42 विधायक 16 सांसद की दस्तक भाजपा में
शताब्दी रॉय के यू-टर्न लेने के बाद तृणमूल कांग्रेस ने राहत की सांस ली ही थी कि भारतीय जनता पार्टी के सांसद सौमित्र खान ने ममता बनर्जी की पार्टी में खलबली मचा दी. भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सौमित्र खान ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस के 7-8 सांसद और 40-42 विधायक भाजपा में शामिल होंगे.
विष्णुपुर में सौमित्र खान ने कहा कि असंतुष्ट लोगों को तृणमूल कांग्रेस किसी तरह से मनाने की कोशिश कर रही है. लेकिन आप यकीन मानिए, तृणमूल कांग्रेस का गढ़ ध्वस्त होकर रहेगा. इस बार बंगाल में भाजपा की ही सरकार बनेगी. पार्टी 200 से ज्यादा सीटें जीतेगी और ममता बनर्जी की सरकार को सत्ता से बेदखल करेगी.
दिल्ली नहीं जाने और तृणमूल कांग्रेस में ही रहने संबंधी शताब्दी रॉय के बयान पर उन्होंने कहा कि उन्होंने भी ऐसा सुना है. बावजूद इसके, उन्होंने दावा किया कि बड़ी संख्या में तृणमूल कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता भाजपा में शामिल होने के लिए तैयार हैं. बहुत जल्द 40-42 विधायक और 7-8 सांसद भाजपा में शामिल होंगे.
सौमित्र खान ने तृणमूल युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और ममता बनर्जी के भतीजे (भाईपो) अभिषेक बनर्जी के अलावा टीएमसी के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर और पार्टी के प्रवक्ता कुणाल घोष पर कटाक्ष भी किया. विष्णुपुर के भाजपा सांसद सौमित्र खान के इस बयान पर तृणमूल की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है.
सुनील मंडल बोले : टीएमसी के 16 सांसद भाजपा में आयेंगे
तृणमूल छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले सुनील मंडल ने दावा किया कि ममता बनर्जी की पार्टी के 16 सांसद जल्दी ही भाजपा में शामिल हो जायेंगे. उन्होंने यहां तक कहा कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 के परिणाम जब आयेंगे, तो मालूम होगा कि आज की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस तीसरे नंबर पर जा चुकी है.
सौमित्र खान ही नहीं, भाजपा के अन्य हेवीवेट नेता भी ऐसे ही दावे कर रहे हैं. पश्चिम बंगाल प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने तो यहां तक कह दिया है कि आने वाले दिनों में तृणमूल कांग्रेस पूरी तरह खत्म हो जायेगी. यानी इस पार्टी का सफाया हो जायेगा.
5 रथ यात्रा
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 से पहले भारतीय जनता पार्टी 5 रथ यात्राएं निकालेगी. ये पांच रथ यात्राएं अलग-अलग क्षेत्रों से निकलेंगी. रथ यात्रा प्रदेश की सभी 294 विधानसभा सीटों से होकर गुजरेगी. सूत्रों के हवाले से ये खबर मिली है.
भाजपा ने एक रणनीति के तहत राज्य के लोगों तक पहुंचने के लिए रथयात्रा को अपना माध्यम बनाने का फैसला किया है. इस दौरान आम लोगों से अपील की जायेगी कि वे बंगाल में सत्ता परिवर्तन करें. भाजपा को सरकार बनाने का मौका दें, ताकि बंगाल को सोनार बांग्ला बनाया जा सके.
रैली ममता बनर्जी के गढ़ में 3 बजे आज
पश्चिम बंगाल में कल एक दूसरे के गढ़ में रैली करने जा रहे हैं ममता बनर्जी और शुभेंदु अधिकारी
सोमवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नंदीग्राम में रैली करेंगी, इसे शुभेंदु अधिकारी का गढ़ माना जाता है. वहीं शुभेंदु अधिकारी, ममता बनर्जी के गढ़ दक्षिण कोलकाता में एक रोड शो में हिस्सा लेने व
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शुभेन्दु अधिकारी पर सीधा हमला बोलने जा रहीं है, इसका जवाब सोमवार को मिलेगा. सोमवार को नंदीग्राम में ममता बनर्जी की रैली है और पूर्वी मिदनापुर में टीएमसी के कार्यकर्ता इस रैली पर नजर बनाये हुए हैं.
पहले तृणमूल कांग्रेस की तरफ से घोषणा की गई थी कि नंदीग्राम में ममता बनर्जी अपनी रैली 7 जनवरी को करेंगी. लेकिन टीएमसी के जिला को-ऑर्डिनेटर अखिल गिरी कोरोना से पीड़ित हो गए और इस वजह से वो इसमें शामिल नहीं हुईं. हालांकि, टीएमसी के वरिष्ठ नेता सुब्रत बक्शी नंदीग्राम में रैली में शामिल हुए थे. शुभेंदु अधिकारी ने इसपर कटाक्ष करते हुए कहा था, “पहले नंदीग्राम में लोग आते नहीं थे. अब चुनाव से पहले क्यों आ रहे हैं वो लोगो को पता है.”
सोमवार को अगर ममता बनर्जी नंदीग्राम में रैली करने जा रही हैं तो शुभेंदु अधिकारी भी कैसे पीछे रह सकते हैं. बीजेपी में शामिल हुए शुभेंदु सोमवार को ‘दीदी’ के गढ़ दक्षिण कोलकाता में एक रोड शो में हिस्सा लेने वाले हैं. उनके साथ दिलीप घोष समेत बीजेपी के कई और बड़े नेता मौजूद रहेंगे. टॉलीगंज से रासबिहारी तक ये रोड शो होने वाला है.
19 दिसंबर को बीजेपी में शामिल होने के बाद शुभेंदु अधिकारी ने 8 जनवरी को नंदीग्राम में रैली की थी. ममता बनर्जी 7 तारीख को रैली करने वालीं है इसको ध्यान में रखते हुए शुभेंदु की रैली 8 तारीख को रखी गई थी. हालांकि ‘दीदी’ की रैली 7 तारीख को नहीं हुई.
टीएमसी के बड़े नेता जहां भी रैली कर रहे हैं, शुभेंदु अधिकारी को ‘विश्वासघाती’ और ‘मीरज़ाफर’ बताकर निशाना साध रहे हैं. शुभेंदु अधिकारी भी कहते हैं कि तृणमूल कांग्रेस का इतिहास लोगों को पता है. टीएमसी को अगर 1998 और 1999 में बीजेपी का साथ न मिला होता तो वो यहां तक नहीं पहुंच पाती.