पांच मुस्लिम बहुल सीटों पर जीत दर्ज करने वाली ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के हौसले बुलंद हैं. बिहार के बाद पार्टी अब पश्चिम बंगाल में भी चुनाव लड़ने का प्लान कर रही है. इसी मुद्दे को लेकर हैदराबाद में बुधवार को बैठक की गई थी. हालांकि पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि कार्यक्रमों की घोषणा के बगैर भी वो प्रदेश में सक्रिय हो चुके हैं.
शुक्रवार को एआईएमआईएम के केंद्रीय प्रवक्ता ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि अगर तृणमूल कांग्रेस चाहे तो वो पश्चिम बंगाल में एक गठबंधन के अंतर्गत चुनाव लड़ सकते हैं. यानी कि पश्चिम बंगाल चुनाव से पहले एआईएमआईएम ने ममता बनर्जी के सामने गठबंधन के दरवाजे खोल दिए हैं.
बीजेपी बोली- हमें कोई दिक्कत नहीं
वहीं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने एआईएमआईएम के निमंत्रण को लेकर निशाना साधा है. उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि एआईएमआईएम, हमें हराने के लिए ‘सेक्युलर पार्टियों’ को जोड़ रही है. उन्होंने कहा है कि हमें एआईएमआईएम-टीएमसी गठबंधन को लेकर कुछ नहीं कहना है.
एआईएमआईएम ने बिहार में पांच सीट जीतने के बाद टीएमसी को यह ऑफर दिया है. हमें कोई दिक्कत नहीं है. हम लोगों ने यह जीत संगठनात्मक मजबूती की वजह से हासिल की है. हमलोग आने वाले समय में इसी मजबूती के जोर पर बंगाल में भी सत्ता बदल देंगे.
सुवेंदु अधिकारी के न आने की वजह किसी को नहीं मालूम है। अधिकारी के अलावा, शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी भी कैबिनेट मीटिंग में शामिल नहीं हुए। हालांकि, उनकी तबीयत खराब होने की खबर मिली थी।
सुवेंदु अधिकारी और पार्थ चटर्जी के अलावा राजीव बनर्जी, गौतम देव और रवींद्रनाथ घोष के कैबिनेट मीटिंग में न पहुंचने के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है। हालांकि पांच मंत्रियों की एक साथ गैर-मौजूदगी को लेकर ममता सरकार में चुनाव से पहले असंतोष की चर्चा शुरू हो गई है।
ममता बनर्जी के खेमे में बगावत की सुगबुगाहट नज़र आ रही है। धीरे-धीरे टीएमसी के दिग्गज नेता पार्टी से बागी होते हुए नजर आ रहे है। जहाँ नंदीग्राम और सिंगूर आंदोलन में ममता के साथ रहे सुवेंदु अधिकारी ने पार्टी छोड़ दी थी वहीं अब रबीन्द्रनाथ भट्टाचार्जी ने पार्टी से इस्तीफा देने की बात कह दी है।
बता दें तृणमूल कॉन्ग्रेस के लोकप्रिय नेता और परिवहन मंत्री शुभेंदु अधिकारी ने बगावती तेवर दिखाते हुए नंदीग्राम दिवस पर टीएमसी से अलग रैली की। अधिकारी की रैली में सूबे की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तस्वीर भी नहीं थे। यहीं नहीं उन्होंने अपनी रैली में भारत माता की जय के नारे भी लगाए। माना जा रहा कि वह भाजपा की ओर रुख कर सकते हैं।
रिपोर्ट्स के अनुसार, टीएमसी के एमपी कल्याण बंद्योपाध्याय (Kalyan Bandyopadhyay) ने पार्टी की जिला समिति और सिंगूर सहित 31 ब्लॉक और नगर समितियों की घोषणा की थी। इसमें रवींद्रनाथ समर्थक महादेव दास को पार्टी की सिंगूर ब्लॉक समिति के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है। महादेव को भट्टाचार्जी का करीबी माना जाता है। बता दें भट्टाचार्जी ने टाटा के नैनो कारखाने के खिलाफ TMC के आंदोलन में ममता का साथ दिया था। इस आंदोलन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी।
वहीं हरिपाल से विधायक बेचाराम मन्ना ने भी गुरुवार को पार्टी में चल रहे मतभेदों को देखते हुए इस्तीफा दे दिया। क्योंकि ऐसा ही बदलाव उनके इलाके में भी हुआ है। पार्टी नेताओं के बदलते रुख को देखते हुए टीएमसी में हलचल मच गई है।
तृणमूल नेतृत्व मामले की गंभीरता को देखते हुए मन्ना को मनाने में जुट गई। जिसके बाद भी मन्ना ने इस्तीफा देने का मन बना लिया। पार्टी के महासचिव सुब्रत बख्शी ने कोलकाता में तृणमूल कॉन्ग्रेस मुख्यालय में मन्ना को बुलाया और कथित तौर पर, ‘इस्तीफे को वापस लेने और दिमाग शांत रखने’ के लिए कहा।
कथिततौर पर मुन्ना का गुस्सा हाल ही में हुए घटनाक्रमों के मद्देनजर भी था। शुक्रवार सुबह उत्तरपारा के विधायक, प्रबीर घोषाल ने मन्ना से उनके आवास पर उनसे बात करते हुए बताया था, “दोनों नेताओं के बीच गलतफहमी थी, लेकिन मेरा मानना है कि मामला अब सुलझ गया है। अब कोई समस्या नहीं हैं। मन्ना सिंगूर आंदोलन का चेहरा हैं और पार्टी इसे स्वीकार करती है।”
वहीं विधायक मुन्ना ने मामले को लेकर मीडिया से किसी प्रकार की बातचीत नहीं की है। स्थानीय नेताओं का कहना है कि मन्ना अभी भी पार्टी से खुश नहीं हैं।
गौरतलब है कि टीएमसी के नेताओं के रवैये को देखते हुगली से बीजेपी सांसद लॉकेट चटर्जी ने ममता सरकार पर तंज कसा है। चटर्जी ने कहा, “तृणमूल कॉन्ग्रेस अब गुटबाजी से लड़ रही है। हुगली में टीएमसी नेता यह जानते हुए बाहर जाने की कोशिश कर रहे हैं कि पार्टी यहाँ अपने वादों को पूरा नहीं कर पाई। सिंगूर ने ममता को सत्ता दिलाई थी और यही जगह उनसे सत्ता छीनेगी भी।”