सर्वे में भी जिन विधायकों के प्रदर्शन में सुधार नहीं आया, उन्हें टिकट नहीं दिया जाएगा।
जिलाध्यक्ष और प्रभारियों को बंद लिफाफे में देंगे दावेदारों के नाम
कांग्रेस सितंबर के दूसरे सप्ताह में 100 से अधिक सीटों के टिकट घोषित करने की तैयारी कर रही है। इसके लिए प्रक्रिया तेज कर दी गई है। मप्र के इंचार्ज जनरल सेक्रेटरी रणदीप सिंह सुरजेवाला और स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन भंवर जितेंद्र सिंह ने प्रदेश के 63 जिला प्रभारियों और जिलाध्यक्षों से प्रत्येक विधानसभा से दावेदारों के नाम बंद लिफाफे में मांगे हैं। साथ ही, इलेक्शन कमेटी के चेयरमैन कमलनाथ से 230 विधानसभा सीटों के प्रत्याशियों के नाम मांगे हैं। खास बात यह है कि बंद लिफाफे में दावेदारों की जाति और उपजाति के बारे में भी पूछा गया है।
सत्ता में आना है तो कांग्रेस को एक चौथाई टिकट काटने होंगे
कांग्रेस को यदि फिर से सत्ता में आना है, तो मौजूदा विधायकों में से कम से कम एक चौथाई के टिकट काटने होंगे। पार्टी नेतृत्व को देखना होगा कि वह किसी भी तरह से दवाब में ना आए और जीतने वाले को ही टिकट दे। इसके लिए नए चेहरों को चुनाव मैदान में उतारना पड़ेगा। नहीं तो पहले विधायक टूट कर गए और अब हार कर आएंगे।