Monday, December 30, 2024
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मुख्यमंत्री राज्य छोड़ कर फरार….

मुख्यमंत्री फरार….
यथा पिता तथा पुत्र… जब 30 साल बाद खुली नरसंहार वाली फ़ाइल और फरार हो गए थे केंद्रीय मंत्री शिबू सोरेन: फैक्स से भेजा था इस्तीफा, अब बेटा आजमा रहा वही पैंतरे

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन फरार हो गए थे। कारण – जमीन घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग में ED (प्रवर्तन निदेशालय) उनसे पूछताछ के लिए 10 बार समन जारी कर चुकी है लेकिन वो हाजिर नहीं हुए। उनके दिल्ली स्थित ठिकानों पर छापेमारी हुई, जहाँ से ED ने एक BMW समेत 2 गाड़ियाँ, 36 लाख रुपए कैश और कुछ कागजात मिले हैं। क्या आपको पता है कि हेमंत सोरेन की तरह ही कभी उनके पिता शिबू सोरेन भी पद पर रहते हुए फरार हो गए थे? हेमंत सोरेन अभी CM है, पिता शिबू तब केंद्रीय मंत्री हुआ करते थे।

हम इस घटना के बारे में जानेंगे, लेकिन उससे पहले समझिए कि झारखंड में चल क्या है। इस घोटाले की जाँच तेज़ होने के बाद झारखंड की राजनीति में अस्थिरता आ गई है। सत्ताधारी दल के विधायकों को राँची में रहने के आदेश दिए गए हैं। राज्यपाल CP राधाकृष्णन ने पुलिस महानिदेशक (DGP), मुख्य सचिव और गृह सचिव को तलब कर कानून-व्यवस्था की स्थिति पर बैठक की है। राजभवन, हेमंत सोरेन के आवास और ED दफ्तर के 100 मीटर के दायरे में धारा-144 लागू कर दी गई है।

जहाँ पार्टी के संस्थापक शिबू सोरेन अब भी JMM के अध्यक्ष हैं, उनके बेटे हेमंत पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हैं। जमीन खरीद में गड़बड़ी, अवैध खनन और मनी लॉन्ड्रिंग – इन आरोपों के तहत ED उनकी जाँच कर रही है। बताया गया है कि भारतीय सेना के नियंत्रण वाली जमीन की खरीद-बिक्री की गई। राँची नगर निगम ने इस संबंध में FIR दर्ज करवाई थी। इसी आधार पर ECIR (सूचना रिपोर्ट) दर्ज की गई थी। आरोप है कि जमीन की खरीद-बिक्री के लिए दस्तावेजों में हेराफेरी की गई थी।

ये भी आरोप है कि जनजातीय समाज के नियंत्रण वाली जमीनों में भी गड़बड़ी कर के खरीद-बिक्री की गई। इस मामले में एक IAS अधिकारी और एक व्यापारी समेत 14 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। 2011 बैसण के अधिकारी छवि रंजन को ED ने मई 2023 में ही गिरफ्तार किया गया था। जुलाई 2020 से लेकर 2 वर्षों तक वो राँची के डिप्टी कमिश्नर थे। गिरफ़्तारी के समय वो ‘डायरेक्टर ऑफ सोशल वेलफेयर’ के पद पर थे। जून 2023 में दर्ज FIR के आधार पर उनकी गिरफ़्तारी हुई थी।

क्या है जमीन घोटाला और अवैध खनन वाला मामला

उस समय ‘राँची म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन’ में टैक्स कलक्टर रहे दिलीप शर्मा ने प्रदीप बागची नामक एक शख्स के खिलाफ FIR दर्ज करवाई थी। उस पर आरोप था कि उसने उस जमीन को खरीद कर उस पर कब्ज़ा कर लिया, जो भारतीय सेना के नियंत्रण में थी। शुरू में मामला 455 डेसिमल (4.50 एकड़) जमीन का था, जो BM लक्ष्मण राव के नाम पर हुआ करता था और देश की स्वतंत्रता के बाद उन्होंने इसे भारतीय सेना को सौंप दिया था। जमीन माफिया, अधिकारियों एवं दलालों ने मिल कर फर्जीवाड़ा किया और प्रदीप बागची को उसका मालिक दिखा दिया।

इस जमीन को फिर पश्चिम बंगाल के ‘जगतबंधु टी एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड’ को बेच दिया गया। इसका दाम 20.75 करोड़ रुपए होना चाहिए था, लेकिन इसे 7 करोड़ रुपए ही दिखाया गया। बागची को 25 लाख रुपए दिए गए, बाकी की धनराशि चेक द्वारा भुगतान किए जाने का फर्जी दावा कर दिया गया। बाद में पता चला कि छवि रंजन ऐसी दर्जन भर से ज्यादा जमीन की खरीद-फरोख्त में शामिल है। ED अवैध खनन से हुई 100 करोड़ रुपए की अवैध आय के मामले की भी जाँच कर रही है, अवैध खनन का ये मामला हजार करोड़ रुपए का है।

अब ये पूरा मामला सैकड़ों एकड़ जमीन तक पहुँच चुका है और जो जाँच CO स्तर से होते हुए कोलकाता के ‘रजिस्ट्रार ऑफ एस्युरेंस’ और फिर CM तक पहुँच गई, उसमें कई खिलाड़ी शामिल हैं। जिस व्यापारी को इस मामले में गिरफ्तार किया गया है, वो विष्णु अग्रवाल हैं। हेमंत सोरेन के एक अन्य करीबी प्रेम प्रकाश को भी इसमें गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में भी बरहेट के विधायक हेमंत सोरेन के प्रतिनिधि पंकज मिश्रा को भी गिरफ्तार किया गया है। साहिबगंज के नींबू पहाड़ पर चल रहे अवैध खनन से ग्रामीणों के घर में दरार पड़ने लगी थी, एक मामूली सही शिकायत इतने बड़े स्तर तक पहुँच गई।

जब फरार हो गए थे शिबू सोरेन, देना पड़ा इस्तीफा

2004 के लोकसभा चुनाव में JMM कॉन्ग्रेस के नेतृत्व वाले UPA गठबंधन का हिस्सा थी। जब यूपीए की जीत हुई तब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने। उन्होंने शिबू सोरेन को मई 2004 में कोयला मंत्री के रूप में केंद्रीय कैबिनेट में शामिल किया। हालाँकि, वो अधिक दिनों तक इस पर पर नहीं रह सके। इसी बीच चिरूडीह नरसंहार का 30 साल पुराना मामला सामने आ गया। सदन में इस पर हंगामा हुआ। शिबू सोरेन भूमिगत हो गए, उनका कहीं से कोई पता नहीं चल रहा था।

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