जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक लोकसभा से पास, पूर्ण राज्य के दर्जे पर भी अमित शाह ने दिया जवाब
जम्मू-कश्मीर में मोदी सरकार के काम को गिनाते हुए अमित शाह ने कहा कि जितना काम पूर्व की सरकारों ने 4 पीढ़ियों में किया है, उतना काम हमने 17 महीनों में कर दिया. शाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर में परंपराए बदल रही है. पहले यहां सिर्फ तीन परिवारों के लोग राज करते थे, अब यहां के सामान्य लोग शासन करेंगे.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार (फरवरी 13, 2021) को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए कश्मीर में 70 सालों तक शासन करने वाली पार्टियों को घेरा तो एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी पर भी निशाना साधा। चर्चा के बाद विधेयक को पारित कर दिया गया। अमित शाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक का राज्य के दर्जे से कोई संबंध नहीं है और उपयुक्त समय पर जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाएगा।
उन्होंने कहा, ”यहाँ कहा गया कि अनुच्छेद 370 हटाने के वक्त जो वादे किए गए थे, उनका क्या हुआ? मैं उसका जवाब जरूर दूँगा लेकिन पूछना चाहता हूँ कि अभी तो अनुच्छेद 370 को हटे हुए केवल 17 महीने हुए हैं, आपने 70 साल क्या किया उसका हिसाब लेकर आए हो क्या? तीन परिवार के लोग ही वहाँ शासन करें, इसलिए अनुच्छेद 370 पर जोर दिया गया। जिन्हें पीढ़ियों तक देश में शासन करने का मौका मिला, वे अपने गिरेबाँ में झाँककर देखें, क्या आप हमसे 17 महीने का हिसाब माँगने के लायक हैं या नहीं।”
गृह मंत्री ने कहा कि ओवैसी अफसरों का भी हिंदू-मुस्लिम में विभाजन करते हैं। क्या एक मुस्लिम अफसर हिंदू जनता की सेवा नहीं कर सकता या हिंदू अफसर मुस्लिम जनता की सेवा नहीं कर सकता? उन्होंने कहा कि अफसरों को हिन्दू-मुस्लिम में बाँटते हैं और खुद को सेक्युलर कहते हैं। गौरतलब है कि एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने जम्मू कश्मीर में आबादी के हिसाब से मुस्लिम अफसरों की संख्या कम होने का आरोप लगाया था।
मोबाइल इंटरनेट की रफ्तार कम किए जाने को लेकर कॉन्ग्रेस के आरोपों का जवाब देते हुए गृह मंत्री ने कहा, ”ओवैसी जी ने अभी कहा कि 2G से 4G कनेक्टिविटी विदेशियों के दबाव में बहाल की है। ओवैसी जी को पता नहीं जिसका वह समर्थन करते थे वह यूपीए सरकार जा चुकी है। अफवाहें ना फैलाई जाएँ। हमने इंटरनेट पर रोक इसलिए लगाई थी कि हमें कुछ समय चाहिए था। अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए ऐसा करना पड़ा।”
शाह ने कॉन्ग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी को भी लपेटे में लेते हुए कहा, “आप हमें पूछ रहे हो? आपने तो मोबाइल ही बंद कर दिए थे और 20 साल तक बंद कर दिए थे। वाजपेयी जी ने आकर खोला था। कहाँ गए थे उस वक्त सारे अधिकारी? जो विदेशी दबाव का आरोप लगा रहे हैं उनसे हम पूछना चाहते हैं कि किसके दबाव में इतने सालों तक 370 तक लगाए रखा?”
गृह मंत्री अमित शाह की स्पीच के बाद कॉन्ग्रेस सांसद अधीर रंजन ने कहा, “सुबह वित्त मंत्री ने स्पीच दिया और दोपहर में हमारे गृह मंत्री ने स्पीच दिया। दोनों ही बजट स्पीच है। एक हिन्दुस्तान के बजट का और दूसरा जम्मू-कश्मीर का बजट। देखिए, जब सूरज उगता है तो उसके पहले थोड़ा अंधेरा रहता है। उस दौरान मुर्गी चिल्लाने लगती है क्योंकि उसको यह सोच रहता है कि उसके चिल्लाने से ही सवेरा होता है।”
इसके जवाब में अमित शाह ने कहा, “भाषण जब मंत्री का समाप्त होता है जो भी बिल को पायलट करते हैं। तब रिप्लाई पिन पॉइंटेड होना चाहिए। इसमें मुर्गी अंडा, मुर्गा नहीं आता है।”
इस दौरान गृह मंत्री ने कहा, ”मैं इस सदन को फिर से एक बार कहना चाहता हूँ कि कृपया जम्मू कश्मीर की स्थिति को समझें। राजनीति करने के लिए कोई ऐसा बयान न दें, जिससे जनता गुमराह हो। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख को राजनीति का हिस्सा हम न बनाएँ। बहुत सारी चीजें हैं राजनीति करने के लिए। मगर ये देश का संवेदनशील हिस्सा है, उनको कई घाव लगे हैं और उनको मरहम लगाना हमारा काम है।”
अमित शाह ने कहा कि कॉन्ग्रेस कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा नहीं कर पाई। इसलिए वो विस्थापित हुए। वो अपने देश में हीं विस्थापित हो गए। मोदी सरकार कश्मीरी पंडितों की मदद कर रही है। नि: शुल्क राशन, 3 हजार नौकरियाँ दे दी गई हैं। 2022 तक 6000 लोगों कश्मीर घाटी में घर के साथ बसा देंगे। 44,000 कश्मीरी पंडितों के परिवारों को जिनके पास राहत कार्ड है, उन्हें 13,000 रुपए प्रति महीने सरकार देती है।