दिल्ली हिंसा के बाद दो किसान संगठनों ने खत्म किया आंदोलन, राकेश टिकैत पर लगाए गंभीर आरोप
दिल्ली में किसान परेड के दौरान उपद्रवियों द्वारा की गई हिंसा के बाद आंदोलनों को खत्म किया जाने लगा है। दो किसान संगठनों ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ हो रहे आंदोलन को वापस लेने का ऐलान किया है। राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन और भारतीय किसान यूनियन (भानु) ने गाजीपुर और नोएडा बॉर्डर पर चल रहे प्रदर्शन को वापस ले लिया। इसके साथ भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत पर गंभीर आरोप भी लगाए। किसान मजदूर संगठन के नेता वीएम सिंह ने कहा कि हम लोगों को पिटवाने के लिए यहां नहीं आए हैं। देश को हम बदनाम नहीं करना चाहते हैं। वीएम सिंह ने कहा कि राकेश टिकैत ने एक भी मीटिंग में गन्ना किसानों की मांग नहीं उठाई।
देश के 72वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर मंगलवार को विभिन्न किसान संगठनों ने दिल्ली की सीमाओं से किसान ट्रैक्टर परेड निकाली थी। यह परेड आगे जाकर हिंसक घटनाओं में तब्दील हो गई थी। कई किसानों की परेड तो तय रूट पर गई थी, लेकिन कई किसान दिल्ली में उन जगहों पर ट्रैक्टर लेकर चले गए थे, जिनकी अनुमति नहीं मिली थी। इस दौरान, किसानों को रोकने के लिए दिल्ली पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस छोड़े थे। उपद्रवियों ने काफी देर तक लालकिले में भी हुड़दंग मचाया था।
दिल्ली में हिंसक घटनाओं के बाद किसान नेता वीएम सिंह ने बुधवार को कहा, ”हम किसी ऐसे व्यक्ति (राकेश टिकैत) के साथ विरोध को आगे नहीं बढ़ा सकते, जिसकी दिशा कुछ और हो। इसलिए, मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं, लेकिन वीएम सिंह और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति इस विरोध को तुरंत वापस ले रही है।” सिंह ने कहा कि सरकार की भी गलती है, जब कोई 11 बजे की जगह 8 बजे निकल रहा है तो सरकार क्या कर रही थी। जब सरकार को पता था कि लाल किले पर झंडा फहराने वाले को कुछ संगठनों ने करोड़ों रुपये देने की बात की थी।
वहीं, बीकेयू (भानु) के अध्यक्ष ठाकुर भानू प्रताप सिंह ने कहा कि दिल्ली में जो कुछ भी कल हुआ, उससे मैं काफी आहत हूं और हम अपना 58 दिन पुराना आंदोलन खत्म कर रहे हैं।
‘उकसाने वाले के खिलाफ की जाए कार्रवाई’
गाजीपुर बॉर्डर पर पिछले काफी दिनों से आंदोलन कर रहे वीएम सिंह ने आईटीओ पर मरने वाले किसान के बारे में भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने उसे उकसाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की। सिंह ने कहा, ”हिन्दुस्तान का झंडा, गरिमा, मर्यादा सबकी है। उस मर्यादा को अगर भंग किया है, भंग करने वाले गलत हैं और जिन्होंने भंग करने दिया, वह भी गलत हैं। आईटीओ में एक साथी शहीद भी हो गया। जो लेकर गया या जिसने उकसाया उसके खिलाफ पूरी कार्रवाई होनी चाहिए।”
हिंसा को लेकर राकेश टिकैत के खिलाफ एफआईआर
दिल्ली पुलिस ने गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में हुई हिंसा के सिलसिले में किसान नेता राकेश टिकैत और अन्य के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि पुलिस ने 200 लोगों को हिरासत में लिया है और हिंसा के सिलसिले में अब तक 22 प्राथमिकी दर्ज की हैं। हिंसा में 300 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गये थे। टिकैत ने उनके खिलाफ मामला दर्ज होने के बारे में पूछे जाने पर कहा कि किसी भी किसान नेता के खिलाफ प्राथमिकी देश के किसानों के खिलाफ प्राथमिकी है।
योगेंद्र यादव और राकेश टिकैत जैसे मीडिया फेस भी मुश्किल में फंस सकते हैं। इनका नाम भी एफआईआर में लिखा है। लाल किला पर हुए उपद्रव के बाद मंगलवार की रात और बुधवार को करीब एक लाख किसान अपने ट्रैक्टर लेकर घरों की ओर चल पड़े हैं। जानकारों का कहना है कि लालकिला उपद्रव के बाद बाजी पलट गई है। अभी सरकार का पलड़ा भारी हो गया है। केंद्र सरकार, आक्रामक मूड में है, अब बातचीत होगी या नहीं, तय नहीं है।
किसान संगठनों द्वारा गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली निकालने की घोषणा करने के बाद 22 जनवरी से 24 जनवरी के बीच करीब डेढ़ लाख किसान अपने ट्रैक्टर लेकर दिल्ली सीमा पर पहुंच गए थे। इनमें से अधिकांश ट्रैक्टर पंजाब के इलाकों से आए थे। हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान से भी ट्रैक्टर दिल्ली पहुंचे थे। दो किसान नेता, जिनका अपना संगठन है और वे इस आंदोलन में संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले काम कर रहे थे, का कहना है कि सरकार जो चाहती थी, वैसा हो गया है। अब आरोप और प्रत्यारोप का कोई मतलब भी नहीं है।
लाल किला उपद्रव मामले में भले ही किसी भी संगठन का हाथ हो, मगर उसकी जिम्मेदारी से किसान नेता भाग नहीं सकते। भारतीय किसान यूनियन के कई बड़े संगठनों में कथित तौर पर फूट पड़ गई है। हरियाणा सरकार ने सभी धरना स्थलों पर सख्ती बढ़ा दी है। खासतौर पर करनाल टोल प्लाजा के पास लगा लंगर हटवा दिया गया है। दूसरे इलाकों से भी किसान वापस लौट रहे हैं। टोल प्लाजा से भी किसानों को हटाया जा रहा है।
हरियाणा के रोहतक, पानीपत, जींद, झज्जर, रेवाड़ी, भिवानी, कैथल, अंबाला और फतेहाबाद की ओर बुधवार को हजारों ट्रैक्टर वापस जाते हुए दिखाई दिए। पंजाब से जो किसान 23-24 जनवरी को इन जिलों से होते हुए दिल्ली पहुंचे थे, अब उन्होंने घर का रुख कर लिया है। राजस्थान किसान संगठन के एक नेता ने कहा, किसान आंदोलन में शुरू से ही विभिन्न संगठन एकमत नहीं थे। कई संगठन तो बीच में अलग हो गए थे।