प्रियंका गांधी ने फिर बड़ी गड़बड़ कर दी,ताजा बयान दिया कि 20 से 40 साल वालो को विधायक को टिकट दिया।
विधायक बनने के लिए क्या होती है योग्यता, कितनी मिलती है सैलरी
विधायक का चयन विधानसभा के लिए किया जाता है और उन्ही विधायक मे से विधायकों द्वारा किसी एक को राज्य स्तर पर मुख्यमंत्री के लिए नामित किया जाता है। विधान सभा में विधायक संसद के सदस्यों के बराबर होते हैं, जो राज्य के सर्वोच्च कानून बनाने वाली संस्था का एक हिस्सा होते है।
विधायक बनने के लिए योग्यता मानदंड
– विधायक पर हेतु नामांकन करने वाले व्यक्ति को भारत का नागरिक होना आवश्यक है।
– उम्मीदवार की आयु 25 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिये।
– विधायक बननें वाले उम्मीदवार को उस राज्य में किसी भी निर्वाचन क्षेत्र का मतदाता होना आवश्यक है।
– चुनाव लड़नें वाले व्यक्ति को भारत सरकार के अंतर्गत किसी भी लाभ पद पर आसीन नहीं होना चाहिए।
– चुनाव लडने वाले व्यक्ति का मानसिक रूप से स्वस्थ होना आवश्यक है।
– लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अनुसार ,यदि विधायक दोषी पाया जाता है ,तो उन्हें उस पद से तत्काल हटाया जा सकता है।
विधायक की चुनाव प्रक्रिया
प्रत्येक पांच वर्ष की अवधि के पश्चात आम चुनाव घोषित किये जाते हैं।
– जनसंख्या के आधार पर प्रत्येक राज्य को अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजित किया गया है।
– चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को 18 वर्ष से अधिक आयु के नागरिकों द्वारा वोट दिया जाता है।
– एक निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की संख्या निश्चित नहीं होती है।
– चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार का किसी राजनीतिक दल से संबद्ध होना आवश्यक नहीं है ,वह स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ सकते हैं।
– विधायक का चयन उसी क्षेत्र के मतदाताओं द्वारा होता हैं।
– राज्य के राज्यपाल के पास एंग्लो-भारतीय समुदाय के सदस्य को नामांकित करने की कार्यकारी शक्ति होती है।
– निर्वाचित विधायक, विधानसभा में अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
विधायक को कितनी मिलती है सैलरी
उत्तर प्रदेश में एक विधायक को विधायक निधि के रूप में 5 साल के अन्दर 7.5 करोड़ रुपये मिलते हैं. इसके अलावा विधायक को वेतन के रूप में 75 हजार रुपया महीना, 24 हजार रुपये डीजल खर्च के लिए, 6000 पर्सनल असिस्टेंट रखने के लिए, मोबाइल खर्च के लिए 6000 रुपये और इलाज खर्च के लिए 6000 रुपये मिलते हैं.सरकारी आवास में रहने, खाने पीने, अपने क्षेत्र में आने-जाने के लिए अलग से खर्च मिलता है. इन सभी को मिलाने पर विधायक को हर माह कुल 1.87 लाख रुपये मिलते हैं.
रिटायरमेंट के बाद क्या फायदे मिलते हैं ?
कार्यकाल ख़त्म होने के बाद विधायक को हर महीने 30 हजार रुपये पेंशन में रूप में मिलते हैं, 8000 रुपये डीजल खर्च के रूप में मिलने के साथ साथ जीवन भर मुफ्त रेलवे पास और मेडिकल सुविधा का लाभ मिलता है.
विधान सभा या वैधानिक सभा जिसे भारत के विभिन्न राज्यों में निचला सदन(द्विसदनीय राज्यों में) या सोल हाउस (एक सदनीय राज्यों में ) भी कहा जाता है। दिल्ली व पुडुचेरी नामक दो केंद्र शासित राज्यों में भी इसी नाम का प्रयोग निचले सदन के लिए किया जाता है। 7 द्विसदनीय राज्यों में ऊपरी सदन को विधान परिषद कहा जाता है।
विधान सभा के सदस्य राज्यों के लोगों के प्रत्यक्ष प्रतिनिधि होते हैं क्योंकि उन्हें किसी एक राज्य के 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के नागरिकों द्वारा सीधे तौर पर चुना जाता है। इसके अधिकतम आकार को भारत के संविधान के द्वारा निर्धारित किया गया है जिसमें 500 से अधिक व् 60 से कम सदस्य नहीं हो सकते। हालाँकि विधान सभा का आकार 60 सदस्यों से कम हो सकता है संसद के एक अधिनियम के द्वारा: जैसे गोवा , सिक्किम , मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी। कुछ राज्यों में राज्यपाल 1 सदस्य को अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व करने के लिए नियुक्त कर सकता है , उदा० ऐंग्लो इंडियन समुदाय अगर उसे लगता है कि सदन में अल्पसंख्यकों को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। राज्यपाल के द्वारा चुने गए या नियुक्त को विधान सभा सदस्य या MLA कहा जाता है।
प्रत्येक विधान सभा का कार्यकाल पाँच वर्षों का होता है जिसके बाद पुनः चुनाव होता है। आपातकाल के दौरान, इसके सत्र को बढ़ाया जा सकता है या इसे भंग किया जा सकता है। विधान सभा का एक सत्र वैसे तो पाँच वर्षों का होता है पर लेकिन मुख्यमंत्री के अनुरोध पर राज्यपाल द्वारा इसे पाँच साल से पहले भी भंग किया जा सकता है। विधानसभा का सत्र आपातकाल के दौरान बढ़ाया जा सकता है लेकिन एक समय में केवल छः महीनों के लिए। विधान सभा को बहुमत प्राप्त या गठबंधन सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाने पर भी भंग किया जा सकता है। राज्य विधानसभा चुनाव कराने की जिम्मेदारी केन्द्रीय चुनाव आयोग की होती है
सदस्य बनने हेतु योग्यता
विधानसभा का सदस्य बनने के लिए, व्यक्ति को भारत का नागरिक होना आवश्यक है , वह 25 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका हो। वह मानसिक रूप से ठीक व दीवालिया न हो। उसको अपने ऊपर कोई भी आपराधिक मुकदमा न होने का प्रमाण पत्र भी देना होता है। लोकसभा अध्यक्ष या उसकी अनुपस्थिति में उप अध्यक्ष सदन में कार्य के लिए उत्तरदायी होता है। अध्यक्ष एक न्यूट्रल जज के रूप में काम करता है और सारी बहसों और परामर्शों को संभालता है। प्रायः वह बलशाली राजनितिक पार्टी का सदस्य होता है। विधान सभा में भी राज्य सभा व विधान परिषद के सामान ही क़ानूनी ताकतें होती हैं केवल मनी बिल्स के क्षेत्र को छोड़कर जिसमें विधान सभा सर्वोच्च अधिकारी है।