नई दिल्ली. लोकसभा में चल रहे मानसून सत्र के आखिरी दिन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कानून संबंधित तीन विधेयक पेश किये हैं. जिसमें भारतीय न्याय संहिता 2023 बिल, भारती नागरिक सुरक्षा सहिंता, 2023 बिल और भारतीय साक्ष्य अधिनियम बिल शामिल हैं. अमित शाह ने कहा, ‘इन तीनों बिलों को स्टैंडिंग कमेटी में भेजी जाएगी. इसके अलावा उन्होंने कहा, ‘आजादी के अमृतकाल की शुरुआत हो चुकी है. पुराने कानून में केवल सजा थी. अंग्रेजों के तीनों कानून बदलेंगे. पुराने कानून में बदलाव के लिए बिल पेश किया गया है.’ अमित शाह ने कहा, ‘इस नए बिल के साथ आईपीसी, सीआरपीसी और एविडेंस एक्ट खत्म हो जाएंगे. नए कानून का मकसद इंसाफ देना होगा. महिलाओं और बच्चों को न्याय मिलेगा.’
लोकसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि आज मैं जो तीन विधेयक एक साथ लेकर आया हूं, वे सभी पीएम मोदी के पांच प्रणों में से एक को पूरा करने वाले हैं. इन तीन विधेयक में एक है इंडियन पीनल कोड, एक है क्रिमिनल प्रोसीजर कोड, तीसरा है इंडियन एविडेंस कोड. इंडियन पीनल कोड 1860 की जगह, अब भारतीय न्याय संहिता 2023 होगा. क्रिमिनल प्रोसीजर कोड की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 प्रस्थापित होगी और इंडियन एविडेंट एक्ट, 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम प्रस्थापित होगा.
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि इन तीनों कानूनों को रिप्लेस कर के इनकी जगह तीन नए कानून जो बनेंगे, उनकी भावना होगी भारतीय को अधिकार देने की. इन कानूनों का उद्देश्य किसी को दंड देना नहीं होगा. इसका उद्देश्य लोगों को न्याय देना होगा. उन्होंने कहा कि 18 राज्यों, 6 केंद्रशासित प्रदेश, भारत की सुप्रीम कोर्ट, 22 हाईकोर्ट, न्यायिक संस्थाओं, 142 सांसद और 270 विधायकों के अलावा जनता ने भी इन विधेयकों को लेकर सुझाव दिए हैं. चार साल तक इसपर काफी चर्चा हुई है. हमने इसपर 158 बैठकें की हैं.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, ”इस विधेयक के तहत हमने लक्ष्य रखा है कि सजा का अनुपात 90% से ऊपर ले जाना है. इसीलिए, हम एक महत्वपूर्ण प्रावधान लाए हैं कि जिन मामलों में 7 साल व उससे अधिक की सजा का प्रावधान है, उन सभी मामलों के तहत फोरेंसिक टीम का अपराध स्थल पर जाना अनिवार्य कर दिया जाएगा.”
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में भारतीय सुरक्षा विधेयक, 2023 पर बोलते हुए कहा, ‘1860 से 2023 तक देश की आपराधिक न्याय प्रणाली अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानूनों के अनुसार कार्य करती रही. तीन कानून बदल जाएंगे और देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव होगा.
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में भारतीय सुरक्षा विधेयक, 2023 पर बोलते हुए कहा, ‘1860 से 2023 तक देश की आपराधिक न्याय प्रणाली अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानूनों के अनुसार कार्य करती रही. तीन कानून बदल जाएंगे और देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव होगा. अमित शाह ने कहा कि इन कानूनों से आम जनता को पुलिस अत्याचार से मुक्ति मिलेगी. यौन हिंसा के मामले में पीड़िता का बयान कंपलसरी किया गया है. पुलिस को 90 दिन में स्टेटस देना होगा.
केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में कहा कि आईपीसी पर नया बिल देशद्रोह के अपराध को पूरी तरह से निरस्त कर देगा. भारतीय न्याय संहिता (नई आईपीसी) में अलगाव, सशस्त्र विद्रोह, विध्वंसक, गतिविधियों, अलगाववादी गतिविधियों या भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों पर एक नया अपराध भी जोड़ा गया है.
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि मॉब लिंचिंग पर भी कानून लाया जाएगा. इसके अलावा उन्होंने कहा कि इस नए कानून के आने से आजादी के अमृतकाल की शुरुआत हो चुकी है. अमित शाह ने कहा, ‘संशोधन बिल में 9 धाराओं को बदला और हटाया गया है. बदलाव के बाद 533 धाराएं रहेंगी.’
अमित शाह ने कहा कि मामले में 180 दिन में जांच खत्म करनी होगी. वहीं दोषी साबित होने पर 30 दिन में सजा देनी होगी. कानून में 475 जगह गुलामी के निशानी थे. राज्यपाल और सीएम से भी सुझाव लिए गए थे.
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि नए कानून के तहत मॉब लिंचिंग को 7 साल की सजा दी जाएगी. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि अलगाववाद और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने जैसे अपराधों को एक अलग अपराध के रूप में परिभाषित किया गया है. दाऊद इब्राहिम जैसे फरार अपराधियों पर उसकी अनुपस्थिति में मुकदमा चलाने का प्रावधान लाया गया.
अमित शाह ने कहा कि सत्र न्यायालय के जज जिले भगोड़ा घोषित करेंगे, उसके अनुपस्थित रहने पर भी उसके मामले में सुनवाई होगी और उसे सजा होगी, उसे सजा से बचना हो तो भारत आए और केस लड़े.