Monday, September 16, 2024
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गर्व करिए भारत की सेना पर,जारी हो गयी रिपोर्ट,चीन को औकात दिखाने की

साल ​​1962 में भारत-चीन के बीच हुए भयानक युद्ध की नींव गलवान इलाका ही माना जाता है.
गलवान घाटी क्षेत्र का इतिहास बेहद दर्दनाक है. लदाख में एलएसी पर स्थित गलवान इलाके को चीन ने अपने कब्जे में ले रखा है. चीन के अतिक्रमण को रोकने के लिए भारतीय जवान गलवान नदी में भी नाव के जरिए नियमित गश्त करते हैं.

गलवान घाटी भारत की तरफ लदाख से लेकर चीन के दक्षिणी शिनजियांग तक फैली है. यह क्षेत्र भारत के लिए सामरिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि यह पाकिस्तान और चीन के शिनजियांग दोनों के साथ लगा हुआ है.

गलवान नदी का नाम गुलाम रसूल गलवान के नाम पर पड़ा था. वह लेह के रहनेवाले ट्रेकिंग गाइड थे. साल 1900 के आसपास उन्होंने गलवान नदी को खोजा था. गलवान नदी काराकोरम रेंज के पूर्वी छोर में समांगलिंग से निकलती है, फिर पश्चिम में जाकर श्योक नदी में मिल जाती है.

गलवान नदी पर भारत की ओर से पुल बनाया जा रहा है. मौजूदा तनाव के हालात को देखते हुए भारत ने पुल का निर्माण कार्य तेज कर दिया है, इसके लिए बीआरओ ने बड़ी संख्या में मजदूर लगाये हैं.

गलवान घाटी में भारत सड़क बना रहा है, जिसे रोकने के लिए चीन कई बार सीमा पर तनाव फैलाने वाली हरकत करता रहता है. दरबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी रोड (डीबीओ) भारत को इस पूरे इलाके में बड़ा लाभ दे सकती है.

अमेरिकी संसद कांग्रेस की एक शीर्ष सम‍िति ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में खुलासा किया है कि चीन सरकार ने इस साल जून में गलवान घाटी में हुई खूनी हिंसा की ‘साजिश’ रची थी। इस हमले का मकसद चीन का अपने पड़ोसी देशों के ख‍िलाफ ‘जोर-जबरदस्‍ती’ अभियान को तेज करना था। गलवान घाटी में चीन के सैनिकों ने रात के अंधेरे में भारतीय सैनिकों पर कायराना हमला किया था जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे।

अमेरिका के चीन आर्थिक और सुरक्षा समीक्षा आयोग (USCC) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा, ‘कुछ साक्ष्‍य यह बताते हैं कि चीन सरकार ने इस हमले की साजिश को रचा था। इसमें सैनिकों की हत्‍या की संभावना भी शामिल है। USCC की स्‍थापना वर्ष 2000 में हुई थी जो अमेरिका और चीन के बीच में राष्‍ट्रीय सुरक्षा और व्‍यापार के मुद्दों की जांच करता है। यह अमेरिकी कांग्रेस को चीन के खिलाफ विधायी और प्रश‍ासनिक कार्रवाई की सिफारिश भी करता है।

‘चीन के रक्षा मंत्री ने जवानों को युद्ध के ल‍िए उत्‍साहित किया था’
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन सरकार के वा‍स्‍तविक नियंत्रण रेखा पर इस उकसावे वाले कदम को उठाने के पीछे का ठीक-ठीक कारण अभी इस साल पता नहीं चल पाया है। हालांकि चीन के इस कदम का संभावित कारण भारत का सीमाई इलाकों में रणनीतिक सड़क बनाना है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि गलवान हिंसा से कुछ सप्‍ताह पहले ही चीन के रक्षा मंत्री वेई ने अपने जवानों को स्थिरता लाने के लिए युद्ध करने को उत्‍साहित किया था।

यही नहीं चीन के कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के भोंपू ग्‍लोबल टाइम्‍स ने भी भारत को चेतावनी दी थी। इसमें चीनी अखबार ने कहा था कि अगर भारत अमेरिका-चीन प्रतिद्वंदिता में शामिल होता है तो उसे व्‍यापार और आर्थिक मोर्चे पर करारा जवाब दिया जाएगा। इसके अलावा गलवान हिंसा से कुछ सप्‍ताह पहले ही सैटलाइट से मिली तस्‍वीरों में दिखाई दिया था कि चीन ने इस हिंसा से ठीक पहले एक हजार जवानों को तैनात किया था।

गलवान घाटी में चीन ने रची थी खूनी साजिश, तैनात थे 1000 PLA सैनिक: अमेरिकी रिपोर्ट ने किया खुलासा

गत जून माह में गलवान घाटी (Galwan valley) पर भारतीय सैनिक और चीनी फौजियों के बीच हुई आपसी झड़प चीन की साजिश का परिणाम थी, इसका खुलासा अमेरिका ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में किया है।

अमेरिकी संसद कॉन्ग्रेस की एक शीर्ष सम‍िति ने बुधवार  (दिसंबर 2, 2020) को जारी की गई अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि चीन सरकार ने इस साल जून में गलवान घाटी में हुई खूनी हिंसा की ‘साजिश’ रची थी। यानी वह झड़प जिसमें भारत ने अपने 20 सैनिक खोए, वह कोई तुरंत पैदा हुई स्थिति का परिणाम नहीं थी बल्कि उनकी ही योजना का हिस्सा थी।

झड़प के 6 महीने बाद अमेरिका ने अपनी रिपोर्ट ‘यूएस-चाइना इकोनॉमिक एंड सिक्योरिटी रिव्यू कमिशन’ में इस बात का उल्लेख किया है कि कुछ ऐसे सबूत हैं जिनसे पता चला है कि चीनी सरकार ने गलवान घाटी पर हिंसा के लिए अपनी योजना बनाई थी, जिसमें संभावित रूप से जानलेवा हमले की संभावना भी शामिल थी। रिपोर्ट में अमेरिका ने अपना दावा करते हुए सैटेलाइट तस्वीरों का हवाला दिया है। उन्होंने कहा कि गलवान घाटी में झड़प वाले हफ्ते हजार की तादाद में पीएलए सैनिकों को तैनात किया गया था।

इसके अलावा रक्षा मंत्री वेई ने भी झड़प से कई हफ्ते पहले अपने बयान में चीन को उकसाते हुए स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया था। रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन सरकार के वा‍स्‍तविक नियंत्रण रेखा पर इस उकसावे वाले कदम को उठाने के पीछे का ठीक-ठीक कारण अभी इस वर्ष पता नहीं चल पाया है। लेकिन अंदाजा लगाया जा रहा है कि इसके पीछे उनका उद्देश्य रणनीतिक सड़क तैयार करना था। इतना ही नहीं चीन के सरकारी मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने भी भारत को चेतावनी दी थी कि भारत अमेरिका-चीन प्रतिद्वंदिता में शामिल होता है तो उसे व्‍यापार और आर्थिक मोर्चे पर करारा जवाब दिया जाएगा।

गौरतलब है कि जून में LAC पर हुई हिंसा 1975 के बाद पहली ऐसी हिंसा थी जिसमें सैनिकों ने जान गवाई। लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हाथापाई और संघर्ष में भारत के 20 जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे जबकि चीन के 43 से अधिक जवानों के हताहत होने की सूचना सामने आई थी। चीन ने भारतीय सेना पर हमला करने के लिए लाठी-ंडंडे, रॉड, हॉकी, ड्रैगन पंच, कंटीली तारों वाले हथियार आदि का इस्तेमाल किया था।

 

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