मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसी जगह से अपनी आधारशिला रखी थी या यूं कहें कि नंदीग्राम नर रास्ता प्रशस्त किया था ममता के मुख्यमंत्री बनने का।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) प्रमुख ममता बनर्जी ने 7 जनवरी को नंदीग्राम में होने वाली अपनी बैठक रद्द कर दी है। ममता की जगह अब उनकी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुब्रत बख्शी बैठक में हिस्सा लेंगे। रामनगर से TMC विधायक अखिल गिरी ने ममता की अनुपस्थिति का कोई कारण बताए बिना सोमवार (दिसंबर 28, 2020) को यह घोषणा की।
ममता बनर्जी द्वारा नंदीग्राम में इस बैठक का हिस्सा होने से इंकार करने का फैसला नंदीग्राम में ही कभी ममता बनर्जी के ‘सिपाही’ कहे जाने वाले शुभेंदु अधिकारी के भाजपा में जाने के बाद आया है।
वर्ष 2008 से ही प्रत्येक वर्ष 07 जनवरी के दिन नंदीग्राम के शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है और ग्रामवासी उन्हें याद कर शोक मनाते हैं। इस अवसर पर प्रत्येक वर्ष शुभेंदु अधिकारी भी वहाँ मौजूद रहते हैं। वर्ष 2007 में 7 जनवरी को भरत, शेख सलीम और विश्वजीत इस आंदोलन में शहीद हो गए थे।
नंदीग्राम में एक रासायनिक केंद्र स्थापित करने के लिए एक विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) के लिए भूमि अधिग्रहण करने के वामपंथी सरकार के कदम के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों में पुलिस की गोलीबारी में कम से कम 11 लोग मारे गए थे।
हर साल, TMC द्वारा 2007 के इस नरसंहार की याद में ‘शहीदों के स्मरण कार्यक्रम’ में बड़ी सभाएँ आयोजित की जाती हैं, जिस कारण 2011 में बंगाल में वाम सरकार का पतन हुआ और मुख्यमंत्री के रूप में ममता बनर्जी की ताजपोशी हुई। यह पहला मौका है, जब ममता बनर्जी ने इस कार्यक्रम को छोड़ने का फैसला लिया है।
बंगाल में प्रमुख विपक्षी दल भाजपा में हाल ही में शामिल हुए नेता शुभेंदु अधिकारी द्वारा ‘नंदीग्राम चलो’ रैली शुरू करने की घोषणा की है। संयोग से, शुभेंदु नंदीग्राम के पूर्व विधायक भी हैं। उन्होंने भाजपा में शामिल होने से पहले विधायक के पद से इस्तीफा दे दिया।
गौरतलब है कि गत 17 दिसंबर को ही शुभेंदु अधकारी ने आधिकारिक रूप से तृणमूल कॉन्ग्रेस छोड़ दी, और सत्ताधारी पार्टी में उनका 22 साल का कार्यकाल समाप्त हो गया। ममता बनर्जी को अपना इस्तीफा देने के बाद उन्होंने अपने विधायक पद से भी इस्तीफा दे दिया, जिसे अब स्पीकर बिमन बनर्जी द्वारा स्वीकार कर लिया गया है।