Sunday, December 22, 2024
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नही दूंगा घुसपैठियों, अतिक्रमणकारियों को 1₹ मुआवजा:मुख्यमंत्री की मर्दानगी,नपुंसक नेताओ को सबक

 

वैध नागरिकों का होगा पुनर्वास, धौलपुर के घुसपैठियों को नहीं देंगे कोई मुआवजा: असम की हिमंता सरकार ने HC में दाखिल किया जवाब

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने दावा किया है कि घुसपैठिये साल 2050 तक जनसंख्या के बल पर सत्ता समीकरणों को बदलना चाहते हैं और इसके लिए उन्होंने रूप रेखा भी तैयार की है. विपक्ष ने मुख्यमंत्री के इस बयान को सांप्रदायिक बताया है.

अवैध रूप से बसने वाले आपदाओं से प्रभावित होने का दावा करते हैं- सीएम

असम के धेमाजी में पत्रकारों से बात करते हुए सीएम हिमंत बिस्वा ने कहा,  ”अवैध रूप से बसने वाले आपदाओं से प्रभावित होने का दावा करते हैं और एक एजेंडे के साथ एक स्थान से दूसरे स्थान चले जाते हैं. मैं किसी विशेष समुदाय का नाम नहीं ले रहा हूं. हमें यह नहीं कहना चाहिए कि यह इस्लाम के अनुयायियों द्वारा किया जा रहा है, क्योंकि स्वदेशी असमिया मुसलमान इसका हिस्सा नहीं हैं. इस घुसपैठियों का सामूहिक उद्धेश्य साल 2050 तक असम की सत्ता को पूरी तरह बदलने का है

 

हिमंत बिस्वा सरमा सरकार ने हाईकोर्ट में दिया जवाब

असम में हिमंता बिस्वा सरमा की सरकार ने गुवाहाटी हाईकोर्ट को सूचित किया है कि उन्होंने उन परिवारों के पुनर्वास के लिए 130 एकड़ भूमि निर्धारित कर दी है जो दारांग जिले के धौलपुर में गोरुखुटी से विस्थापित हुए थे। बस सरकार की शर्त है कि इस सुविधा का फायदा वही उठा पाएँगे जो वैध नागरिक हैं। अतिक्रमणकारियों को कोई मुआवजा देने को सरमा सरकार तैयार नहीं है।
विपक्षी नेता देवव्रत सैकिया द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर कोर्ट ने इससे पहले सरकार को नोटिस जारी किया था, इसी के जवाब में उन्होंने हलफनामा दायर किया और ये जानकारी दी। सुनवाई 3 नवंबर को मुख्य न्यायाधीश सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति काखेतो सेमा की अध्यक्षता वाली पीठ ने की। सरकार ने इस दौरान कहा कि वो धौलपुर में विस्थापित किए गए लोगों को वैध नागरिकता के आधार पर निर्धारित जमीन पर पुनर्वास करवाएँगे। इस प्रक्रिया में कुछ अन्य जरूरी चीजें भी ध्यान में रखी जाएँगी। देखा जाएगा कि ये लोग मृदा अपरदन से प्रभावित और भूमिहीन थे या नहीं।
हलफनामे में कहा गया है कि करीबन 1000 बीघा (134 हेक्टेयर) जमीन धौलपुर गाँव के नंबर 1 और नंबर 3 दक्षिणी क्षेत्र में ली गई है, जहाँ जरूरी वेरिफिकेशन के बाद लोगों का पुनर्वास करवाया जाएगा। सरकार का यह पक्ष भी साफ है कि बीजेपी सरकार धौलपुर से निकाले गए अतिक्रमणकारियों को कोई मुआवजा नहीं देगी।
असम सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले सिपाझर राजस्व मंडल अधिकारी कमलजीत सरमा ने कहा है कि क्षेत्रों में कब्जा करने वाले अतिक्रमणकर्ता थे और असम भूमि और राजस्व विनियमन 1886 के तहत, उन्हें किसी भी समय बेदखल किया जा सकता था। उन्होंने अदालत को बताया कि पूरा मामला अतिक्रमित जमीन पर बेदखली से जुड़ा है और इसमें जमीन का अधिग्रहण शामिल नहीं है। इसलिए, भूमि अधिग्रहण अधिनियम के अनुसार पुनर्वास, और मुआवजे आदि का प्रश्न ही नहीं है।

सरकार की ओर से अदालत को आगे बताया गया कि धौलपुर में अतिक्रमित भूमि से बेदखल किए गए परिवार प्रभावित प्रवासी नहीं हैं, जैसा कि जनहित याचिका में दावा किया गया है। इसलिए वे असम पुनर्वास नीति 2020 के तहत किसी भी लाभ के लिए पात्र नहीं हैं। सरकार ने यह भी बताया कि अभी बाकी बची अतिक्रमित भूमि को खाली कराने के लिए कोई कठोर उपाय नहीं किया गया है। उन्हें उनकी इच्छा से उन इलाकों को छोड़ने के लिए मनाने का प्रयास हो रहा है।
अधिकारी ने जानकारी दी कि यदि नियम के तहत कोई परिवार विस्थापित हुआ है या भारी बाढ़ और मृदा अपरदन के कारण पलायन को मजबूर हुआ है तो ऐसे विस्थापित परिवारों को संबंधित राजस्व मंडल द्वारा एक प्रमाण पत्र जारी किया जाता है, लेकिन इन अतिक्रमणकारियों और उनके पूर्वजों का कोई रिकॉर्ड नहीं है। अब हाईकोर्ट ने असम सरकार को एक हफ्ते का समय दिया है कि वो इस विषय पर विस्तार के साथ हलफनामा जमा करें और अगली सुनवाई की तारीख भी 14 दिसंबर निर्धारित की गई है।
याद दिला दें कि इसी साल सितंबर में असम के धौलपुर में अतिक्रमण हटाने को लेकर बड़ा बवाल हुआ था। पूरी घटना में 9 पुलिसवाले घायल हुए थे जबकि जवाबी कार्रवाई में 2 हमलावर मारे गए थे। खबरें आई थीं कि कई सालों से बांग्लादेश के घुसपैठियों ने वहाँ अपनी जगह बना ली थी। करीब 30,000 एकड़ जमीन पर बांग्लादेशी मुस्लिमों का कब्जा बताया जा रहा था। ऐसे में हेमंत बिस्वा सरमा सरकार ने चेताया भी था कि इस तरह भूमि और बस्तियों को हड़पने के माध्यम से असम की जनसांख्यिकी संरचना बदलने को प्रयास किया गया है ताकि विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव परिणाम बदल सकें।

 

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