टोक्यो ओलंपिक्स 2020 में मीरबाई चानू ने सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है. वेटलिफ्टिंग में ये भारत का सबसे बड़ा पदक है. मीरबाई से पहले वेटलिफ्टिंग में करनम मलेस्वरी ने ब्रॉन्ज़ मेडल जीता था. अब मीराबाई ने मेडल जीत टोक्यो में भारत का खाता खोल दिया है.
इस शानदार जीत के बाद मीराबाई के घर में जश्न है और खुद मीराबाई भी बेहद खुश हैं. 49kg वर्ग में पहला मेडल जीतने के बाद मीराबाई ने कहा,
”मैं पिछले पांच सालों से इस मेडल का सपना देख रही थीं. मैं बेहद खुश हूं कि मुझे सिल्वर मेडल मिला है. मैंने गोल्ड जीतने के लिए बहुत कोशिश की. लेकिन क्लीन एंड जर्क इवेंट में टार्गेट अचीव करना मुश्किल हो गया. मैंने ओलंपिक रिकॉर्ड को बेहतर करने की कोशिश की, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. मैं फिर भी बहुत खुश हूँ.”
मीराबाई ने आगे कहा,
”मैं इस मैच में बेहद नर्वस थी, क्योंकि पूरे देश की नज़रें मुझपर टिकी हुई थीं. लेकिन मैं सिर्फ इसी सोच के साथ आई कि अपना सर्वश्रेष्ठ दूंगी और मेडल जीतने की कोशिश करूंगा.”
भारत की 26 साल की इस वेटलिफ्टर ने 49 kg कैटेगरी के स्नैच इवेंट में 87kg वज़न उठाया. जिसके बाद उन्होंने क्लीन एंड जर्क इवेंच में 115kg उठाकर खिताब के लिए अपना नाम पक्का कर लिया. मीराबाई ने इस पूरे इवेंट में कुल 202 kg वजन उठाया. ओलंपिक्स में वेटलिफ्टिंग इवेंट में ये भारत का रिकॉर्ड भी है.
मीराबाई 2016 रियो ओलंपिक में खिताब जीतने से चूक गई थीं. उस दौरान वो 82kg में स्नैच के पहले प्रयास में ही फेल हो गईं थीं. जिसके बाद उन्होंने दूसरे प्रयास में 82kg उठाया था. लेकिन तीसरे प्रयास में वो फिर से 84kg में फेल हो गईं थीं. मीरा ने रियो ओलंपिक को याद करते हुए कहा,
”मैंने रियो ओलंपिक 2016 से बहुत कुछ सीखा. मैंने वहां ये सीखा कि मुझे आगे क्या करना है, कहां सुधार की ज़रूरत है. आज मैं यहां रियो ओलंपिक की नाकामी की वजह से ही हूं.”
मेडल के बाद अपनी इस बातचीत में मीरबाई ने कहा,
”ओलंपिक खेलों में भारत के लिए पहला मेडल जीतकर मैं बेहद खुश हूं. मैं सिर्फ मणीपुर से ताल्लुक नहीं रखती बल्कि मैं पूरे देश की हूं.”
मीराबाई चानू की जीत के बाद भारतीय फैंस की उम्मीद है कि टोक्यो गया दल ज़्यादा से ज़्यादा मेडल लेकर भारत लौटे.