Mansukh Hiren Death Case: कैसे सुलझी मनसुख हिरेन के मर्डर की गुत्थी, ATS ने एक-एक कर ऐसे जोड़े तार
Mansukh Hiren Death Case: कैसे सुलझी मनसुख हिरेन के मर्डर की गुत्थी, ATS ने एक-एक कर ऐसे जोड़े तार
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Written By: अंकुर त्यागी | Updated: Mar 22, 2021, 09:05 AM IST

सचिन वझे ने पूरी कोशिश की थी कि उसके खिलाफ कोई सबूत न मिले.
महाराष्ट्र एटीएस (Maharashtra ATS) के सूत्रों के मुताबिक 4 मार्च की रात 8 बजे से लेकर रात 8.30 तक मनसुख हिरेन (Mansukh Hiren) को कई व्हाट्सएप कॉल आये थे. ATS ने उस वक्त के ठाणे घोडबंदर इलाके के डंप डेटा को निकाला जिसमें करीब 1000 नम्बरों की जांच की गई.
मुंबई: महाराष्ट्र ATS की टीम ने दो लोगों को मनसुख हिरेन की हत्या के मामले (Mansukh Hiren Death Case) में गिरफ्तार कर कोर्ट के सामने पेश किया. इनमें से एक विनायक शिंदे है जो पहले ही लखन भैया फेक एनकाउंटर में दोषी है और पैरोल पर बाहर है. इसके साथ ही ATS ने नरेश गोर नाम के एक बुकी को भी गिरफ्तार किया है. तीसरा सबसे महत्वपूर्ण नाम है सचिन वझे (Sachin Vaze). सचिन वझे ने मनसुख हिरेन की मौत के मामले में हमेशा ये साबित करने की कोशिश की कि जब मनसुख हिरेन की मौत हुई उस वक्त वो मुंबई के डोंगरी इलाके में एक बार पर रेड कर रहा था. इसके लिए डोंगरी पुलिस स्टेशन में स्टेशन डायरी में इसकी रजिस्ट्री भी की गई, जिसके मुताबिक रात 11. 50 मिनट पर रेड शुरू हुई और रात 2.20 पर खत्म हुई.
सचिन वझे ने की थी ये प्लानिंग
19 मार्च को ATS ने कोर्ट में भी यही बताया था कि सचिन वझे (Sachin Vaze) सबूतों से लगातार ये बताने की कोशिश में जुटा था कि मनसुख हिरेन (Mansukh Hiren) की मौत के वक्त वो मौजूद नहीं था. 4 मार्च को जब मनसुख हिरेन मारा गया, CDR के मुताबिक उस वक्त सचिन वझे को न किसी का फोन आया था, न उसने किसी को कॉल किया था. महज 4 मैसेज आये थे, ये भी मार्केटिंग कंपनियों के थे. ये सब जांच को दिशा से भटकाने के लिए किया गया था. ये सब एक साजिश का हिस्सा था, जिसे महाराष्ट्र ATS ने कई बड़े टेक्निकल एक्सपर्ट्स की मदद से बेनकाब कर दिया है.
अधा घंटे में आए कई वाट्सएप कॉल
महाराष्ट्र ATS के सूत्रों के मुताबिक 4 मार्च की रात 8 बजे से लेकर रात 8.30 तक मनसुख हिरेन (Mansukh Hiren) को कई व्हाट्सएप कॉल आये थे. ATS ने उस वक्त के ठाणे घोडबंदर इलाके के डंप डेटा को निकाला जिसमें करीब 1000 नम्बरों की जांच की गई. इसके साथ ही मनसुख हिरेन को आये सभी व्हाट्सएप कॉल की जांच की गई. इसके बाद मनसुख को आया आखिरी व्हाट्सएप कॉल ट्रेस कर ATS को दिया गया. ATS अब उस शख्स की तलाश में लग गई, जिसने खुद को कांदिवली पुलिस स्टेशन का तावड़े बताकर मनसुख को मिलने बुलाया था. हैरान करने वाली बात ये थी कि ये नंबर अहमदाबाद में रजिस्टर किया गया था.
सचिन वझे को नरेश गोर ने दिया था सिमकार्ड
ATS ने उसी जगह पर रेड मारी जहां से उन्हें बुकी नरेश गोर का पता चला. ATS ने नरेश गोर का पता निकाल कर मुंबई से उसे अपनी हिरासत में ले लिया. इसके पास से करीब 15 सिमकार्ड बरामद किये गए. नरेश गोर ने ही इस पूरे कांड के लिए एक सिमकार्ड सचिन वझे को और एक सिमकार्ड विनायक शिंदे को दिया था. इसी सिमकार्ड से वझे लगातार विनायक शिंदे और मनसुख हिरेन से बात करता था. विनायक शिंदे ने भी इसी सिमकार्ड का इस्तेमाल करके तावड़े बनकर मनसुख हिरेन को व्हाट्सएप कॉल कर मिलने के लिए बुलाया था.
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हत्या के वक्त विनायक शिंदे था मौजूद
ATS के सूत्रों के मुताबिक जिस वक्त मनसुख हिरेन को मारा गया वहां 10 से भी ज्यादा लोग मौजूद हो सकते हैं, जिनमें से कुछ पुलिस वाले भी हो सकते हैं. हालांकि इसकी अभी जांच की जा रही है. ATS सूत्रों के मुताबिक विनायक शिंदे हत्या के वक्त वहीं मौजूद था. ATS सूत्रों के मुताबिक नवंबर से लेकर फरवरी तक मनसुख हिरेन की स्कॉर्पियो कार सचिन वझेके पास ही थी. ये बात मनसुख की पत्नी और भाई भी अपने स्टेटमेंट में बता चुके हैं. सचिन वझे ने मनसुख से स्कॉर्पियो के चोरी होने की FIR करने के लिए कहा था और विश्वास दिलाया था कि वो डरे नहीं, जांच सचिन वझे ही करने वाला है. अब इस पूरे हत्याकांड से पर्दा हटता जा रहा है. ये पूरा कांड कैसे किया गया ये तो सामने आ गया है लेकिन ये किस मकसद से किया गया, ये सामने आना बाकी है.
जानिए हत्या की पूरी कहानी
महाराष्ट्र एटीएस (Maharashtra ATS) के सूत्रों के मुताबिक 4 मार्च की रात 8 बजे से लेकर रात 8.30 तक मनसुख हिरेन (Mansukh Hiren) को कई व्हाट्सएप कॉल आये थे. ATS ने उस वक्त के ठाणे घोडबंदर इलाके के डंप डेटा को निकाला जिसमें करीब 1000 नम्बरों की जांच की गई.
मुंबई: महाराष्ट्र ATS की टीम ने दो लोगों को मनसुख हिरेन की हत्या के मामले (Mansukh Hiren Death Case) में गिरफ्तार कर कोर्ट के सामने पेश किया. इनमें से एक विनायक शिंदे है जो पहले ही लखन भैया फेक एनकाउंटर में दोषी है और पैरोल पर बाहर है. इसके साथ ही ATS ने नरेश गोर नाम के एक बुकी को भी गिरफ्तार किया है. तीसरा सबसे महत्वपूर्ण नाम है सचिन वझे (Sachin Vaze). सचिन वझे ने मनसुख हिरेन की मौत के मामले में हमेशा ये साबित करने की कोशिश की कि जब मनसुख हिरेन की मौत हुई उस वक्त वो मुंबई के डोंगरी इलाके में एक बार पर रेड कर रहा था. इसके लिए डोंगरी पुलिस स्टेशन में स्टेशन डायरी में इसकी रजिस्ट्री भी की गई, जिसके मुताबिक रात 11. 50 मिनट पर रेड शुरू हुई और रात 2.20 पर खत्म हुई.
सचिन वझे ने की थी ये प्लानिंग
19 मार्च को ATS ने कोर्ट में भी यही बताया था कि सचिन वझे (Sachin Vaze) सबूतों से लगातार ये बताने की कोशिश में जुटा था कि मनसुख हिरेन (Mansukh Hiren) की मौत के वक्त वो मौजूद नहीं था. 4 मार्च को जब मनसुख हिरेन मारा गया, CDR के मुताबिक उस वक्त सचिन वझे को न किसी का फोन आया था, न उसने किसी को कॉल किया था. महज 4 मैसेज आये थे, ये भी मार्केटिंग कंपनियों के थे. ये सब जांच को दिशा से भटकाने के लिए किया गया था. ये सब एक साजिश का हिस्सा था, जिसे महाराष्ट्र ATS ने कई बड़े टेक्निकल एक्सपर्ट्स की मदद से बेनकाब कर दिया है.
अधा घंटे में आए कई वाट्सएप कॉल
महाराष्ट्र ATS के सूत्रों के मुताबिक 4 मार्च की रात 8 बजे से लेकर रात 8.30 तक मनसुख हिरेन (Mansukh Hiren) को कई व्हाट्सएप कॉल आये थे. ATS ने उस वक्त के ठाणे घोडबंदर इलाके के डंप डेटा को निकाला जिसमें करीब 1000 नम्बरों की जांच की गई. इसके साथ ही मनसुख हिरेन को आये सभी व्हाट्सएप कॉल की जांच की गई. इसके बाद मनसुख को आया आखिरी व्हाट्सएप कॉल ट्रेस कर ATS को दिया गया. ATS अब उस शख्स की तलाश में लग गई, जिसने खुद को कांदिवली पुलिस स्टेशन का तावड़े बताकर मनसुख को मिलने बुलाया था. हैरान करने वाली बात ये थी कि ये नंबर अहमदाबाद में रजिस्टर किया गया था.
सचिन वझे को नरेश गोर ने दिया था सिमकार्ड
ATS ने उसी जगह पर रेड मारी जहां से उन्हें बुकी नरेश गोर का पता चला. ATS ने नरेश गोर का पता निकाल कर मुंबई से उसे अपनी हिरासत में ले लिया. इसके पास से करीब 15 सिमकार्ड बरामद किये गए. नरेश गोर ने ही इस पूरे कांड के लिए एक सिमकार्ड सचिन वझे को और एक सिमकार्ड विनायक शिंदे को दिया था. इसी सिमकार्ड से वझे लगातार विनायक शिंदे और मनसुख हिरेन से बात करता था. विनायक शिंदे ने भी इसी सिमकार्ड का इस्तेमाल करके तावड़े बनकर मनसुख हिरेन को व्हाट्सएप कॉल कर मिलने के लिए बुलाया था.
हत्या के वक्त विनायक शिंदे था मौजूद
ATS के सूत्रों के मुताबिक जिस वक्त मनसुख हिरेन को मारा गया वहां 10 से भी ज्यादा लोग मौजूद हो सकते हैं, जिनमें से कुछ पुलिस वाले भी हो सकते हैं. हालांकि इसकी अभी जांच की जा रही है. ATS सूत्रों के मुताबिक विनायक शिंदे हत्या के वक्त वहीं मौजूद था. ATS सूत्रों के मुताबिक नवंबर से लेकर फरवरी तक मनसुख हिरेन की स्कॉर्पियो कार सचिन वझेके पास ही थी. ये बात मनसुख की पत्नी और भाई भी अपने स्टेटमेंट में बता चुके हैं. सचिन वझे ने मनसुख से स्कॉर्पियो के चोरी होने की FIR करने के लिए कहा था और विश्वास दिलाया था कि वो डरे नहीं, जांच सचिन वझे ही करने वाला है. अब इस पूरे हत्याकांड से पर्दा हटता जा रहा है. ये पूरा कांड कैसे किया गया ये तो सामने आ गया है लेकिन ये किस मकसद से किया गया, ये सामने आना बाकी है.
मुंबई में व्यवसायी मनसुख हिरेन की कथित हत्या का केस सुलझाने का दावा करते हुए महाराष्ट्र एटीएस ने दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। एटीएस ने इसमें निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वझे को मुख्य आरोपी बनाया है। एटीएस ने एक पुलिसकर्मी और एक सट्टेबाज को गिरफ्तार किया है। एक अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि मुंबई पुलिस के निलंबित अधिकारी सचिन वझे ने अपराध में मुख्य भूमिका निभाई थी और वह मुख्य आरोपी के तौर पर सामने आए हैं।
एटीएस अधिकारी ने बताया कि शनिवार देर रात गिरफ्तार दोनों आरोपियों की पहचान पुलिसकर्मी विनायक शिंदे और सट्टेबाज नरेश गौर के रूप में हुई है। अधिकारी ने दिन में सट्टेबाज का नाम नरेश धरे बताया था लेकिन बाद में उसका नाम नरेश गौर बताया गया। उन्होंने बताया कि शिंदे 2006 के लाखन भैया फर्जी मुठभेड़ मामले का दोषी है और वह पिछले ही साल फर्लों पर जेल से रिहा हुआ था। उसके बाद से ही शिंदे वझे के संपर्क में था।
मनसुख की हत्या के वक्त वझे मौजूद नहीं थे
शिंदे मई 2020 से रिटायर्ड एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा की टीम में सचिन वझे के साथ काम कर रहा था। एटीएस को शक है कि इस मामले में कई पुलिसकर्मी शामिल हो सकते हैं। एटीएस के अनुसार, वझे ने ही कथित रूप से मनसुख के मारने को कहा था लेकिन हत्या के वक्त वह वहां खुद मौजूद नहीं थे। एटीएस ने वझे और अन्य की मनसुख से बातचीत की कॉल रेकॉर्ड के आधार पर संदिग्धों को पकड़ा है।
गौर और शिंदे 30 मई तक पुलिस कस्टडी में
गौर और शिंदे को एटीएस कोर्ट में पेश किया गया जहां से उन्हें 30 मार्च तक की पुलिस कस्टडी में भेजा गया है। एटीएस चीफ जयजीत सिंह ने बताया कि बुकी गौर ने पांच सिम कार्ड खरीदे थे और उसे शिंदे को दे दिया था जो वझे के संपर्क में था। एटीएस का कहना है कि यह सिर्फ शुरुआत है, एक या दो दिन में और संदिग्ध पकड़े जाएंगे।
इन दो वजहों से सचिन ने रची थी साजिश
दोनों आरोपियों ने अपने आरोप नहीं स्वीकार किए हैं लेकिन वझे और दूसरे पुलिसकर्मियों पर कुछ खुलासे किए हैं। अधिकारियों के मुताबिक, वझे ने मनसुख को विस्फोटक रखने की जिम्मेदारी दी थी लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया था। वझे के टेरर केस गढ़ने के पीछे दो थ्योरी भी सामने आई हैं। एक अधिकारी ने बताया, ‘वझे खुद केस को सॉल्व करके सुपर कॉप बनना चाहते हैं या फिर वह और कुछ दूसरे पुलिसकर्मी (जिसमें एक सीनियर भी शामिल हैं), एक प्राइवेट सिक्यॉरिटी फर्म में शामिल होना चाहते थे जिसे एक कॉर्पोरेट ने लॉन्च किया है।’
इस डर से बनाया मनसुख की हत्या का प्लान
शुरुआती जांच में सामने आया है कि वझे ने मनसुख की हत्या की साजिश इसलिए रची क्योंकि उन्हें डर था कि मनसुख उनके प्लान के बारे में सब उगल देंगे। मनसुख को मारने का प्लान 2 मार्च को बनाया गया। वझे ने दोनों साथियों के साथ मिलकर क्रॉफर्ड मार्केट स्थित अपने हेडक्वॉर्टर में दो घंटे तक मीटिंग भी की थी।
शिंदे ने ही खुद को ‘तावड़े साहब’ बताया था
एटीएस अधिकारी के अनुसार, प्रथमदृष्टया शिंदे ने हिरेन को उपनगर कांदीवली से चार मार्च को फोन किया था और खुद को ‘तावड़े साहब’ बताया था। इसके एक दिन बाद ही हिरेन का शव बरामद हुआ था। बता दें कि हिरेन चार मार्च को ठाणे स्थित अपने आवास से निकले थे और उन्होंने अपनी पत्नी विमला को बताया था कि उन्हें कांदीवली में ‘तावड़े साहब’ ने पूछताछ के लिए बुलाया है।
एनआईए की हिरासत में है वझे
जांच के अनुसार, उस दिन रात करीब 11 बजे जब विमला और उनके बेटों ने हिरेन को फोन करने की कोशिश की तो उनका फोन बंद जा रहा था। हिरेन ने दावा किया था कि उनकी एसयूवी चोरी हो गई थी। यह एसयूवी 25 फरवरी को उद्योगपति मुकेश अंबानी के मुंबई स्थित आवास के निकट मिली थी। इस वाहन से विस्फोटक सामग्री मिली थी। वझे फिलहाल एनआईए की हिरासत में हैं।
हिरेन केस में कितने लोग शामिल थे
अधिकारी ने बताया, ‘हिरेन हत्याकांड में सचिन वझे मुख्य आरोपी है। उन्होंने मुख्य भूमिका निभाई है। जांच के दौरान एटीएस को पता चला कि सट्टेबाज नरेश गौर ने एपीआई वझे और शिंदे को अपराध के लिए पांच सिमकार्ड मुहैया कराए थे। शिंदे अवैध गतिविधियों में वझे की मदद किया करते थे।’ उन्होंने कहा कि एटीएस जांच कर रही है कि क्या मामले में और लोग भी संलिप्त हैं और उनकी क्या भूमिका रही है।
हिरेन केस में मुख्य साजिशकर्ता कौन
अधिकारी के अनुसार, ‘एटीएस जांच कर रही है कि मुख्य षड्यंत्रकारी (हिरन हत्याकांड में) कौन है।’ उन्होंने कहा, ‘दोनों आरोपियों को मामले में पूछताछ के लिए शनिवार को एटीएस मुख्यालय बुलाया गया था, बाद में उन्हें गिरफ्तार किया गया।’ अधिकारी ने बताया, ‘राज्य एटीएस ने अभी तक कई लोगों से पूछताछ की है, जिनमें पुलिस अधिकारी और मृतक के परिजन शामिल हैं। इन दो लोगों की गिरफ्तारी इस मामले में महत्वपूर्ण प्रगति है।’
एटीएस ने हिरेन हत्याकांड के संबंध में अज्ञात लोगों के खिलाफ आईपीसी की धाराओं 302 (हत्या), 201 (साक्ष्य मिटाने), 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र) और 34 (साझा मंशा) के तहत मामला दर्ज किया है।