Monday, September 16, 2024
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पश्चिम बंगाल में बड़ी उथल पुथल: ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री बनवाने वाला छोड़ गया TMC, ममता,अभिषेक प्रशांत किशोर के माफी मांगने का असर नही

ममता बनर्जी ने पार्टी की पूरी कमान एक तरह से प्रशांत किशोर को दे दी है और माना जा रहा है कि लक्ष्य सिर्फ भतीजे को मुख्यमंत्री बनवाना है।

 

पश्चिम बंगाल: ममता बनर्जी को बड़ा झटका, नहीं माने शुभेंदु अधिकारी; कहा- अब तृणमूल कांग्रेस में नहीं कर सकता काम

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को बड़ा झटका लगा है। बागी हो चुके पूर्व मंत्री शुभेंदु अधिकारी ने तमाम मान मनौव्वल के बावजूद अपना मन बदलने से इनकार कर दिया है। बीजेपी में शामिल होने की अटकलों के बीच ममता बनर्जी के बेहद करीबी रहे शुभेंदु अधिकारी ने बुधवार को पार्टी नेतृत्व को संदेश भेजा कि अब उनके लिए अब टीएमसी में रहकर काम करना संभव नहीं है। इस मामले से अवगत लोगों ने यह जानकारी दी है।

सूत्रों ने बताया कि अधिकारी ने टीएमसी नेता सौगत रॉय को मैसेज भेजकर कहा कि टीएमसी के साथ उनकी समस्याएं बहुत अधिक बढ़ चुकी हैं। एक दिन पहले ही सौगत रॉय ने दावा किया था कि उन्होंने अभिषेक बनर्जी और प्रशांत किशोर जैसे नेताओं के साथ मिलकर शुभेंदु अधिकारी को मना लिया है और पार्टी को छोड़कर बीजेपी में शामिल नहीं होने जा रहे हैं। रॉय ने यह भी कहा कि मीटिंग के बीच में उन्होंने ममता बनर्जी को फोन मिलाकर अधिकारी को दिया। मुख्यमंत्री ने शुभेंदु से कहा कि हमें साथ काम करना चाहिए और उन्होंने इस पर सहमति जताई।

टीएमसी नेताओं ने पिछले महीने हिन्दुस्तान टाइम्स को बताया था कि अधिकारी बनर्जी और प्रशांत किशोर की ओर से संगठन में लिए गए फैसलों से नाराज हैं। टीएमसी ने 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 18 सीटें मिलने के बाद प्रशांत किशोर को विधानसभा चुनाव के लिए कैंपेन रणनीति का जिम्मा सौंपा है। टीएमसी के चुनाव पर्यवेक्षक बनाए गए अधिकारी ने डिमांड रखी थी कि करीब 65 विधानसभा सीटों पर उनकी पसंद के उम्मीदवारों को उतारा जाए। यह नेतृत्व को स्वीकार नहीं हुआ। अधिकारी ने शुक्रवार को ममता बनर्जी की कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था।

सूत्रूों ने बताया कि अधिकारी ने इस बात को लेकर नाखुशी जाहिर की कि नेतृत्व ने बातचीत को लेकर मीडिया को जानकारी दी, जबकि फैसला यह हुआ था कि वह ऐसा कुछ दिनों बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में करेंगे। अधिकारी ने रॉय को मैसेज में बताया कि उन्हें पार्टी में किस तरह की दिक्कते हैं।

रॉय ने शुभेंदु के बयान पर कहा है, ”कल शाम मीटिंग में जो कुछ और पांच लोगों की मौजूदगी में जो तय हुआ वह मैंने आपको सच-सच बताया। यदि शुभेंदु ने अपना मन बदल लिया है तो इसका फैसला वह करेंगे और मीडिया को बताएंगे। मैं नहीं कहूंगा कि कल रात के बाद मेरी उनसे क्या बात हुई। हां, मुझे मैसेज मिला है।” यह पूछने पर कि क्या और चर्चा की गुंजाइस है, रॉय ने कहा, ”मैं नहीं देख रहा है कि यह हो रहा है, यदि किसी ने अपना मन बदल लिया है।”

शुभेंदु बंगाल में काफी ताकतवर राजनीतिक परिवार से आते हैं। उनका प्रभाव न सिर्फ उनके क्षेत्र पर है, बल्कि पूर्वी मिदनापुर के अलावा आस-पास के जिलों में भी उनका राजनीतिक दबदबा है।

राजनीतिक पंडितों की मानें तो शुभेंदु अधिकारी ममता बनर्जी के भतीजे और लोकसभा सांसद अभिषेक बनर्जी से नाराज चल रहे हैं। इसके अलावा, जिस तरह से प्रशांत किशोर ने बंगाल में संगठनात्मक बदलाव किया है, उससे भी वह नाखुश हैं। साथ ही शुभेंदु अधिकारी चाहते हैं कि पार्टी कई जिलों की 65 विधानसभा सीटों पर उनकी पसंद के उम्मीदवारों को मैदान में उतारे। पिछले साल लोकसभा चुनाव में भाजपा के सामने बुरे प्रदर्शन ने टीएमसी को एक तरह से झटका दिया और विधानसभा चुनाव के लिए चेताया। यही वजह है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथ हाथ मिलाया। बताया जाता है कि ममता बनर्जी ने भतीजे और सांसद अभिषेक बनर्जी के कहने पर ही प्रशांत किशोर के साथ हाथ मिलाया।

इसके बाद प्रशांत किशोर ने बंगाल में आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए कई स्तर पर संगठनात्मक बदलाव किया है। इस बदलाव से शुभेंदु अधिकारी नाखुश बताए जाते है। शुभेंदु को ऐसा महसूस होता है कि उनकी पार्टी में अब उपेक्षा हो रही है। यहां ध्यान देने वाली बात है कि पूर्वी मिदनापुर में ही नंदीग्राम आता है, जहां जमीन अधिग्रहण विरोधी आंदोलन ने ममता बनर्जी की पार्टी के सत्ता में पहुंचने की राह तैयार की थी। इस आंदोलन में शुभेंदु ने सेनापति की भूमिका निभाई थी और जो कभी लेफ्ट का गढ़ हुआ करता था, वहां शुभेंदु ने टीएमसी का राज स्थापित करवाया था।

शुभेंदु अधिकारी की नाराजगी टीएमसी को बहुत भारी पड़ सकती है, इस बात का अंदाजा खुद ममता बनर्जी और प्रशांत किशोर को भी है। यही वजह है कि जैसे ही शुभेंदु की नाराजगी की खबर मीडिया में जोर-शोर से आई, प्रशांत किशोर और ममता उन्हें मनाने में जुट गए। एक ओर जहां ममता ने टीएमसी नेताओं और कार्यकर्ताओं को शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ बयानबाजी से मना किया है, वहीं दूसरी ओर खुद शुभेंदु अधिकारी को मनाने बीते दिनों प्रशांत किशोर उनके घर पहुंचे थे। हालांकि, प्रशांत किशोर की यह कोशिश बेकार गई, क्योंकि उस दिन शुभेंदु से उनकी मुलाकात नहीं हो पाई। बता दें कि 2019 में राज्य की 42 लोकसभा सीटों में से 18 सीटें जीतने वाली भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने भी शुभेंदु अधिकारी को एक तरह से पार्टी में आने का ऑफर दिया है। भाजपा ने कहा है कि अधिकारी अगर पाला बदलने को लेकर गंभीर हैं तो उनके लिए पार्टी दरवाजे खुले हैं। बता दें कि चुनाव से पहले और बाद में कई टीएमसी नेता भाजपा में शामिल हुए हैं।

दो बार सांसद रह चुके शुभेंदु अधिकारी का परिवार राजनीतिक तौर पर काफी मजबूत है। पूर्वी मिदनापुर को कभी वामपंथ का गढ़ माना जाता था मगर शुभेंदु ने अपनी रणनीतिक कौशल से बीते कुछ समय में इसे टीएमसी का किला बना दिया है। अगर वह टीएमसी से बाहर होते हैं तो ममता बनर्जी को काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं। यही वजह है कि पार्टी उन्हें मनाने में जुटी है। शुभेंदु अधिकारी के भाई दिब्येंदु तमलुक से लोकसभा सदस्य हैं, जबकि तीन भाई-बहनों में सबसे छोटे सौमेंदु कांथी नगर पालिका के अध्यक्ष हैं। उनके पिता सिसिर अधिकारी टीएमसी के सबसे वरिष्ठ लोकसभा सदस्य हैं, जो कांथी निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।

नंदीग्राम आंदोलन की लहर पर सवार होकर शुभेंदु 2019 में तमलुक सीट से लोकसभा चुनाव जीते थे। इसके बाद वह 2014 भी वह जीते। बंगाल विधानसभा चुनाव में जीतने के बाद उन्हें ममता कैबनिनेट में परिवहन मंत्री बनाया गया। बताया जाता है कि न सिर्फ पूर्वी मेदनीपुर जिला बल्कि मुर्शिदाबाद और मालदा में भी उन्होंने कांग्रेस को कमजोर करने और टीएमसी को मजबूत करने के लिए काम किया है। क्योंकि वह ग्रासरूट लेवल के नेता हैं, इसलिए बीते कुछ समय में उनकी स्वीकार्यता भी काफी बढ़ी है। उन्हें मेदिनीपुर, झारग्राम, पुरुलिया, बांकुरा और बीरभूम जिलों में टीएमसी के आधार का विस्तार करने का भी श्रेय दिया जाता है। इस तरह से राजनीतिक पंडितों का मानना है कि शुभेंदु अगर टीएमसी से अलग होते हैं तो इसका असर करीब 30 सीटों पर दिख सकता है। यानी शुभेंदु बंगाल में ममता की करीब 30 सीटें खराब करने की क्षमता रखते हैं। वहीं 35 अन्य सीट पर भी अधिकारी हरवाने की क्षमता रखते है।

शुभेंदु अधिकारी की ममता बनर्जी से बगावत की तस्वीर उस वक्त सामने आई, जब गुरुवार को ट्रांसपोर्ट मंत्री शुभेंदी ने पूर्व मिदनापुर के नंदीग्राम में एक रैली को संबोधित किया, जहां आज से 13 साल पहले पार्टी कार्यकर्ता की हत्या कर दी गई थी। इसी की याद में हुए कार्यक्रम में नंदीग्राम में शुभेंदु ने सभा को संबोधित किया। बता दें कि इसी नंदीग्राम की घटना ने ममता बनर्जी को बंगाल की कुर्सी तक पहुंचाया था।

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