Sunday, December 22, 2024
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10 लाख का टोकन बयाना था हरेक को,तीन हत्यारो को मिले 30 लाख एडवांस,हथियार सप्लायर की भी हो गयी हत्या,कौन मास्टरमाइंड,3 की भी हत्या की साज़िश

 

अतीक अहमद हत्याकांड (Atique Ahmed Killing) मामले पर सबसे बड़ा अपडेट ये है कि शूटर्स को पिस्टल देने वाले सोढ़ी (Sodhi) की मौत हो गई है. सूत्रों के मुताबिक, शूटर्स को पिस्टल मेरठ से मिली थी. हथियार शूटर्स तक पहुंचाने में सोढी की अहम भूमिका थी. बता दें कि माफिया अतीक अहमद को पहले से ही अपनी हत्या का डर था. 11 अप्रैल को अतीक अहमद ने यूपी में पेशी के लिए लाए जाने के दौरान कहा था कि इनकी नीयत ठीक नहीं है. अतीक ने कहा था कि उसे मारना चाहते हैं. उसकी पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भी हो सकती है. सवाल उठता है कि क्या माफिया अतीक अहमद के भाई अशरफ को अपनी हत्या की तारीख पता थी. ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि 29 मार्च को अशरफ ने पुलिस हिरासत में ये बयान दिया था कि उसे किसी पुलिस अफसर ने ये धमकाया है कि उसको 2 हफ्ते में जेल से निकालकर निपटा दिया जाएगा.
SC पहुंचा अतीक हत्याकांड का मामला
जान लें कि अतीक अहमद और अशरफ की हत्या की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. वकील विशाल तिवारी की ओर से दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में इस पूरे मामले की जांच की जाने की मांग की गई है. यही नहीं याचिका में 2017 से यूपी में अब तक हुए 183 एनकाउंटर की जांच भी रिटायर्ड जज की निगरानी में एक्सपर्ट कमेटी से कराने की मांग की गई है.

जांच के लिए गठित हुई टीम
वहीं, माफिया अतीक और उसके भाई अशरफ की हत्या को लेकर यूपी सरकार के गृह विभाग ने 3 सदस्यों की न्यायिक जांच का गठन कर दिया है. ये आयोग 2 महीने के भीतर जांच रिपोर्ट देगा. आयोग का नेतृत्व इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व जज अरविंद कुमार त्रिपाठी करेंगे, जबकि पूर्व डीजीपी सुबेश कुमार सिंह और पूर्व जिला जज बृजेश कुमार सोनी आयोग के सदस्य होंगे.

रिमांड में शूटर्स से होगी पूछताछ
अतीक और अशरफ की पुलिस हिरासत में हत्या के आरोपी तीनों शूटर्स को पुलिस अब रिमांड पर लेने की तैयारी कर रही है. आज शाम 4 बजे पुलिस तीनों शूटर्स को रिमांड मजिस्ट्रेट के सामने पेश करेगी. रविवार को तीनों आरोपियों को कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा था.

अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ के हत्यारोपी तीनों हमलावरों को प्रयागराज की नैनी जेल से प्रतापगढ़ शिफ़्ट किया गया है. प्रशासन ने ये फैसला सुरक्षा कारणों से लिया है. नैनी जेल में पुलिस को इनपुट था कि इन तीनों पर हमला हो सकता है. ऐसे में सुरक्षा के हवाले से सोमवार दोपहर सनी सिंह, अरुण मौर्य और लवलेश तिवारी को प्रतापगढ़ जेल शिफ्ट किया गया. सनी, अरुण और लवलेश को रविवार को अदालत के समक्ष पेश किया गया था, जहां से उन्हें 14 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेजा गया था.

कई तरह के सवाल आ रहे हैं सामने

दरअसल, अतीक-अशरफ हत्याकांड के बाद से कई तरह के सवाल सामने आ रहे हैं. तीनों आरोपियों ने भले ही मौके पर ही सरेंडर कर दिया था, लेकिन ये चर्चा आम है कि ये तीनों किसी के इशारे पर ही इस हत्याकांड को अंजाम देने आए थे. क्योंकि अभी तक ऐसा कुछ सामने नहीं आया है, जिसमें ये पता चल सके कि इन तीनों की अतीक-अशरफ से कोई निजी दुश्मनी थी.  FIR में जो भी बातें दर्ज हैं, वह किसी के लिए भी पचा पाना आसान नहीं है.

क्या तीनों को अब रास्ते से हटाने की हो रही है प्लानिंग?

FIR में है कि आरोपी प्रसिद्ध होना चाहते थे, लेकिन प्रसिद्धि के लिए कोई ये तरीका अख्तियार क्यों करेगा. समृद्धि पाने के लिए अतीक अहमद को ही निशाना क्यों बनाया? सवाल है कि कहीं आरोपियों की आड़ में कोई अन्य तो मास्टरमाइंड नहीं? ऐसे में इस बात की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता है, इन तीनों को भी जल्द ही रास्ते से हटाने की प्लानिंग कहीं न कहीं चल रही है.
नाम कमाने के लिए कर दी हत्या!

एफआईआर के मुताबिक तीनों आरोपियों ने प्रदेश में अपना नाम कमाने के लिए इस वारदात को अंजाम दिया था. पुलिस पूछताछ में पता चला है कि तीनों आरोपी माफिया डॉन अतीक अहमद और अशरफ गैंग का सफाया करना चाहते थे ताकि प्रदेश में उनका नाम हो और भविष्य में लाभ हो. FIR के ही अनुसार, आरोपियों ने बताया कि हम लोग पुलिस के घेरे का अनुमान नहीं लगा पाए थे और हत्या करके भाग नहीं पाए, क्योंकि पुलिस की तेज कार्रवाई से हम लोग पकड़े गए.
नैनी जेल को मिला हमले का इनपुट
अब सवाल उठता है कि क्या आरोपी इसका भी अनुमान नहीं लगा पाए कि वह अतीक अहमद जैसे बड़े माफिया पर हमला करने वाले हैं? उनका तर्क कहीं से संतुष्ट करने वाला नहीं है. वहीं, FIR में आरोपी, पुलिस द्वारा पकड़े जाने की बात कह रहे हैं, जबकि लाइव टीवी पर सभी ने देखा कि आरोपियों ने खुद सरेंडर कर दिया. आरोपियों ने खुद सरेंडर क्यों किया, क्या ये उनकी प्लानिंग थी या उनसे उनके किसी बॉस ने ऐसा ही करने को कहा था. इस तरह के सवालों के बीच लाजिमी है ये तीनों हमलावर किसी भी सूरत में सुरक्षित तो नहीं है, नैनी जेल को मिले हमले के इनपुट ने इसकी भी पुष्टि कर दी है.

 

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