कांग्रेस पार्टी का मालिक गांधी नेहरू परिवार और उसके युवराज राहुल गांधी का चुनाव लड़ने का अंदाज़ कालेज यूनिवर्सिटी इलेक्शन जैसा है,कुछ तो भी घोषणा करो कुछ भी इल्ज़ाम लगाओ और इसीलिए सब जगह वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी कर बयानबाज और बदतमीजो को आगे बढ़ाया जा रहा है या उनको जो जूते उठाने को भी तैयार हों।
विगत विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा चर्चा वाली सीट वडगाम से निर्दलीय उम्मीदवार जिग्नेश मेवानी ने जीत हासिल की है। जिग्नेश मेवानी एक दलित चेहरा बन दलितों के प्रतिनिधि के रूप में इस चुनाव में अच्छी प्रतिष्ठा हासिल की। फिर समय बीतने और परिस्थिति बदलने के साथ ही मेवानी कांग्रेस को समर्थन का ऐलान कर पार्टी में शामिल हो गए।
आपको बता दें कि उन्होंने यह इस्तीफा दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र में लिखा है। जिसमें उन्होंने पार्टी के लिए किए गए कार्यों और उनके द्वारा किए गए योगदान का जिक्र किया है। उन्होंने यह भी दावा किया कि 2017 के चुनाव में हमने पार्टी से किए अपने वादे को पूरा कर निर्दलीय उम्मीदवार को जिताने के लिए कड़ी मेहनत की थी। मैं दलितों के मुद्दों को आवाज देने में भी सक्षम हूं। लेकिन पार्टी के शिष्टाचार ने मुझे ऐसा करने से रोक दिया है। समाज में नफरत फैलाकर तथाकथित दलित नेताओं को बढ़ावा देकर पार्टी के पुराने दिग्गज नेताओं के साथ अन्याय किया गया है।”
अंत में उन्होंने कांग्रेस पार्टी को भी अलविदा कह दिया और कहा कि ये सभी मुद्दे पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष के इस्तीफे में अक्षमता के कारण उठाए गए थे।