बाबा रामदेव ने कहा कि अभी वक्त अपने स्वार्थों से उठकर इस राष्ट्र और गांव के अंतिम आदमी के बारे में सोचने का है. हमें उन मिडिल क्लास के बारे में भी सोचना है जो इलाज के लिए लाखों रुपये खर्च नहीं कर सकते हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं इस विवाद को ईमानदारी और दिल से समाप्त करना चाहता हूं
‘IMA राजनीतिक संस्था, इसके कई डॉ. असभ्य, जो आयुर्वेद का सम्मान नहीं करते, केस तो मुझे करना चाहिए’: बाबा रामदेव
कोरोना संकट के बीच पिछले कुछ दिनों से बाबा रामदेव और इंडियन मेडिकल एसोसिशन (IMA) के बीच जबरदस्त जंग छिड़ी हुई है। हाल ही में योग गुरु का एक वीडियो सामने आया था। इसमें उन्होंने कहा था कि एलोपैथिक दवाइयों के कारण लाखों लोगों की मौत हो गई है। न्यूज 18 इंडिया के साथ रविवार (30 मई 2021) को एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में बाबा रामदेव ने इस मुद्दे पर बड़ी ही बेबाकी से अपना पक्ष रखा।
रामदेव ने कहा, ”मैं अपने बयान पर माफी माँग चुका हूँ और मैंने एलोपैथी पर दिया बयान वापस भी ले लिया है। मैं सभी स्वास्थ्यकर्मियों का सम्मान करता हूँ। उनको नमन करता हूँ। एक लाइन मेरा बयान निकाल दिया न इससे दिक्कत हो गई। मैंने कोई ऑफिशियल बयान नहीं दिया था। कार्यकर्ताओं के बीच में बैठकर ऐसे ही बोल रहा था, तभी किसी ने इसे फेसबुक पर लाइव कर दिया। मेरी ऐसी कोई मंशा नहीं थी।” उन्होंने कहा कि एलोपैथी से घृणा का कोई सवाल नहीं है। मेरे मन में किसी के लिए दुराग्रह नहीं है और मैं मानता हूँ कि एलोपैथी ने करोड़ों लोगों की जान बचाईं, लेकिन एलोपैथी में कई रोगों की दवाई नहीं है।
आईएमए एक राजनीतिक संस्ठा है, इसके 90% पॉलटिकल हैं: बाबा रामदेव@AMISHDEVGAN @yogrishiramdev#SwamiRamdevOnNews18 pic.twitter.com/AGvGNcsBeH
— @HindiNews18 (@HindiNews18) May 30, 2021
उन्होंने IMA पर पलटवार करते हुए कहा कि 90 प्रतिशत लोग योग और प्राणायाम से ठीक हुए हैं। कई बीमारियों का इलाज आयुर्वेद से संभव है, लेकिन हमेशा ही एलोपैथी के सामने आयुर्वेद को नीचा दिखाया जाता है। योग गुरु ने कहा, ”इस संस्था ने मुझ पर मानहानि का मुकदमा किया, लेकिन मुकदमा तो मुझे करना चाहिए क्योंकि आईएमए के डॉक्टर असभ्यता से बात करते हैं।” उन्होंने कहा कि मैं 90 प्रतिशत डॉक्टरों का सम्मान करता हूँ, लेकिन कुछ डॉक्टरों ने लूट मचा रखी है। हालाँकि, मैं इनके जैसा नहीं करूँगा, क्योंकि मेरे मन में किसी के लिए हीन भावना नहीं है।
रामदेव ने आगे कहा, ”मैं ‘पुरुषार्थ’ जो करता हूँ, उससे ‘अर्थ’ आता है, लेकिन वो सारा ‘अर्थ’ ‘परमार्थ’ के लिए है। रामदेव ने कहा कि मैं अभिमान में नहीं जीता हूँ, लेकिन स्वाभिमान जरूरी है।” उन्होंने कहा कि 98 प्रतिशत की बीमारियों का इलाज योग से संभव है। इसे हम अपनी जीवनशैली और बेहतर खान-पान से ठीक कर सकते हैं। इसमें आपत्ति क्या है।
उन्होंने कहा कि मैंने उनसे (IMA) 25 सवाल पूछे थे, लेकिन अभी तक एक का भी उत्तर नहीं आया है। आने वाले 25 से 50 सालों तक भी शायद एलोपैथ इसका उत्तर ना दे पाए, क्योंकि इनके पास बीमारियों का कंट्रोल तो है, लेकिन योग और आयुर्वेद की तरह एलोपैथ सिक्योर नहीं है। ऐसे में आपस में सहयोग करके आगे बढ़ना चाहिए। आयुर्वेद को हमेशा नीचा क्यों दिखाया जाता है? एक बार फिर कोरोना महामारी के इलाज में लोगों को दी जा रही दवाओं पर सवाल उठाते हुए रामदेव ने कहा, ”क्या किसी भी कोरोना की दवा का ट्रायल हुआ है? मैं ऐसा इसलिए पूछ रहा हूँ, क्योंकि आयुर्वेदिक दवा कोरोनिल का साइंटिफिक ट्रायल हुआ है।”
बाबा ने कहा कि विश्व में आयुर्वेद में जितने रिसर्च हुए हैं, उसमें 10 फीसदी योगदान पतंजलि का है। मैं ऐसे ही कोई बात नहीं बोलता हूँ। ये आयुर्वेद का सम्मान नहीं करते हैं, लेकिन मैं एलोपैथ का सम्मान करता हूँ। उन्होंने इशारों-इशारों में कहा कि इसके पीछे बड़ी ताकत खड़ी है। ड्रग्स माफिया का भी इसके पीछे हाथ है।
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मैंने लाखों लोगों का बीपी, शुगर, थॉयराइड जैसे कई बीमारियों को ठीक किया है। मैं एक सप्ताह से एक महीने के भीतर बड़ी से बड़ी बीमारी को चुनौतीपूर्वक ठीक करता हूँ। मैं डॉक्टरों से आह्वान करता हूँ कि आईएमए के साथ जो भी मेडिकल प्रोफेशन से जुड़े लोग हैं वो मेरे पास आ जाएँ। जिनको भी बीपी, शुगर, थॉयराइड या और कोई बीमारी है मैं उन्हें 7, 10 से 15 दिन में ठीक करके भेज दूँगा। उनसे कोई चार्ज भी नहीं लूँगा।
उन्होंने कहा कि आईएमए के अध्यक्ष और महामंत्री बर्खास्त हों। आईएमए कोई कानूनी संस्था नहीं है और ना ही आईएमए के पास कोई रिसर्च सेंटर है।
बता दें कि रामदेव और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के बीच विवाद अभी थमा भी नहीं है। आवासीय डॉक्टरों के संगठन ने भी बाबा रामदेव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। फेडरेशन ऑफ रेसीडेंट डॉक्टर एसोसिएशन (FORDA) ने एलोपैथी और आधुनिक चिकित्सा के विषय में बाबा रामदेव द्वारा दिए गए वक्तव्य के खिलाफ 1 जून को राष्ट्रव्यापी ब्लैक डे प्रोटेस्ट करने का निर्णय लिया है।