कर्नाटक में नई सरकार बनने के बाद सिद्धारमैया सरकार में मंत्री प्रियांक खड़गे ने कहा कि पिछली सरकार का गोहत्या विरोधी बिल को राज्य सरकार पर वित्तीय बाधा करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह बिल सरकार पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ को बढ़ाने वाला है।
खड़गे ने कहा कि ना सिर्फ गोहत्या विरोधी बल्कि बल्कि हिजाब विरोधी बिल को वापस लिया जा सकता है अगर यह प्रदेश की आर्थिक और सामाजिक विकास में बाधा बनता है। इस फैसले का विरोध होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार राजनीति पर नहीं बल्कि अर्थव्यवस्था पर ध्यान केंद्रित करती है।
गोहत्या विरोधी बिल को सिर्फ नागपुर में भाजपा के मालिकों को खुश करने के लिए लाया गया था। इससे ना तो किसान खुश हुए और ना ही उद्योग से जुड़े लोग। इस बिल की फिर से समीक्षा हो सकती है और इसके वित्तीय प्रभाव का विश्लेषण किया जाएगा।
जब हमे अपनी जरूरतों को पूरा करने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है तो हम ऐसे समय में इस तरह के खर्च नहीं कर सकते हैं। अगले दो साल हमे उम्मीद है कि बजट में घाटे को कम करने के लिए यह किया जा सकता है।
खड़गे ने कहा कि भाजपा की गो रक्षा को लेकर अन्य योजनाएं भी आर्थिक तौर पर बोझ हैं। इन जानवरों को चारा मुहैया कराना होगा। भाजपा के हिसाब से हर जानवर को रोजाना 70 रुपए का चारा देना होगा, मुझे नहीं पता यह नंबर कहां से आया। लेकिन उनकी गणित के हिसाब से 1.7 जानवरों पर 5240 करोड़ रुपए का खर्च होगा।
खड़गे ने कहा कि हम कर्नाटक के विकास पर ध्यान दे रहे हैं, किसान, व्यापारी, एमएसएमई से हमे हमारी विचारधारा के चलते वोट मिला है। हमे कर्नाटक को विकास के पथ पर ले जाने के लिए वोट मिला है, बतौर सरकार कोई भी ऐसी नीति जो हमारे बच्चों को स्कूल से दूर रखती है उसे हम खत्म करेंगे।